मशहूर संगीतकार और संतूर वादक पंडित शिव कुमार शर्मा का निधन हो गया है। भारतीय संगीत को उनके खास अंदाज की वजह से अंतरराष्ट्रीय पहचान मिली । उन्हें छह महीनों से उनको गुर्दे से संबंधित परेशानी थी । हालांकि उम्र संबंधी परेशानियों और किडनी प्रॉब्लम की वजह से उन्हें डायलिसिस भी करानी पड़ी। उनका निधन दिल का दौरा पड़ने से हुआ। आज 10 मई की शाम उनका अंतिम संस्कार किया गया।पंडित शिव कुमार शर्मा ने पांच की उम्र में तबला और गायन सीखा और फिर सिर्फ 13 साल की उम्र में संतूर थाम लिया।
अपने एक इंटरव्यू में पंडित शिव कुमार शर्मा ने कहा था कि उनके पिता चाहते थे कि मैं जम्मू या श्रीनगर आकाशवाणी में ही काम करूं और सरकारी नौकरी के जरिए अपना भविष्य सुरक्षित करूं। पंडित जी ने अपनी जिद के आगे घर छोड़ दिया था। वह घर से इकलौती संतूर और जेब में महज 500 रुपये लेकर मुंबई आ गए। उन्होंने इंटरव्यू में यह भी कहा था, ”मैंने ऐसे भी दिन गुजारे, जब जेब में एक आना ही होता था और खाने को कुछ नहीं होता था। मुझे संगत देने के लिए तबला बजाना पड़ता था। संतूर को लोग स्वीकार नहीं करते थे तो मुझे प्रस्तुति का मौका नहीं मिल पाता था। तब फिल्मों के कुछ असाइनमेंट्स के जरिए मुझे खुद को बम्बई में अपना वजूद बनाए रखने में मदद मिली।”
बॉलीवुड में भी ‘शिव-हरी’ नाम से मशहूर शिव कुमार शर्मा और हरि प्रसाद चौरसिया की जोड़ी ने कई सुपरहिट गानों में संगीत दिया था। इसमें से सबसे प्रसिद्ध गाना फिल्म ‘चांदनी’ का ‘मेरे हाथों में नौ-नौ चूड़ियां’ रहा, जो दिवंगत अभिनेत्री श्रीदेवी पर फिल्माया गया था। पंडित शिव कुमार शर्मा का 15 मई को कॉन्सर्ट होने वाला था। सुरों के सरताज को सुनने के लिए कई लोग बेताब थे। शिव-हरि (शिव कुमार शर्मा और हरि प्रसाद चौरसिया) की जुगलबंदी से अपनी शाम रौनक करने के लिए लाखों लोग इंतजार कर रहे थे। लेकिन अफसोस इवेंट से कुछ दिन पहले ही शिव कुमार शर्मा ने इस दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया।