Uttarakhand Assembly Election 2022: विधानसभा चुनाव के परिणाम भले ही 10 मार्च को आने हैं लेकिन उससे पहले ही कांग्रेस अपने सरकार बनाने का दावा कर रही है. लेकिन कांग्रेस के अंदर सीएम चेहरे को लेकर अलग-अलग प्रतिक्रिया सामने देखने को आ रही है. वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने सीएम चेहरे पर बोलते हुए कहा कि यहां हाईकमान तय करेगा कि किसको सीएम का चेहरा बनाना है. उसको लेकर सोनिया गांधी से बात भी की जाएगी. कांग्रेस उनसे आग्रह करेगी ही हमारा मुख्यमंत्री दीजिए. वहीं, हरीश रावत के द्वारा सम्मान विदाई के जाने की पोस्ट तो बोलते हुए कहा कि सम्मान यह है कि हरिद्वार की जनता अगर मेरी बेटी को जीता देते हैं और अल्मोड़ा पिथौरागढ़ से 14 विधानसभाओं की सीट कांग्रेस के झोली में आती है तो इससे बड़ा सम्मान मेरे लिए और क्या होगा. साथ ही उन्होंने कहा कि बीजेपी के अंदर इन दिनों जिस तरह से गुटबाजी बाहर सामने निकलते आ रहे हैं, उससे यह प्रतीत हो रहा है कि जो 2016 में जो बीजेपी ने महा पाप किया था वह 2022 छोड़िए 2027 में भी देखने को मिलेगा. नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने कहा कि पार्टी के सत्ता में आने पर मुख्यमंत्री कौन बनेगा, यह निर्णय शीर्ष नेतृत्व लेगा। हरीश रावत पार्टी के वरिष्ठ नेता है, उन्होंने जो कहा उस पर वह टिप्पणी नहीं करेंगे। चुनाव से पहले केंद्रीय नेतृत्व ने तय किया था कि प्रदेश में सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ा जाएगा।पत्रकारों से अनौपचारिक बातचीत में नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह ने कहा कि चुनाव परिणाम आने के बाद शीर्ष नेतृत्व व कांग्रेस विधानमंडल यह तय करेगा कि किसे जिम्मेदारी सौंपी जाए। उन्होंने कहा कि हर व्यक्ति की अपनी इच्छा होती है मगर जब दल में होते हैं तो निर्णय शीर्ष नेतृत्व लेता है।प्रदेश में कम मतदान के सवाल पर नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि जनता अपने मत के आधार पर सरकार बनाती है। इस बार मतदान थोड़ा कम हुआ है।उन्होंने कहा कि सत्ता में बैठे व्यक्तियों ने जिस प्रकार के वादे जनता से किए, वे उन्हें पूरा नहीं कर पाए। चुनाव से पहले और चुनाव के दौरान जब कांग्रेस जनता के बीच गई तो रुझान से यह साफ नजर आ रहा था कि जनता परिवर्तन चाह रही है। राज्य में परिर्वतन हो रहा है, कांग्रेस 45 से अधिक सीटें ला रही है। भाजपा विधायकों द्वारा दिए जा रहे बयानों पर उन्होंने कहा कि भाजपा में चीजें पहले भी सामान्य नहीं थी, चुनाव के दौरान भी यही स्थिति रही। अब उनके विधायक कह रहे हैं कि उन्हें हराने का काम किया गया। वे अब हार भी स्वीकार रहे हैं।
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