उत्तराखंड

टीएमयू के एग्री स्टुडेंट्स ने समझीं कूड़े को कम्पोस्ट बनाने की प्रक्रिया

तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी के कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चर साइंसेज की ओर से बीएसएसी एग्रीकल्चर फर्स्ट ईयर के स्टुडेंट्स ने जनपद मुरादाबाद के आदर्श गांव मौढा तैइया का भ्रमण करके बचे अपशिष्ट, पराली, घास और गोबर को कम्पोस्ट में बदलने की बारीकियों को जाना

तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी के कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चर साइंसेज की ओर से बीएससी एग्रीकल्चर- फर्स्ट ईयर के स्टुडेंट्स ने मौढा तैइया, मुरादाबाद का भ्रमण किया, जिसमें स्टुडेंट्स ने गांव में बचे अपशिष्ट, पराली, घास और गोबर को कम्पोस्ट में बदलने की बारीकियों को जाना। इसमें गांव के बचे हुए अपशिष्ट का नाडफ कम्पोस्ट बनाने का तरीका जाना। साथ ही गांव की नर्सरी में स्टुडेंट्स ने विभिन्न पौधों को तैयार करने की विधि, नई-नई किस्में तैयार करने आदि के बारे में विस्तार से समझा।

छात्र-छात्राओं ने फूलों की विभिन्न किस्मों जैसे- पेटूनिया, गुलहड, पोर्टूलाका, गेंदा, गुलाब, डहेलिया, गुलमेंहदी को नर्सरी में तैयार करने की बारीकियां सीखीं। कम्पोस्ट विधि में सभी अपशिष्ट को एक टेंक में भर दिया जाता है। इसके बाद उसे मिट्टी और गोबर की परत से ढक देते हैं, जो लगभग तीन माह में कम्पोस्ट बन जाता है। इससे पूर्व डीन स्टुडेंट वेलफेयर प्रो. एमपी सिंह के दिशा-निर्देश पर एग्रीकल्चर कॉलेज के डीन प्रो. प्रवीन जैन डॉ. बलराज सिंह, डॉ. सुनील कुमार, डॉ. उपासना, डॉ. लक्ष्मीकांत त्रिपाठी आदि ने स्टुडेंट्स को विजिट के लिए कॉलेज से रवाना किया।

गांव के प्रधानपति श्री नरेन्द्र सिंह बताते हैं, गांव के कचरे को एक स्थान पर जमा कर लेते हैं। जहां पर प्लास्टिक, कपड़ा, मेडिकल बेस्ट को अलग-अलग कर लिया जाता है। श्री सिंह ने बताया, सरकारी वित्तीय सहायता से 18 वर्मी कम्पोस्ट बनाए गए हैं, जिनमें किसान अपने पशुओं के गोबर को केचुए की सहायता से वर्मी कम्पोस्ट में बदलते हैं। जो फसलों के लिए बेहद लाभदायक होता है।

इस प्रकार बने कम्पोस्ट को गांव के किसान अपने खेत में प्रयोग करते हैं और जैविक खेती को बढ़ावा दे रहे हैं। इससे गांव का पर्यावरण को स्वच्छ बनाने में मदद मिलती है। ग्रामीणों ने बताया, गांव में कमलककड़ी की खेती बड़े स्तर पर की जाती है। यह ग्रामीणों की आय का मुख्य साधन भी है। शैक्षिक भ्रमण में फैकल्टीज़ डॉ. सच्चिदानंद सिंह, डॉ. मनदीप रावत और डॉ. नेहा शर्मा के संग-संग स्टुडेंट्स अंवाला तेजस्विनी, अर्चना पीयस, छवि पाल, अदिति झा, दर्शन जैन, छोटन, विश्वजीत कुमार, आनंद राज, अश्विनी शर्मा समेत करीब 40 छात्र-छात्राएं मौजूद रहे।

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