उत्तराखंडसामाजिक

अस्पताल तो खोल दिए, लेकिन पार्किंग है नहीं

कई कमेस्ट ने तो दुकानें सड़क तक फैला रखी हैं, जिससे लगता है जाम

देहरादून। दून अस्पताल के दोनों ओर से गुजरने वाले मार्ग अतिव्यस्त रहते हैं। यहां अक्सर जाम की स्मस्या से लोगों को दो-चार होना पड़ता है। ऊपर से कोढ़ में खाज यह कि इन दोनों मार्गों पर कई केमिस्ट और डाक्टर्स के क्नलीनिक हैं। जाहिर है कि यहां मरीजों की भी खासी भीड़रहती है। बावजूद इसकेकिसी भी क्लीनिक या केमिस्ट के पास पार्किंग की सुविधा नहीं है। कई कमेस्ट ने तो दुकानें सड़क तक फैला रखी है। ऐसे में यहां आप कहीं भी अपना वाहन एक मिनट के लिए भी खड़ा नहीं कर सकते। केमिस्ट अपनी दुकान के आगे दो पहिया वाहन खड़े करने पर मरने-मारने पर उतारू हो जाते हैं, मानों सड़क पर कहां वाहन खड़ाकरना है, कहां नहीं यहवही तय करेंगे। प्रशासन भी इस ओर से मुंह फेरे है।

देहरादून की सड़कों पर जाम लगना आम हो गया है। खासतौर से एमकेपी मार्ग और कचहरी मार्ग पर तो ट्रेफिक इस कदर है कि एंबुलेंस निकाालना भी किसी जंग से जीतने से कम नहीं है। इस मार्ग पर राज्य का सबसे बड़ा दून अस्पताल अब मेडकल कालेज और नगर निगम का दफ्तर भी है। ऐसे मेंयहां लोगों की दिनभर आवाजाही रहती है। ऊपर से एमकेपी कालेज भी इसी रास्ते परपड़ता है। दून अस्पताल होने से उसके चारों तरफ केमिस्ट की भी दर्जनों दुकानें हैं।

बड़ी संख्या में खासतौ पर कुछ नामी डाक्टरों की क्लीनिक भी एमकेपी मार्ग परस्थत हैं। यहां कहने को तो बेसमेंट में पार्किंग की सुविधा है। लेकिन अगर आप कोकिसी क्लीनिक में स्वयं को डाक्टर को दिखाना है तो वहां आपके लिएपार्किंगनहीं है। गलती सेआपने किसी क्लीनिक के बेसमेंट में अपना दो पहिया वाहन भी पार्क कर दिया तो वहां मौजूद गार्ड आपको गरियाने लगेगा। सड़क पर वाहन खड़ा करेंगे और किसी केमिस्ट से आप दवा नहीं खरीदेंगे तो वह आपको पुलिसिया अंदाज में दुकान के आगे वाहन खड़े होने पर टोक देगा।इन दानों सड़कों से डीएम, एसएसपी और मेयर भी गुजरते हैं, लेकिन वह भी सड़क तक फैलाई दुकानों और क्लीनिकों में पार्किंग की व्यवस्था को नहीं देखते।

 

मोहम्मद इदरीश बताते हैं कि वह डाक्टर काला की क्लीनिक में जाना चाहते थे। उन्होंने अपनी स्कूटी बेसमेंट पर बली पार्किंग में खड़ी की तो वहां मौजूद गार्ड ने उसे टोक दिया। कहा कि यह पार्किंग केवल डाक्टर्स के लिए है। गार्ड ने उसे स्कूटी सड़क पर खड़ी करने के लिए कहा।उसने स्कूटी सड़क के किनारे खड़ी कर दी तो जाम लगने से कार वाले ने उसकी स्कूटी ठोक दी। वह कहते हैं कि तब अपना इलाज कराने के बजाए उसे स्कूटी ठीक कराने के लिए ले जानी पड़ी।इदरीश का कहना है कि डाक्टर्स को अपने क्लीनिक में मरीजों और तीमारदारों के लिए पार्किंग कीसमुचित व्यवस्था करनी चाहिए।

वहीं पारस दून अस्पताल में भी बेसमेंट में पार्किंग डाक्टर्स के लिए ही आरक्षित बताई गई। अस्नपताल में एकमरीज को देखने गए ज्योति प्रसाद ने पार्किंग न होने पर जब एक केमिस्ट की दुकान के साइड स्कूटी खड़ी की तो वहां एक सेल्सगर्ल ने उन्हें टोक दिया। ज्योति प्रसाद बाते हैं कि वह अपने पेसेंट को दूसरे अस्पताल में शिफ्ट करने के लिए वहां एंबुलेंस का इंतजार कर रहे थे, लेकन केमिस्ट की दुकान में काम करने वाली मिहला ने उन्हें पुलिसिया अंदाज में स्कूटी वहां पर खड़ी करने पर डांट दिया।

वह कहते हैं कि प्रशासन को चाहिए कि दून अस्पताल के दोनों तरफसे गुजरने वाले मार्गों पर स्थितअस्पतालों और दवा की दुकानों में पार्किंग की व्यवस्था अनिवार्य कराएं। ताकि इस मार्ग से गुजरने वाले लोगों एवं छात्राओं को परेशानियों का सामना न करना पड़े।

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