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आधी रात को मलबे का सैलाब, 45 भवन ध्वस्त, 28 पशु लापता

चमोली। बुधवार देर रात नंदानगर क्षेत्र में मूसलाधार बारिश ने भीषण तबाही मचाई। आधी रात करीब एक बजे पहाड़ी से अचानक भारी मलबा और पानी का सैलाब गांवों पर टूट पड़ा। लोग गहरी नींद में थे, तभी तेज गर्जना और बिजली चमकने के बाद देखते ही देखते कई मकान मलबे में दब गए। चारों ओर चीख-पुकार मच गई।

प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक फाली और सैंती गांवों से लोगों ने आवाज सुनकर दूसरों को बाहर भागने की चेतावनी दी, लेकिन तब तक देर हो चुकी थी। दिलबर सिंह रावत ने बताया कि उनकी आंखों के सामने ही पत्नी देवेश्वरी (65) मकान के मलबे में दब गईं।

डीएम 16 किमी पैदल पहुंचे प्रभावित क्षेत्र
चमोली के जिलाधिकारी डॉ. संदीप तिवारी गुरुवार सुबह छह बजे राहत टीम के साथ नंदानगर के लिए रवाना हुए। सड़क बाधित होने के कारण उन्हें 16 किलोमीटर पैदल चलकर कुंतरी गांव पहुंचना पड़ा। उन्होंने दिनभर राहत व बचाव कार्यों का जायजा लिया। एसपी सर्वेश पंवार भी मौके पर डटे रहे।

भारी नुकसान: 45 भवन ध्वस्त, 15 गोशाला क्षतिग्रस्त
आपदा में फाली लगा कुंतरी, सरपाणी, धुर्मा और मोख में करीब 45 भवन व 15 गोशालाएं ध्वस्त हो गईं। चार पशुओं की मौत हुई है और 28 लापता हैं। दस घायलों को हेलिकॉप्टर से हायर सेंटर भेजा गया, दो का नंदानगर में इलाज चल रहा है। बचाव में एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, आईटीबीपी और पुलिस के जवान तैनात हैं।

राहत शिविरों में पहुंचे प्रभावित परिवार
गंभीर रूप से घायल 11 लोगों को हेली से हायर सेंटर भेजा गया। प्रभावित परिवारों के लिए सैंती प्राथमिक विद्यालय, मरिया आश्रम और पूर्ति निरीक्षक गोदाम में शिविर बनाए गए हैं। धुर्मा और सेरा गांव के 37 से अधिक परिवारों को भी सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है।

सड़कों व पुलों को भारी क्षति
आपदा ने नंदानगर से सेरा तक भारी तबाही मचाई। 12 आवासीय भवन और पांच से अधिक गोशालाएं तबाह हुईं। कई खेतों में मलबा भर गया, फसलें बर्बाद हो गईं। गरणी का मोटर पुल, नंदानगर बस स्टेशन का लोहे का पुल और कई सड़कें बह गईं। मोक्ष नदी ने धुर्मा से सेरा तक विकराल रूप दिखाया। वहीं चुफला नदी और कीर्ति गाड़ के कटाव से कई मकान खतरे में हैं।

 

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