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किसानों का दामन अंग्रेजी शासन को दे रहा है मात उपपा व अन्य संगठनों की प्रेस वार्ता

अल्मोड़ा। उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी व संयुक्त किसान मोर्चा सहित अन्य जन संगठनों ने किसान आंदोलन को लेकर सरकार के रुख की कड़े शब्दों में निंदा की है। उन्होंने कहा है कि सरकार को शांतिपूर्वक प्रदर्शन को दिल्ली आ रहे किसानों को रोकने का तरीका पूरी तरह अलोकतांत्रित है। आने वाले समय में सरकार विशेष तौर पर सत्तारूढ़ भाजपा को इसका खामियाजा भुगतना होगा। उपपा के केंद्रीय अध्यक्ष पीसी तिवारी संयुक्त किसान मोर्चा के जगतार सिंह बाजवा प्रगतिशील किसान समिति शांतिपुरी के उमेश चंद्र भट्ट बाजपुर से छात्रनेता कौशलेंद्र प्रताप सिंह ने मंगलवार को संयुक्त पत्रकार वार्ता में यह बात कही। उपपा के केंद्रीय कार्यालय में हुई वार्ता में नेताओं ने कहा कि आखिर किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य के लिए कानून बनाने जैसी मांग कर रहे हैं। ऐसे में केंद्र सरकार को सकारात्म रुख अखत्यार करना चाहिए था लेकिन सरकार इसको गंभीरता से नहीं ले रही है। इसके चलते मजबूरी में किसान दिल्ली कूच जैसा कदम उठा रहे हैं। उन्होंने कहा कि किसानों को दिल्ली आने से रोकने के लिए दिखाई जा रही मुस्तैदी के बजाय उनकी मांगों को लेकर गंभीरता से विचार करना चाहिए था। उन्होंने कहा कि सरकार की कार्रवाई अंग्रेजी शासन काल को भी मांफ कर रही है। यह शांति पूर्वक प्रदर्शन करने के देश के आम नागरिक के अधिकार का हनन है। उन्होंने कहा कि देश की जनभावना किसानों के साथ है। नेताओं ने बाजपुर में चल रहे भूमि बचाओं का आंदोलन का भी जिक्र किया और कहा कि वहां आंदोलन को 200 दिन पूरे हो रहे हैं लेकिन सरकार कोई सुनवाई नहीं कर रही है। उपपा अध्यक्ष तिवारी ने कहा कि देश में महंगाई बेरोजगारी व भ्रष्टाचार से आम जनता परेशान है। प्राकृतिक संसाधनों की लूट थमने का नाम नहीं ले रही है। उन्होंने कहा कि किसानों के 16 फरवरी को ग्रामीण भारत बंद का समर्थन करते हैं। आम किसान मजदूर वर्ग से इसके समर्थन की अपील भी करते हैं। इस मौके पर सूरज टम्टा भी मौजूद रहे।

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