उत्तराखंडसामाजिक

फुलवारी में हुई कालिदास- विद्योत्तमा पर चर्चा

देहरादून। उत्तराखंड राज्य के पूर्व पुलिस महानिदेशक व लेखक विद्वान व्यक्ति श्री अनिल रतूड़ी , उत्तराखंड शासन में अपर मुख्य सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी के आवास फुलवारी में विदुषी महिला पूर्व कुलपति सुधारानी पांडेय द्वारा लिखित *विजयिनी* विदुषी विघोतमा के जीवन पर आधारित लघु नाटिका पुस्तक पर चर्चा शानदार रही। भारत में 1000 सालों का इतिहास बहुत गहराई से जाने वाले लेखक श्री अनिल रतूड़ी जी ने दूसरी बार पुस्तक चर्चा देहरादून में कराके इस शहर को साहित्यिक गतिविधियों के चर्चाओं में ला दिया है। शहर में पुस्तकों पर चर्चा में शून्यता आ गई थी। रतूड़ी जी ने कहा है कि आगे भी प्रत्येक माह फुलवारी में पुस्तक चर्चा होती रहेंगी। आज की पुस्तक की चर्चा का नोट आईपीएस व साहित्यकार अमित श्रीवास्तव लिखेंगे। जबकि अनिल रतूड़ी द्वारा लिखित भंवर एक प्रेम कहानी पुस्तक जिसकी डब्लू आई सी में चर्चा हुई थी, उसका नोट साहित्यकार प्रोफेसर सुशील उपाध्याय जी लिखेंगे। विजयिनी पर चर्चा करते हुए श्री अनिल रतूड़ी ने कहा कि मनुष्य को अगर संसार में तरक्की करनी है तो शिक्षा जरूरी है और संसार को प्रगति करनी है तो महिलाओं को पुरुष प्रधान समाज में आगे लाना होगा । महिलाओं के साथ भेदभाव नहीं करना होगा। दरअसल पुस्तक महान कवि कालिदास और विलोतमा पर आधारित है। रतूड़ी जी ने पुस्तक की खूब प्रशंसा करते हुए कहा कि लेखिका ने भाषा संस्कृत निष्ठा रखी हुई है। जो कि अच्छी बात है। उन्होंने कहा कि विरोध में बहुत जानी है लेकिन यदि हमारे खिलाफ कोई षड्यंत्र कर रहा है और हम उसे देख रहे हैं तो कहीं ना कहीं हमारे ज्ञान में कमी रह जाती है। पुस्तक की भूमिका साहित्यकार असीम शुक्ल ने लिखी है लेखिका सुधारानी पांडे से साहित्यकार अमित श्रीवास्तव, ललित मोहन रयाल , सविता मोहन, सहित तमाम साहित्यकारों ने सवाल किए और जानना चाहा कि आपने इस प्रसंग में क्यों और किस संदर्भ में लिखा है। साहित्य जब तक मौखिक परंपरा का हिस्सा था तब तक लेखन में महिलाओं का योगदान बराबरी के स्तर पर रहा परंतु इतिहास के पन्नों पर उनका जिक्र भी नहीं किया गया क्योंकि उन्हें कोई जगह नहीं मिली अगर नारी का योगदान का मूल्यांकन साहित्य करना हो तो वह किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं रही है आज के दौर में महिलाओं ने पुरुषों के मुकाबले साझेदारी निभाई है महिलाओं के अंदर बढ़ती चेतना और जागरूकता ने पारंपरिक छवि को तोड़ा है देखा जाए तो साहित्य में नारी की भागीदारी जिस तेजी से हो रही है उसे देखते हुए नारी की अभिव्यक्ति की सामर्थ्य पर हैरान होने वाली कोई बात नहीं रहेगी। उत्तराखंड में संस्कृत के विद्वान प्रोफेसर डॉ राम विनय सिंह मंचासीन ने भी काफी तर्कों से अपनी ओर लोगों का ध्यान खींचा।

 

साहित्यकार डॉ एमआर सकलानी, शिव मोहन सिंह , डॉली डबराल, रजनीश त्रिवेदी , सच्चिदानंद तिवारी, बीना बेंजवाल, की उपस्थिति गरिमामय रही। अंत में आदर्श अधिकारी राधा रतूड़ी ने सभी लोगों का धन्यवाद किया और अपनी फुलवारी आवास में आए करीब 37 लोगों को स्वयं चाय और जलपान सर्व किया। इससे श्रीमती रतूड़ी सबकी नजरों में और महान हो गई। वह बीच-बीच में स्वयं माइक भी लोगों के पास ले जा रही थी। लोग पुस्तक चर्चा में सवाल पूछ रहे थे। रतूड़ी दंपत्ति ने पहाड़ी टोपी पहनी हुई थी। फुलवारी में पहाड़ी संस्कृति की झलक दिखाई दे रही थी, उनकी फुलवारी में तमाम प्रजातियों के फूल खिलकर अतिथियों की शोभा बढ़ा रहे थे। फुलवारी के बरामदे के मुख्य दरवाजे के ऊपर तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा की तस्वीर थी। जिन्होंने कभी मसूरी को तिब्बत की राजधानी बनाया था। और संसार को शांति का संदेश दिया था।

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