सामाजिक

वीर माधो सिंह भण्डारी उत्तराखण्ड प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के बौन परिसर में सम्पन्न हुआ घराट दिवस

उत्तरकाशी प्रकृति संरक्षण को समर्पित घराट पखवाडा़ (14 जुलाई से 28 जुलाई) का समापन वीर माधो सिंह भण्डारी उत्तराखण्ड प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के बौन परिसर में समपन्न हुआ। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में संस्थान के निदेशक श्री एच.एच. भदौरिया उपस्थित रहे। उन्होंने घराट दिवस के आयोजन पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि घराट प्रकृति और विज्ञान का एक सुंदर समन्वय है, जो ग्रीन ऊर्जा का महत्वपूर्ण स्रोत है। उन्होंने जोर देकर कहा कि आधुनिक तकनीक का उपयोग कर घराटों को और अधिक प्रभावशाली बनाया जा सकता है। निदेशक महोदय ने भविष्य में संस्थान द्वारा इस दिशा में कार्य करने का आश्वासन दिया। घराट श्रृंखला के अध्यक्ष श्री विजयेश्वर प्रसाद डंगवाल ने बताया कि घराट श्रृंखला के द्वारा विगत कई वर्षों से घराट दिवस का आयोजन किया जा रहा है, जिसका उद्देश्य इस परंपरागत विज्ञान को संरक्षित करना, इसे लाभकारी बनाना और नई पीढ़ी को हस्तांतरित करना है। उन्होंने कहा, “हमारा लक्ष्य है कि यह पारंपरिक तकनीक उन्नत विज्ञान के साथ जीवंत रहे और भावी पीढ़ी इसे अपनाए।” कार्यक्रम में घराट श्रृंखला के श्री दिनेश भट्ट ने बांसुरी के माध्यम से मांगलिक गीत प्रस्तुत कर उपस्थित लोगों का मन मोह लिया। राजकीय इंटर कॉलेज धौन्तरी के विज्ञान शिक्षक श्री शम्भू नौटियाल ने घराट के वैज्ञानिक पहलुओं पर प्रकाश डाला, राजकीय कीर्ति इंटर कॉलेज के अंग्रेजी प्रवक्ता श्री संजय कुमार जगूडी ने अंग्रेजी माध्यम में उपस्थित छात्र-छात्राओं के लिए घराट की कार्यप्रणाली और उपयोगिता पर विस्तार से चर्चा की। घराट श्रृंखला के श्री चन्द्रशेखर चमोली ने घराट द्वारा उत्पादित विभिन्न उत्पादों की प्रदर्शनी प्रस्तुत की, जिसमें स्थानीय समुदाय की रुचि देखने को मिली। श्री मोहन लाल ने अपने घराट में स्थापित तेल मशीन की उपयोगिता और इसके लाभों के बारे में विस्तार से बताया। कार्यक्रम में राजकीय इंटर कॉलेज बौन और महर्षि विद्या मंदिर के छात्र-छात्राओं के साथ-साथ विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों के प्रतिनिधि, सामाजिक संगठन, ग्रामीण समुदाय, शिक्षक और कर्मचारी उपस्थित रहे। आयोजन का संचालन घराट श्रृंखला द्वारा किया गया। घराट, उत्तराखण्ड की पारंपरिक संस्कृति और तकनीकी धरोहर का प्रतीक है, जिसमें जल की ऊर्जा का उपयोग कर अनाज पीसने, तेल निकालने और अन्य कार्यों के लिए उपयोग में लाया जाता है। यह न केवल पर्यावरण के अनुकूल है, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। घराट दिवस का आयोजन इस प्राचीन तकनीक को नई पीढ़ी तक पहुंचाने और इसे आधुनिक तकनीकों के साथ जोड़ने का एक प्रयास है। इस आयोजन में न केवल घराटों के महत्व को रेखांकित किया, बल्कि स्थानीय समुदाय और छात्रों को ग्रीन ऊर्जा और सतत विकास के प्रति जागरूक करने में भी सफलता प्राप्त की। यह कार्यक्रम उत्तराखण्ड की समृद्ध परंपराओं को संरक्षित करने और उन्हें वैज्ञानिक दृष्टिकोण से समृद्ध करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

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