Uncategorizedउत्तराखंडसामाजिक

समिति के कार्यों पर चर्चा

कोठारी पर्वतीय विकास समिति के कार्यकारी स्थान चेलुसैन पौड़ी गढ़वाल में एक समिति सदस्य कार्यकारी बैठक की गई, जिसका उद्देश्य संस्था द्वारा किए गए कार्यों की व्याख्या एवं समीक्षा की गई, संस्था के अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद ने समिति द्वारा किए गए प्रत्येक कार्य की समीक्षा पर गहन चर्चा की गई, वर्ष २०१६ से लगातार उत्तराखंड की ग्रामीण भूमि पर रह रहे संस्था के फाउंडर एवं सचिव सुनील दत्त कोठारी (वंश परंपरागत वैद्य एवं हर्बल की विशेषज्ञ) के कार्यों को धरातल पर उतारने एवं प्रशिक्षण कार्यक्रम के द्वारा उत्तराखंड की स्वयं सहायता समूह की महिलाओं एवं किसान समूह को प्रशिक्षण के द्वारा आजीविका मिशन के तहत जोड़ने की कार्य को उत्तम एवं विश्व स्तर का बताया! साथी साथ अनेक प्रकार के अनुसंधान आत्मक कार्य का आधार लेकर प्रमाणिकता गुणवत्ता तथा बाजारीकरण की मुहिम से जुड़ती हुई उत्तराखंड की संस्कृति एवं खाद्य पदार्थ होगी नई श्रृंखला वंश परंपरागत वैद्य विद्या द्वारा बनाए गए “रुचिकर एवं स्वास्थ्य वर्धक”गतिमान कार्यक्रम पर सुझाव आत्मक चरणों में प्रत्येक कार्य में प्रत्येक सदस्य की कटिबद्धता को दोहराया, संस्था से जुड़ी हुई स्वयं सहायता समूह की महिलाओं के द्वारा प्रशिक्षण के बाद वस्तुओं को निर्माण की प्रक्रिया को बाजारीकरण की मुहिम से जुड़ने का उत्तम कार्य कर रहे हैं, साथ ही साथ संस्था को विगत दो-तीन वर्षों में अनेक प्रकार के पुरस्कारों एवं सम्मान से नवाजा गया।

गुणवत्ता, प्रमाणीकरण, प्रशिक्षण तथा बाजारीकरण को ध्यान में रखते हुए अनेक प्रकार की उत्पादित नियमित रूपांतरण विधि निर्माण चर्चा तथा अनुसंधान व कार्य के लिए प्रतिबल संस्था कार्यशील है। इसी संदर्भ में उपाध्यक्ष के द्वारा चर्चा की गई तथा अध्यक्ष के संज्ञान में लगभग संस्था के द्वारा अनुसंधान लगभग 170 प्रकार के वस्तुओं का निर्माण तथा बाजारीकरण की मुहिम से जोड़ा जा रहा है।
इस बैठक में नई मुहिम को बल देने के लिए सुनील दत्त कोठारी द्वारा मधुमक्खी पालन एवं स्थानीय पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभाव पर चर्चा का विषय बन रहा, कोठारी ने अगले प्रशिक्षण एवं उत्पादन के विषय में मधुमक्खी पालन पर बल देते हुए कहा, इसके द्वारा अंतरराष्ट्रीय बाजार पर आसानी से उत्तराखंड के उत्पाद का भी काबिज कर सकते हैं ,साथी साथ स्थानीय स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को आर्थिक रूप से बल भी प्रदान किया जा सकता है।
प्रत्येक पहलू को चर्चा की नजर से देखते हुए एवं अनुसंधान एवं प्रशिक्षण तथा रोजगार परक मुहिम को लेते हुए विशेष प्रसगीक किया गया गया,
इस बैठक में ध्वनि मत के साथ सभी सदस्य ने एकमत दिखाते हुए निम्नलिखित पहलुओं पर सहमति जताई, मधुमक्खी पालन के महत्व को उजागर करने के लिए शुद्ध परंपरागत विधि से शहरी क्षेत्रों में प्रवृत्तियों का अध्ययन एवं “संपूर्ण भोजन शहद”की विस्तृत कार्यक्रम पर मोहर लगी मधुमक्खी पालन के द्वारा स्वरोजगार मिशन पर बल दिया जाएगा।
१. प्रशिक्षण एवं कौशल विकास: इसके अंतर्गत स्थानीय स्वयं सहायता समूह एवं किसान संघ को समय-समय पर भौतिक आर्थिक एवं सामाजिक के अध्ययन के अनुसार पाठ्यक्रम का निर्माण एवं कौशल पाठ्यक्रम चला जाएगा।
२. मधुमक्खी फॉर्म की स्थापना आधुनिक प्रणाली की क्रियाशीलता को लेते हुए कार्य करना!
३. जंगली शहद एवं अन्य किसानों द्वारा उत्पादित शहद को बाजारीकरण से जोड़ना: इस प्रकार के शहद को इकट्ठा कर, वैज्ञानिक तरीका तथा परंपरागत तरीके को ध्यान में रखकर मंचन एवं उत्पादन तैयार करना।
४. विंटेज हनी की शुरुआत: वंश परंपरागत विधियों में विंटज यानी पुराना शहद प्राचीन काल से औषधीय एवं सेहत का सूचक रहा है, आधुनिकरण प्रमाणीकरण के द्वारा इस श्रृंखला को बाजार में उतारा जाएगा। इसके अंतर्गत 5 वर्ष, 10 वर्ष, 15 वर्ष तथा 20 वर्ष तक की श्रृंखला बाजार में उतर जाएगी।
सभी सदस्यों ने ध्वनि मत कर इस मुहिम पर बल प्रदान किया, यह कार्यक्रम आगामी नवंबर२०२३ से बाजारी व्यवस्था में समावेशित किए जाने की संभावना प्रकट की गई!

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button