उत्तरप्रदेश

टीएमयू के प्रो. अनुराग वर्मा की झोली में गैस्ट्रोरिटेंटिव फॉर्मूलेशन पर इंडियन पेटेंट

ख़ास बातें
यह पेटेंट यूनिवर्सिटी की अनुसंधान संस्कृति का प्रतीक: चांसलर
यह पेटेंट फार्मास्युटिकल फॉर्मूलेशन के क्षेत्र में महत्वपूर्ण उपलब्धि
प्रो. वर्मा के इंटरनेशल और नेशनल 160 रिसर्च पेपर्स प्रकाशित

तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी, मुरादाबाद के फार्मेसी कॉलेज के प्राचार्य प्रो. अनुराग वर्मा को बड़ी उपलब्धि मिली है। प्रो. वर्मा को कार्बाेक्सीमिथाइलेटेड गम स्टर्कुलिया के संग गैस्ट्रोरिटेंटिव फॉर्मूलेशन पर प्रथम भारतीय पेटेंट प्राप्त हुआ है। इस पेटेंट का उद्देश्य एक ऐसी औषधि वितरण प्रणाली विकसित करना है, जो पेट में लंबे समय तक ठहर सके। साथ ही सक्रिय औषधीय घटकों की अवशोषण प्रक्रिया को बेहतर बनाकर उपचार की प्रभावशीलता को बढ़ा सके। कुलाधिपति श्री सुरेश जैन ने प्रो. वर्मा को इस वैज्ञानिक उपलब्धि के लिए बधाई देते हुए कहा, यह पेटेंट यूनिवर्सिटी की अनुसंधान संस्कृति का प्रतीक है। इंडियन पेटेंट ने इस शोध कार्य को पेटेंट संख्या 551569 के अंतर्गत स्वीकृति दी है। यह पेटेंट फार्मास्युटिकल फॉर्मूलेशन के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। इस अनुसंधान में डॉ. वर्मा के साथ महात्मा ज्योतिबा फुले रुहेलखंड यूनिवर्सिटी, बरेली की सीनियर फैकल्टी डॉ. अमित कुमार वर्मा सह-पेटेंटधारी के रूप में जुड़े हैं।

टीएमयू फार्मेसी कॉलेज के प्राचार्य प्रो. वर्मा बताते हैं, इस फॉर्मुलेशन में प्राकृतिक गम स्टर्कुलिया को कार्बाेक्सीमिथाइलेट करके एक नवीन मैट्रिक्स तैयार किया गया है। यह औषधि को नियंत्रित गति से रिलीज करने में सक्षम है। यह तकनीक विशेष रूप से उन रोगों के उपचार में सहायक हो सकती है, जिनमें दीर्घकालिक औषधि प्रभाव की आवश्यकता होती है, जैसे कि गैस्ट्रिक अल्सर, हाइपरएसिडिटी या क्रॉनिक संक्रमण। टीएमयू के वीसी प्रो. वीके जैन कहते हैं, यह पेटेंट न केवल संस्थान की शोध क्षमताओं को दर्शाता है, बल्कि भारतीय नवाचार को वैश्विक स्तर पर स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। उल्लेखनीय है, प्रो. अनुराग वर्मा के विभिन्न इंटरनेशल और नेशनल जर्नल में 160 रिसर्च पेपर्स प्रकाशन के संग-संग 10 चैप्टर्स भी फार्मेसी की विभिन्न इंटरनेशनल पुस्तकों में शामिल हैं। बतौर फार्मेसी टीचिंग 25 साल की विकास यात्रा भी है।

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