उत्तराखंड

डॉ महेंद्र ने किया यूरोप खरपतवारों से आजीविका सृजन पर किया शोध पत्र प्रस्तुतिकरण

रामचंद्र राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्याल उत्तरकाशी के वनस्पति विज्ञान विभागाध्यक्ष डॉ महेंद्र पाल सिंह परमार यूरोप के लूसर्न में 5,6 व,7 जून 2024 को उत्तराखंड के खरपतवारों (बायो रिसोर्स ) पर 7 जून को किया ।

शोध पत्र प्रस्तुत डॉ परमार ने बताया कि वनस्पति जगत में कोई भी वनस्पति निष्प्रयोज्य नहीं है परंतु हम जानकारी,शोध ज्ञान के आभाव में कुछ पौधों को निरर्थक अथवा खरपतवार समझते है जो हमारी मुख्य फसलों नुकशान पहुंचाते हैं वहीं यदि हम दूसरे पक्ष से देखें आखिर उनमें कौनसा रसायन होता है जो हमारे काम आ जाय उनसे हम कई आयुर्वेदिक/होम्योपैथिक दवा ,जैविक जीवनाशी,कीटनाशी,खरपतवार नाशी या पौधों के जैविक पोषक तत्व तक भी बना सकते है ।

डॉ परमार ने बताया कि उत्तराखंड में बायो रिसोर्स बहुत अधिक होने के साथ रसायन मुक्त अथवा जैविक भी है परंतु आजकल पूरा उत्तराखंड आग की चपेट में है यदि समय रहते उसे निकाला जाय या हटाया जाए तो उनसे कई प्रकार की औषधी ,जीव नाशी,कीटनाशि, जैविकनाशी आदि बनाकर जंगलों को आग से बचाकर उससे आजीविका सृजित कर सकते है जो कि नई शिक्षा नीति के अनुसार छात्रों को Earn While you Learn के साथ आजीविका सृजन की और अग्रसर कर सकती है व वहीं दूसरी और जंगलों की आग लगने से बचाया जा सकता क्योंकि आग से सारा पारिस्थिक तंत्र खत्म हो रहा है जिसके चलते जंगलों का आस्तित्व बहुत खतरे में है ।

डॉ परमार ने बताया कि यहां पर कंडाली अर्थात नीटल लीफ बहुत अधिक मात्रा के पाई जाती है जिसकी चाय अमेज़न अथवा फ्लिप्कार्ड पर 4 से 5 हजार रुपये किलो मिल रही है परंतु इसके विक्रेता स्थानीय नहीं बल्कि दिल्ली के हैं वही दूसरी ऒर खरपतवारों में काला बांसा, लैंटाना, टिमरू,किनगोड़ आदि 20से भी ऊपर खरपतवार बहुतायत में पाई जाती है व जिनकी कई प्रकार के द्ववाईया व टिंक्चर बड़ी बड़ी कम्पनी बेच रही है परंतु स्तानीय स्तर पर कोई उद्योग नही है क्योंकि जानकारी के अभाव व व्यापारीय रहस्य न जानकर हमेशा नोकरी की और अग्रसर है ।
बतादें डॉ परमार ने पूर्व में ही काशी विश्वनाथ पर चढ़ने वाली बेलपत्री की भी कई गुणों से भरपूर चाय बनाई जो कि कंडाली,बुरांश आदि के साथ मिलाकर ऑनलाइन ऑफलाइन बेची जा रही है ।

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