उत्तराखंड

मूल निवास और भू कानून की मांग को लेकर 24 दिसम्बर को हुई सफल महारैली

उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के केन्द्रीय अध्यक्ष पी सी तिवारी ने परेड ग्राउंड में आयोजित प्रेस वार्ता के दौरान कहा कि मूल निवास और भू कानून की मांग को लेकर 24 दिसम्बर को हुई सफल महारैली ने राज्य में क्षेत्रीय अस्मिता से हो रहे खिलवाड़ के खिलाफ जन आक्रोश को सामने ला दिया है।

अब इस राज्य की सकारात्मक और ईमानदार ताकतों का कर्तव्य है कि जनभावना के अनुरूप राज्य में सामाजिक/ राजनीतिक परिवर्तन का रोडमैप तैयार हो। प्रेस वार्ता में पत्रकारों/ मीडिया प्रतिनिधियों से बात करते हुए उपपा अध्यक्ष ने उत्तराखंडी सोच की सभी ताकतों से एकजुट होकर इस राज्य की *अवधारणा* को साकार करने के लिए काम करने की अपील की है।

देहरादून में हुई महारैली में पार्टी सहयोगियों के साथ भाग लेने आए पार्टी अध्यक्ष ने कहा कि उत्तराखंड और हिमालय देश और दुनिया की धरोहर है और इसके साथ हो रही लूटखसोट और छेड़छाड़ के गंभीर परिणाम सामने आ रहे हैं। इस हिमालयी राज्य को राज्य के निवासियों के हितों की रक्षा करते हुए बचाने की जरूरत है।

उपपा अध्यक्ष ने कहा कि उत्तराखंड राज्य बनने के बाद यहाँ आई भाजपा व कांग्रेस की राज्य व हिमालय विरोधी नीतियों ने उत्तराखण्ड व यहाँ के निवासियों को बरबादी के कगार पर लाकर खड़ा कर दिया है, जिस कारण जनता में भारी असंतोष व्याप्त है।

उपपा पदाधिकारियों ने कहा कि राज्य के प्राकृतिक संसाधनों, जल, जंगल, जमीनों पर पूंजीपतियों और माफियाओं व छोटी-बडी़ कंपनियों का कब्जा कराने में राजनेताओं और नौकरशाहों की बड़ी भूमिका है, जिसे केवल सशक्त राजनीतिक हस्तक्षेप से ही रोका जा सकता है। तिवारी ने कहा कि सरकार सशक्त भू कानून व मूलनिवास की बात करती है, लेकिन न तो सरकार को इसकी समझ है, न इसके प्रति इमानदार है। सदियों से हिमालयी क्षेत्र में रहने वालों के हितों की रक्षा किये बिना हिमालय को बचाया नहीं जा सकता।

उपपा अध्यक्ष ने कहा कि अब तक उत्तराखंड में राज करने वाली सरकारों ने भूमिसुधार और बंदोबस्त जैसे सबसे जरूरी काम को पूरा नहीं किया है। उत्तराखंड को देवभूमि बताने वाले राष्ट्रीय दलों ने लगातार इस राज्य को संविधान के आर्टिकल 371 के प्रावधानों के अन्तर्गत संरक्षण देने के प्रस्ताव पारित करने का साहस तक नहीं किया। दूसरी ओर विधानसभा सीटों का परिसीमन कर पहाड़ों की राजनीतिक ताकत को जानबूझ कर कमजोर करने का कृत्य किया है। यदि भाजपा सरकार उत्तराखंड के प्रति ईमानदार है तो सरकार द्वारा कृषि भूमि की खरीद के असीमित अधिकार को रद्द क्यों नहीं किया जा रहा है? जल, जंगल, जमीन पर जनता के अधिकारों में लगातार की जा रही कटौती को वापस, लेने, बेनाप के नाम पर, वर्गीकृत भूमि को मैदान की भांति ग्राम समाज को सौंपने, बनाधिकार कानून को सही तरीके से लागू करने की तत्काल व्यवस्था करनी चाहिए।
उपपा ने सरकार से राज्य सरकार व जिलाधिकारियों द्वारा भूमाफियाओं और प्रभावशाली लोगों को आवंटित जमीनों की अनुमतियों को लेकर श्वेत पत्र जारी करने व दुरूपयोग करने वालों की जमीनें तत्काल जब्त करने की मांग की और आरोप लगाया कि जहाँ एक ओर गरीबों/ आम लोगों पर अतिक्रमण के नाम पर बुलडोजर चलाए जा रहे हैं, वहीं इन प्रभावशाली लोगों को गुण्डागर्दी की खुली छूट दी जा रही है। जिसका ज्वलंत उदाहरण डांडा कांडा, अल्मोड़ा का प्लीजेंट वैली है, जिसकी आपराधिक गतिविधियों से पुलिस प्रशासन व न्यायपालिका भी त्रस्त है।

प्रेस वार्ता में पार्टी के महासचिव नरेश नौडियाल, महासचिव अब्बल सिंह भंडारी व जनपद महासचिव सीपी शर्मा उपस्थित रहे।

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