उत्तराखंड

अवैध खनन पर डीएम का आन द स्पॉट सख्त कार्यवाही के आदेश

देहरादून : जिलाधिकारी सविन बसंल ने खनन माफियाओं पर सख्त आदेश जारी करते हुए नए कानून का सख्त हंटर चलाया है। डीएम ने आदेश जारी कर कम्पांउडिंग/पेनल्टी के खेल पर भी रोक लगेगी। डीएम ने समीक्षा बैठक के दौरान अधिकारियों को निर्देश दिए कि अधिकारी कड़े शब्दों में निर्देश दिए थे।

अवैध खनन, भण्डारण एवं निर्धारित क्षमता से अधिक खनन एवं परिवहन पर सीधा दर्ज हो बीएनएस में मुकदमा एवं वाहन जब्त। डीएम ने कहा कि चंद एक प्रभावी प्रवर्तन से ही करना है अवैध होसलों को पस्त किया जा सकता है इसके लिए उन्होंने राजस्व विभाग, व्यापार कर, जी०एस०टी०, वन, सिंचाई, खनन व अन्य समस्त सम्बन्धित विभागो की बहुत बारीकी से जिम्मेदारी तय कर दी है।

अवैध खनन, अवैध भण्डारण व परिहवन का प्रकरण संज्ञान में आने पर कार्यवाही न किए जाने पर जिस क्षेत्र/विभाग के अधिकारी की संलिप्तता सामने आए, उसका सरंक्षण मानते सुसंगत धाराओं में होगी विधिक कार्यवाही। आदेशों में शिथिलता बरतने का काई स्कोप नही।

नैनीताल में जिलाधिकारी रहते खनन के अवैध खनन के विरूद्ध व्यापक अभियान चलाते हुए खनन माफियाओं पर की गई थी सख्त कार्यवाही। वहीं अवैध खनन पर प्रभावी नियंत्रण हेतु मुकदमा दर्ज करने में जेडी लॉ/अभियोजन अधिकारी की जिम्मेदारी भी तय की गई है।

जिलाधिकारी ने निर्देशित किया है कि शासन की नीतियों व आदेशों के साथ-साथ समय-समय पर मा० उच्च न्यायालय द्वारा व्यक्त की गयी भावनाओं एवं चिन्ताओं के आलोक में दिये गये निर्देशों/ आदेशों के तहत उप खनिजो के अवैध खनन / चुगान, अवैध भण्डारण एवं अवैध परिवहन में प्रभावी अंकुश लगाया जाना व्यापक जनहित, राजकीय हित, कानून व्यवस्था व लोक शान्ति बनाये रखने की दृष्टि से अत्यन्त आवश्यक है।

उपरोक्तानुसार दिये गये निर्देशो की उपेक्षा अथवा अवहेलना जहाँ एक ओर सम्बन्धित अधिकारी/ कार्मिक का उत्तराखण्ड राज्य कर्मचारी आचरण नियमावली के 3 (1), 3(2) का उल्लंघन होगा, वही दूसरी और अन्य सुसंगत प्राविधानो के साथ-साथ कानून व्यवस्था और लोक शान्ति की दृष्टि से दिये गये आदेशों का उल्लंघन मानते हुए भारतीय न्याय संहिता की धारा 223 के अन्तर्गत दण्डनीय भी होगा।

जिलाधिकारी ने सम्बन्धित उपजिलाधिकारी को आदेशित किया है कि यह सुनिश्चित कर लें कि उक्त दिये गये निर्देशानुसार अक्षरशः अनुपालन सुनिश्चित किया जायेगा। निकट भविष्य में उनके द्वारा (डीएम) के द्वारा इस सम्बन्ध में समीक्षा की जायेगी। यदि यह पाया जाता है कि किसी उपजिलाधिकारी द्वारा उक्त के सम्बन्ध में शिथिलता बरती गयी है तो सम्बन्धित के विरूद्ध प्रतिकूल मन्तव्य वार्षिक गोपनीय प्रविष्टि में निर्गत किया जायेगा।

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