एम्स ऋषिकेश में विश्व ग्लूकोमा सप्ताह विधिवत शुरू हो गया। जिसके तहत रविवार को उत्तराखंड राज्य नेत्र रोग सोसायटी के तत्वावधान में नेत्र विज्ञान विभाग, एम्स ऋषिकेश की ओर से ग्लूकोमा जनजागरूकता संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें विभिन्न क्षेत्रों से सम्मिलित हुए विशेषज्ञों ने व्याख्यानमाला प्रस्तुत की। गौरतलब है कि इस वर्ष 12 से 18 मार्च -2023 विश्व ग्लूकोमा सप्ताह के रूप में मनाया जा रहा है। सप्ताह के अंतर्गत रविवार को एम्स ऋषिकेश में “ग्लूकोमा – स्क्रीनिंग और उपचार के तौर-तरीके- एक अद्यतन” विषयक सीएमई का आयोजन किया गया।
जिसका शुभारंभ मुख्य अतिथि संस्थान की कार्यकारी निदेशक और सीईओ प्रोफेसर( डॉ.)मीनू सिंह व विशिष्ट अतिथि डीन एकेडमिक्स प्रोफेसर जया चतुर्वेदी ने किया। अतिथियों ने गंभीर बीमारियों को लेकर जनजागरूकता के लिए ऐसे आयोजनों को नितांत आवश्यक बताया और इसके लिए आयोजन समिति की प्रशंसा की। सीएमई का आयोजन एम्स के नेत्र विज्ञान विभागाध्यक्ष व आयोजन समिति के अध्यक्ष प्रो. संजीव कुमार मित्तल, आयोजन सचिव प्रो. अजय अग्रवाल, डॉ. अनुपम, डॉ. नीति गुप्ता और डॉ. रामानुज सामंत के मार्गदर्शन में किया गया।
आयोजन में लगभग 70 प्रतिनिधियों ने शिरकत की। इस अवसर पर डॉ. नीलम वर्मा और प्रोफेसर अजय अग्रवाल समेत कई अन्य विशेषज्ञों ने व्याख्यान प्रस्तुत किए। इस दौरान वक्ताओं ने ग्लूकोमा का जल्द पता लगाने और शीघ्र उपचार शुरू करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि चूंकि ग्लूकोमा से आंखों की रोशनी चली जाती है। वजह ग्लूकोमा के बहुत कम या कोई लक्षण नहीं होते हैं, लिहाजा ग्लूकोमा से संबंधित अंधेपन को रोकने के लिए आंखों की नियमित जांच बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने जनसमुदाय से जीवन को अंधकार में धकेलने वाली इस बीमारी से समुचित बचाव के लिए समय समय पर विशेषज्ञ चिकित्सक से नेत्र परीक्षण व परामर्श लेने को कहा है।