उत्तराखंड

भूगर्भीय सर्वेक्षण करवा कर उपयुक्त पाए जाने के बाद ही निर्मार्ण किया जाए: जोत सिंह बिष्ट

दीपावली के दिन उत्तरकाशी जिले में यमनोत्री मार्ग पर सिल्क्यरा-डंडाळगाँव निर्माणधीन टनल पर हुए भू-धसाव के कारण बड़ी संख्या में मजदूरों की जान संकट में हैं। टनल के 200 मीटर अन्दर हुए भूधसाव में फसें मजदूरों को बाहर कब तक निकाला जाएगा बताना मुश्किल हैं। यह कोई पहली घटना नहीं है जब इस तरह का भू-धसाव हुआ है। इससे पहले रैणी गाँव में जो हादसा टनल के अन्दर हुआ, जोशीमठ भूधंसाव में जिस तरह से दरारे आई, चंबा टनल की दरारों की खबर से लेकर ऋषिकेश – कर्णप्रयाग रेल लाइन के लिए बनायी जा रही अनेक टनल के निर्मार्ण के दौरान भू-धसाव और उनके ऊपर बसे गाँव में दरारों की ख़बरों से सबक लेने की जरूरत थी।

सब जानते हैं कि उत्तराखंड जोन 4, जोन 5 का अति संवेदनशील क्षेत्र हैं। यहाँ पर पहाड़ियाँ नई होने के कारण काफी कमजोर हैं, इसलिए किसी भी टनल को बनाने से पहले उस भूभाग का बृहद भूगर्भीय सर्वेक्षण कराया जाना अत्यंत आवश्यक है। लगता है कि निर्मार्ण कंपनियों को सहूलियत देने के नाम पर उत्तराखंड सरकार उनका कार्य अनुभव देखे बिना कार्यों का आवंटन कर रही है। सिल्क्यारा टनल के निर्माण हेतु जिस कंपनी से मूल विभाग का अनुबंध हुवा था, उसने यह काम किसी दूसरी कंपनी को दे दिया हैं। इस टनल में भूधसाव की खबरे पहले से भी सुनाई दे रही थी, जिसको निर्माण कंपनी ने अनदेखा किया, इसी का परिणाम है कि बड़े भू धंसाव से अब सिल्क्यारा में तीन दर्जन से अधिक मजदूरों की जान पर बनी हुई हैं।

मैं सभी मजदूरों की सुरक्षित वापसी की कामना के साथ राहत और बचाव के काम पर कोई शिकायत या सवाल करने के बजाय सरकार से आग्रह करता हूँ कि उत्तराखंड के अन्दर रेलवे और सड़क परिवहन के लिए प्रस्तावित सुरंगों जिनकी संख्या 58 के लगभग बाताई जा रही है के निर्माण से पहले प्रत्येक टनल का व्यापक भूगर्भीय सर्वेक्षण करवा कर उपयुक्त पाए जाने के बाद ही निर्मार्ण किया जाए। अन्यथा विकास की अंधाधुंध दौड़ में पूरा उत्तराखंड तहस नहस हो जायेगा।

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