उत्तराखंड

मुस्कुराहट बांटकर मासूम बच्चों को किया चिकित्सकों ने सम्मानित

कहावत है कि बच्चे भगवान का रूप होते हैं और इनकी सेवा भगवान की सेवा के बराबर है। जनजागरूकता के एक कार्यक्रम के माध्यम से एम्स ऋषिकेश के डाॅक्टरों ने ऐसे ही कुछ बच्चों के साथ न केवल अपनी मुस्कुराहट बांटी अपितु उन्हें खेल-खिलौने देकर पुरस्कृत भी किया। ये सभी वो बच्चे हैं जिन्हें जन्मजात दिल की बीमारियां थीं और एम्स के सीटीवीएस विभाग में इलाज होने के बाद अब वह खुशनुमा स्वस्थ जीवन बिता रहे हैं।

एम्स में हृदय, छाती एवं रक्त वाहिनी शल्य चिकित्सा विभाग (सी.टी.वी.एस) के अधीन जन्मजात दिल की बीमारियों से ग्रसित छोटे बच्चों का इलाज भी किया जाता है। ठीक होने के बाद अपने परिवार के साथ खुशहाल जीवन व्यतीत कर रहे ऐसे बच्चों को सीटीवीएस विभाग द्वारा एक कार्यक्रम के तहत सम्मानित किया गया।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए संस्थान की कार्यकारी निदेशक प्रो. मीनू सिंह ने कहा कि अभिभावकों को चाहिए कि वो जन्मजात दिल की बीमारियों से ग्रसित बच्चों को बोझ न समझें। बच्चे भगवान का रूप होते हैं। जन्मजात बीमारियों का यदि समय रहते इलाज करवा दिया जाय तो आगे चलकर ऐसे बच्चे भी खुशहाल जीवन जी सकते हैं। उन्होंने कहा कि दिल की जन्मजात बीमारियों वाले बच्चों का एम्स ऋषिकेश में सम्पूर्ण इलाज उपलब्ध है। यह इलाज सरकार की योजना के तहत निःशुल्क किया जाता है।

सीटीवीएस विभाग की एडिशनल प्रोफेसर और कार्यक्रम की आयोजन अध्यक्ष डाॅ. नम्रता गौर ने बताया कि जन्मजात बीमारियों में शरीर का रंग अचानक नीला पड़ना और दिल मे छेद का होना प्रमुख तौर से शामिल हैं। दोनों ही बीमारियां घातक हैं और गंभीर किस्म की हैं। उन्होंने बताया कि पिछले एक वर्ष के दौरान विभाग द्वारा ऐसे लक्षणों वाले 40 से अधिक बच्चों का इलाज किया जा चुका है।

बताया कि ऐसे बच्चों का 3 वर्ष की उम्र से पहले इलाज करवा देना चाहिए अन्यथा इलाज के अभाव में आगे चलकर उनका जीवन खतरे में पड़ सकता है। डॉक्टर नम्रता ने बताया कि दिल की बीमारियों से संबन्धित जन्मजात बीमारियों के बच्चों का इलाज आयुष्मान स्वास्थ्य योजना और राष्ट्रीय बाल सुरक्षा कल्याण योजना के तहत सरकारी दरों पर निःशुल्क किया जाता है। कार्यक्रम के आयोजन सचिव और विभाग के एसोशिएट प्रो. डाॅ. अनीश गुप्ता ने बताया कि कार्यक्रम के दौरान बच्चों का स्वास्थ्य संबन्धित फाॅलोअप भी लिया गया। साथ ही अभिभावकों से बच्चों के स्वास्थ्य की विस्तृत जानकारी लेकर उन्हें स्वास्थ्य संबन्धित आवश्यक परामर्श दिया गया।

कार्यक्रम को डीन एकेडेमिक प्रो. जया चतुर्वेदी, चिकित्सा अधीक्षक प्रो. संजीव कुमार मित्तल, संस्थान के उप निदेशक (प्रशासन) ले. कर्नल अमित पराशर, सीटीवीएस विभाग के हेड डाॅ. अंशुमान दरबारी, डाॅ. संतोष कुमार, डाॅ. प्रतीक पाण्डा, डाॅ. यश श्रीवास्तव और डाॅ. दानिश्वर मीणा आदि ने भी संबोधित किया। कार्यक्रम में डाॅ. भानु दुग्गल, डाॅ. एन.के. भट, डाॅ. रविकान्त, डाॅ. शैलेन्द्र हाण्डू, डाॅ. प्रशान्त पाटिल, डाॅ. वरूण, डाॅ. अजय मिश्रा, डाॅ. प्रदीप कुमार अग्र्रवाल सहित कई अन्य विभागों के चिकित्सक और प्रतिनिधि उपस्थित रहे।

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