
सूपनखा रावन कै बहिनी।
दुष्ट हृदय दारुन जस अहिनी॥
पंचबटी सो गइ एक बारा।
देखि बिकल भइ जुगल कुमारा॥
भावार्थ : शूर्पणखा नामक रावण की एक बहिन थी, जो नागिन के समान भयानक और दुष्ट हृदय की थी। वह एक बार पंचवटी में गई और दोनों राजकुमारों को देखकर विकल (काम से पीड़ित) हो गई॥
भ्राता पिता पुत्र उरगारी।
पुरुष मनोहर निरखत नारी॥
होइ बिकल सक मनहि न रोकी।
जिमि रबिमनि द्रव रबिहि बिलोकी॥
भावार्थ : (काकभुशुण्डिजी कहते हैं-) हे गरुड़जी! (शूर्पणखा- जैसी राक्षसी, धर्मज्ञान शून्य कामान्ध) स्त्री मनोहर पुरुष को देखकर, चाहे वह भाई, पिता, पुत्र ही हो, विकल हो जाती है और मन को नहीं रोक सकती। जैसे सूर्यकान्तमणि सूर्य को देखकर द्रवित हो जाती है (ज्वाला से पिघल जाती है)।।
रुचिर रूप धरि प्रभु पहिं जाई।
बोली बचन बहुत मुसुकाई॥
तुम्ह सम पुरुष न मो सम नारी।
यह सँजोग बिधि रचा बिचारी॥
भावार्थ : वह सुन्दर रूप धरकर प्रभु के पास जाकर और बहुत मुस्कुराकर वचन बोली- न तो तुम्हारे समान कोई पुरुष है, न मेरे समान स्त्री। विधाता ने यह संयोग (जोड़ा) बहुत विचार कर रचा है॥
मम अनुरूप पुरुष जग माहीं।
देखेउँ खोजि लोक तिहु नाहीं।।
तातें अब लगि रहिउँ कुमारी।
मनु माना कछु तुम्हहि निहारी॥
भावार्थ : मेरे योग्य पुरुष (वर) जगत्भर में नहीं है, मैंने तीनों लोकों को खोज देखा। इसी से मैं अब तक कुमारी (अविवाहित) रही। अब तुमको देखकर कुछ मन माना (चित्त ठहरा) है॥
भगवान आदिदेव श्री काशी विश्वनाथ आशुतोष शिवशंकर भोलेनाथ महादेव जी, भगवती माँ आदिशक्ति दुर्गा भवानी जी एवं पतित पावनी माँ भागीरथी {श्रीगंगा} जी की अनन्त असीम अनुकम्पा से तथा आप सभी सम्मानित धर्मपरायण प्रेमी प्रबुद्धजनों के हार्दिक सहयोग और मार्गदर्शन से श्री आदर्श रामलीला समिति {रजि०}, उत्तरकाशी के द्वारा सन् 1952 से अनवरत प्रगति पथ पर निरंतर अग्रसर सृजनात्मक स्वरूप में आयोजित होने वाली सौम्यकाशी {बाड़ाहाट}, उतरकाशी की ऐतिहासिक और पौराणिक अखिल कोटी ब्रहमाण्ड नायक जगतपिता जगदीश्वर मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्रीरामचंद्र जी की गौरवमयी 74वीं एवं { पांचवी गढ़वाली बोली~भाषा} में रामलीला की पुनरावृत्ती आज दिनॉक 17 सितंबर 2025 से दिनाॕक 02 अक्टूबर 2025 के ठीक समय प्रतिदिन 7:30 बजे सांय को और दिनांक 03 अक्टूबर 2025 श्रीराम जी की झांकी और पुरस्कार वितरण के साथ श्री रामलीला मंच, रामलीला मैदान, उतरकाशी में प्रतिवर्ष शारदीय नवरात्रि के पावन अवसर पर अभूतपूर्व वार्षिक मंचन किया जा रहा है।
सूर्पणखाँ मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीरामचंद्र जी के पास सुन्दर रूप धरकर विवाह का प्रस्ताव लेकर जाती हैं और बहुत मुस्कुराकर वचन बोलती है – न तो तुम्हारे समान कोई पुरुष है, न मेरे समान स्त्री। विधाता ने यह संयोग (जोड़ा) बहुत विचार कर रचा है। पंचवटी में सूर्पणखाँ के द्वारा श्रीराम, लक्ष्मण को विवाह का प्रस्ताव ठुकराने के पश्चात सुर्पणखाँ के द्वारा भगवती सीता माँ पर झपटने के कारण लक्ष्मण से अपनी नाक कान कटवाने फिर अपने भाई खर दूषण को सूचना देने के बाद भगवान श्रीराम जी के द्वारा खर ~ दूषण वध, रावण दरबार में जाकर रावण को उकसाने, मारीच ~ रावण संवाद ने दर्शको को मंत्रमुग्ध किया है।
