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सेटेलाइट से बने खतरा जोन, फिर भी नहीं हुई समय पर कार्रवाई

वैज्ञानिकों ने ऊपरी मंदाकिनी, भागीरथी और अलकनंदा बेसिन में सेटेलाइट के जरिए नक्शे और खतरा जोन तैयार किए हैं। अध्ययन में पाया गया कि 2020 से 2023 के बीच इन क्षेत्रों में ग्लेशियर लगातार सिकुड़ रहे हैं—
• भागीरथी ग्लेशियर: 0.22% प्रति वर्ष
• मंदाकिनी ग्लेशियर: 0.7% प्रति वर्ष
• ऋषिगंगा ग्लेशियर: 0.11% प्रति वर्ष

मानसून से पहले और बाद दोनों मौसम में हिमनदी झीलों का आकार भी मापा गया, जो लगातार बढ़ रहा है।

धराली-हर्षिल में 60 लाख लीटर पानी प्रति सेकेंड
भारी बारिश के दौरान बाढ़ का अनुमान लगाने के लिए वैज्ञानिकों ने फ्लड मैप और पानी भराव के नक्शे तैयार किए। भागीरथी घाटी में 24 घंटे की 200 मिमी बारिश की स्थिति में करीब 80 लाख लीटर प्रति सेकेंड पानी बहने का आकलन किया गया।
पांच अगस्त को धराली और हर्षिल में लगभग 150 मिमी बारिश दर्ज हुई, जिससे करीब 60 लाख लीटर प्रति सेकेंड पानी खीरगंगा और हर्षिल क्षेत्रों में पहुंचा। यह पानी अपने साथ भारी मात्रा में पहले से जमा मलबा भी बहाकर लाया।

आईआईआरएस रिपोर्ट में साफ चेतावनी
भारतीय अंतरिक्ष अनुप्रयोग संस्थान (IIRS) ने 2023-24 की वार्षिक रिपोर्ट में उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (USDMA) के साथ हुए एमओयू और माउंटेन हाजार्ड असेसमेंट एंड मॉनिटरिंग (MHAM) का उल्लेख किया है। रिपोर्ट में हर्षिल वैली में बारिश, बाढ़, मलबा और नुकसान की संभावनाओं को ग्राफ और डेटा के माध्यम से दर्शाया गया है। सवाल यह है कि क्या इस डेटा का समय पर विश्लेषण कर बचाव के कदम उठाए गए थे या नहीं।

लापरवाह अफसरों पर कार्रवाई की मांग
वरिष्ठ भाजपा नेता रविंद्र जुगरान ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मांग की है कि आईआईआरएस की चेतावनी के बावजूद कार्रवाई न करने के मामले की जांच कर जिम्मेदार अफसरों पर दंडात्मक कार्रवाई की जाए। उन्होंने आरोप लगाया कि आपदा प्रबंधन विभाग अब ‘घोटाला प्रबंधन विभाग’ बन चुका है। जुगरान ने कहा कि वह इस संबंध में विस्तृत रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंपेंगे और दोषी अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने की मांग करेंगे।

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