हरिद्वार । जैश- ए-मोहम्मद ने उत्तराखंड के धार्मिक स्थलों को उडाने के बाबत हरिद्वार रेलवे स्टेशन अधीक्षक को पत्र भेजा है। आतंकी संगठन के नाम पत्र मिलने के बाद धार्मिंक स्थलों एवं रेलवे स्टेशनों की सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी गई है। साथ ही अलर्ट भी जारी किया गया है। बम निरोधक दस्ते एवं डॉग स्कवॉयड को सघन चेकिंग के लिए उतार दिया गया है। धमकी भरे पत्र की तह तक पहुंचने के लिए एसपी रेलवे ददनपाल ने चार टीमें गठित कर दी है। दस अक्टूबर को साधारण डाक से रेलवे स्टेशन अधीक्षक के नाम मिले पत्र को खोला गया तब स्टेशन अधीक्षक के होश उड़ गए।
भेजे गए धमकी भरे पत्र में लिखा था कि..
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक आतंकी संगठन जैश ए मोहम्मद किश्तवाड जम्मू कश्मीर के नाम से भेजे गए पत्र में लिखा था कि जम्मू कश्मीर में मरने वाले अपने साथियों का बदला लिया जाएगा, जिसके तह 25 अक्टूबर को हरिद्वार, लक्सर, काठगोदाम, देहरादून, रूड़की, काशीपुर, मुरादाबाद, बरेली, नजीवाबाद, शाहगंज समेत उत्तराखंड के अन्य रेलवे स्टेशनों को बम से उड़ा दिया जाएगा। पत्र आगे लिखा है कि 27 अक्टूबर को हरकी पैड़ी, भारत माता मंदिर, चंडीदेवी, मनसा देवी, हरिद्वार के प्रमुख मंदिरों के अलावा यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ, बद्रीनाथ एवं अन्य प्रमुख मंदिरों में भी बम विस्फोट किए जाएंगे। रेलवे स्टेशन अधीक्षक ने इस संबंध में जीआरपी-आरपीएफ के अधिकारियों को जानकारी दी।
पूर्व में भी मिल चुके हैं धमकी भरे पत्र
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक धमकी भरे पत्र के मिलने के बाद आनन फानन में पुलिस अफसर रेलवे स्टेशन अधीक्षक के कार्यालय पहुंचे, जिसके बाद धमकी भरे पत्र को कब्जे में ले लिया गया। एसपी रेलवे ददनपाल ने बताया कि हरिद्वार, लक्सर एसओ जीआरपी के अलावा एसओजी प्रभारी की अगुवाई में चार टीमें गठित की है, जो धमकी भरे पत्र के संबंध में जांच करेगी। साधारण डाक से भेजे गए पत्र पर यह साफ तौर पर अंकित नहीं है कि पत्र आखिर किस डाक घर से पत्र भेजा गया है। पूर्व में भी जितने पत्र अब तक मिले है, उनकी भी यही स्थिति रही है। पत्र पर लगी मुहर बेहद ही धुधली होती है, जिससे कुछ स्पष्ट नहीं होता है। वहीं आपको बता दें कि यह कोई पहला मौका नहीं है कि जब किसी आतंकी संगठन के नाम से धमकी भरा पत्र मिला हो। पूर्व में भी रेलवे स्टेशन अधीक्षक के नाम पर कई पत्र समय समय पर भेजे जा चुके है। यही नहीं शहर की अध्यात्मिक संस्थाओं के प्रमुखों के अलावा साधु संतों से लेकर हिंदूवादी संगठनों के नेताओं को भी पत्र मिल चुके है।