आज के मंचन में राम का अभिनय~ आयुष पंवार, सीता ~ निकिता, लक्ष्मण~ अजय मखलोगा, सूर्पणखाँ ~ सुप्रसिद्ध लोक कलाकार और लोक गायिका रेनू डोभाल, निवासी पौड़ी गढ़वाल हाल देहरादून मंत्री ~ संतोष नौटियाल, खर – दूसन का अमन कोहली और संजय पंवार आदि ने बहुत ही उच्च कोटी का उत्कृष्ट अभिनय कर दर्शकों का मन मोहा है।
आज की अतिथियों की श्रृंखला में श्री विश्वनाथ काशी विश्वनाथ सेवा मंडली के महंत अजय पुरी, श्री गंगा आरती समिति के अध्यक्ष आचार्य चंद्रशेखर भट्ट जी समेत अन्य पदाधिकारी मौजूद थे।
इसके अलावा मुकेश जगमोहन चौहान, विपिन नेगी और सूर्य प्रकाश नौटियाल जी को पत्रकारिता जगत में उनके उल्लेखनीय कार्य हेतु समिति के द्वारा स्मृति चिन्ह, स्मारिका और राम कवच से सम्मानित किया गया।
श्री आदर्श रामलीला समिति {रजि}, उत्तरकाशी के तत्वाधान और अथक प्रयास से जनपद उत्तरकाशी में पहली बार रामलीला में मुख्य आकर्षण दिनांक 3 अक्टूबर 2025 शुक्रवार को 1:00 बजे दोपहर से सांय 4:00 तक आचार्य कृष्णानंद नौटियाल जी के निर्देशन, लेखन, संवाद प्रेषण और कुशल मार्गदर्शन से वीर अभिमन्यु गढ़वाली चक्रव्यूह नाटक का मंचन केदार घाटी मण्डाण ग्रुप गुप्तकाशी रूद्रप्रयाग की महिला कलाकारों के द्वारा पहली बार रामलीला मैदान उत्तरकाशी में किया जाएगा।
इस मौके पर समिति के संरक्षक ब्रह्मानंद नौटियाल {राष्ट्रपति पुरस्कृत}, प्रभावती गौड़, रमेश चौहान, मुख्य उद्घोषक एवं संपादक जयेन्द्र सिंह पंवार, अध्यक्ष गजेंद्र सिंह मटूड़ा, महासचिव विजय प्रकाश भट्ट, कोषाध्यक्ष अरविंद सिंह राणा, प्रबंधक भूपेश कुड़ियाल, वरिष्ठ लेखा निरीक्षक केशवानंद भट्ट, वरिष्ठ उपाध्यक्ष डॉक्टर तस्दीक खान, निर्देशक महेंद्र सिंह पंवार, चंद्रमोहन सिंह पंवार, संयोजक खुशहाल सिंह चौहान, विजय चौहान, मंच निर्देशक केसर सिंह सजवाण, प्रवीण कैन्तुरा, उपाध्यक्ष शांति प्रसाद भट्ट, कंप्यूटर ऑपरेटर सुमन राणा, विनोद नेगी, अजय पंवार, इंद्रेश कुमार उप्पल, अमरपाल रमोला, संतोष नौटियाल, संगीताचार्य चतर सिंह मराठा, प्रहलाद सिंह,अखिलेश उनियाल, फोटो एंड वीडियोग्राफी संकलनकर्ता अनिल कुमार सेमवाल, विकास कुमार भट्ट, वित्त नियंत्रक किरन पंवार, उषा चौहान, विमला जुयाल, अनीता राणा, विजय महर, सारिता गुसांईं, सरिता नौटियाल, सावित्री मखलोगा, विनीता सेमवाल, पुनीता नौटियाल, कुमारी निकिता, कुमारी दुर्गा रांगड़, कुमारी कशिश महर, कुमारी कोमल महर, कुमारी हिमानी {मिस्टी} नौटियाल, अब्बल सिंह पंवार, आयुष पंवार, अजय मखलोगा, कर्तव्य मंच के शुभम पंवार, रूप और वस्त्र सज्जा अमन कुमार शाह, भंडार नायक अंकित कुमार, पाक शास्त्री सूरज भट्ट, उपदेश नौटियाल, अजय राणा, अखिलेश चंद्र रमोला विकास कुमार चौधरी, मनोज बिष्ट, सम्मी तलवाड़, किशन महर, जीवन थापा, आदित्य थापा और मुकेश थापा आदि मौजूद थे।