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दून विश्वविद्यालय में G-20 प्रेसिडेंसी भारत को मिलने के संदर्भ में एक प्रोग्राम का आयोजन किया गया. इस “यूनिवर्सिटी कनेक्ट: इंगेजिंग यंग माइंड” प्रोग्राम के संदर्भ में एक इंटरएक्टिव सेशन का आयोजन किया गया जिसकी थीम “विज्ञान और तकनीक की मदद से भारत के रूपांतरण की झलक” थी. इस प्रोग्राम में उत्तराखंड कोकिस तरह से लाभ मिल सकता है इसके बारे में भी चर्चा की गई।
डिपार्टमेंट ऑफ बायो टेक्नोलॉजी, (भारत सरकार) के सेक्रेटरी डॉ राजेश गोखले ने इस कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के तौर पर विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि भारत एक रूपांतरण की प्रक्रिया से गुजर रहा है। टेक्नोलॉजी के सुधारीकरण से भारत निरंतर विश्व पटल पर अपनी स्थिति को मजबूत कर रहा है। भारत आईटी के क्षेत्र में विश्व में अग्रणी स्थान रखता है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और बायोमैन्युफैक्चरिंग ऐसी टेक्नोलॉजी है जो आने वालेे समय पर विश्व में राज करने वाली हैं। इस समय भारत विश्व की पांचवी बड़ी अर्थव्यवस्था है, विदेशी निवेश में भारत 7 वी रैंक रखता है, ग्लोबल इनोवेशन में भारत की 40 वी रैंक है और हम स्टार्टअप के लिए इकोसिस्टम प्रोवाइड करने में विश्व में तीसरे नंबर पर आते हैं। हम विश्व का सबसे ज्यादा प्रति व्यक्ति इंटरनेट डेटा कंज्यूम करते हैं और साथ ही डिजिटल पेमेंट में सबसे आगे हैं। कोविड-19 के दौरान हमने विश्व में ज्यादा प्रतिदिन वैक्सीनेशन करने के साथ-साथ वैक्सीन उत्पादन का काम भी किया। भारत में 11000 वेंटीलेटर 6 माह के अंदर बनाएं। जिससे हमें यह समझ में आया कि हम भारतीय लोग दबाव में बेहतर कार्य करते हैं। हमारे द्वारा बनाएगी वैक्सीन प्रभावशाली थी इसीलिए कोविड-19 के वेरिएंट हमारे ऊपर ज्यादा प्रभाव नहीं डाल पाए। उन्होंने कहा कि इस समय 2025 तक भारत सरकार का लक्ष्य टीबी मुक्त भारत बनाना है जिस पर सरकार गंभीरता से कार्य कर रही है। टीबी के लिए गरीबी और कुपोषण महत्वपूर्ण कारक है और इसके मरीज शहरों में ज्यादा पाए जाते हैं। 33% मरीज जिन्हें टीबी होता है वह 15 से 30 आयु के लोग होते हैं। उन्होंने अपने संबोधन में विद्यार्थियों से कहा कि आप स्वयं पर भरोसा रखें। स्वयं के लिए बनाई गई पुरानी धारणाओं को तोड़े और स्वयं के दायित्व को महत्व दें। मल्टीडिसीप्लिनरी अप्रोच को अपनाएं और विज्ञान को समाज से जोड़ने का कार्य करें।
मुख्य सचिव (उच्च शिक्षा) शैलेश बगोली ने अपने उद्बोधन में कहा कि उत्तराखंड एक अपेक्षाकृत नया राज्य है उसके बावजूद भी उत्तराखंड ने बेहद कम समय में अच्छी प्रगति की है। प्रति व्यक्ति आय के मामले में हम अग्रणी राज्यों में सम्मिलित हैं। उत्तराखंड की भौगोलिक परिस्थितियों के हिसाब से चुनौतियों के साथ अवसरों की भी प्रचुरता है। उन्होंने मुक्तेश्वर के एक स्टार्टअप का जिक्र करते हुए कहा कि स्थानीय युवाओं के द्वारा बिच्छू घास का उपयोग करते हुए एनीमिया का उपचार किया जा रहा है। यहां की बद्री गाय बहुत ही उपयोगी है। उत्तराखंड में स्वरोजगार के अनेक अवसर हैं और यहां के एजुकेशन सिस्टम बेहतर तरीके से काम कर रहे हैं। दून विश्वविद्यालय एक ऐसा विश्वविद्यालय है जहां अन्य विश्वविद्यालय की तुलना में पहले से ही ऐसे कोर्स चल रहे हैं जो रोजगार परख हैं।
यूकोस्ट के डायरेक्टर जनरल डॉ दुर्गेश पंत ने कहा की आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस हेल्थ केयर सिस्टम में एक क्रांतिकारी परिवर्तन ला सकता है और भारत हेल्थ केयर में चुनौतियों को अवसर के तौर पर स्वीकार कर रहा है। इसका उदाहरण कोविड-19 काल के दौरान देखा गया। भारत एक ऐसा देश है जो समस्त विश्व को साथ लेकर चलने की बात करता है और भारत के पास विश्व को मार्गदर्शन करने के लिए मजबूत एवं आधारभूत संरचना है।
दून विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर सुरेखा डंगवाल ने कहा कि माननीय प्रधानमंत्री ने G 20 प्रेसिडेंसी की थीम “वसुधैव कुटुंबकम: एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य” रखी है। यह उत्तराखंड के लिए बेहद गर्व का विषय है कि पूरे भारतवर्ष में 75 विश्वविद्यालयों में से दून विश्वविद्यालय को g20 प्रेसिडेंसी से संबंधित कार्यक्रमों को कराने के लिए चुना गया है। इस तरह के अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम कराने से संपूर्ण विश्व को यह जानकारी मिलेगी की विश्व के तमाम संकटों का हल भारतीय ज्ञान परंपरा के रूप में भारत के पास है जिसे उचित माध्यम से विश्व पटल पर लाने की आवश्यकता है।
इस कार्यक्रम के समन्वयक प्रोफेसर आरपी ममगई थे । मंच का संचालन डॉ विपिन कुमार के साथ साथ दो छात्राओं अनाहिता सिंघल एवम युक्ता मनराल द्वारा किया गया. इस कार्यक्रम के दौरान दून विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉक्टर एमएस मंदरवाल, प्रोफेसर हर्षपति डोभाल, प्रोफेसर कुसुम अरुणाचलम, डॉ रीना सिंह, डॉक्टर सविता तिवारी, डॉ मधु बिष्ट, डॉ अरुण कुमार, डॉ प्रीति मिश्रा, डॉ राजेश भट्ट, डॉ सुधांशु जोशी, डॉक्टर नरेंद्र रावल, डॉक्टर रीना सिंह, डॉ स्मिता, डॉक्टर अखिलेश, डॉक्टर सुनीत नैथानी आदि उपस्थित रहे।