उत्तराखंड

रोज़गार को मौलिक अधिकार बनाएं, नशे के सौदागरों और उन्हें राजनीतिक संरक्षण देने वालों को बेनक़ाब करें

अल्मोड़ा। नशा नहीं रोज़गार दो जनअभियान को लेकर यहां हुई बैठक में सामाजिक, राजनीतिक संगठनों से नशे के सौदागरों, उन्हें राजनीतिक संरक्षण देने वालों को बेनक़ाब करने, रोज़गार को मौलिक अधिकार बनाने की मांग तेज़ करने को लेकर संगठित होने की अपील की। उपपा कार्यालय में हुई बैठक में अभियान के संयोजक पी सी तिवारी के कहा कि नशे व बेरोज़गारी के अभिशाप से मुक्ति के बिना उत्तराखंड की अवधारणा साकार नहीं हो सकती है।
बैठक में अभियान को विद्यालयों, कॉलेजों, शिक्षा संस्थानों व अभिभावकों तक पहुंचाने के लिए युवाओं की टीम तैयार करने का फैसला लिया गया।
अभियान की बैठक में शिक्षा विभाग से नशे के सवाल पर विद्यालयों में छात्रों व अभिभावक समितियों की बैठक आयोजित करने की अपील भी की और जिन क्षेत्रों में पिछले कुछ दशकों में नशे से मुक्ति के लिए आंदोलन हुए हैं उन क्षेत्रों में विशेष प्रयास करने पर बल दिया गया।

जनअभियान ने प्रशासन से समाज को नशा मुक्त करने हेतु राष्ट्रीय सेवा योजना (एन एस एस), एन सी सी, नेहरू युवा केंद्र संगठन, पैरा लीगल वॉलेंटियर, आशा, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं जैसी संस्थाओं, श्रमिक, कर्मचारियों, महिला समूहों को भी एकजुट करने की अपील की।

वक्ताओं ने कहा कि हर तरह के चुनावों में जिस तरह से युवाओं व अन्य लोगों को नशे व पैसे से गुमराह किया जाता है उसमें शामिल पार्टियों को अपनी इन हरकतों के प्रति खेद प्रकट करते हुए भविष्य में इससे तौबा करने का संकल्प भी लेने की अपील की।
अभियान के नेतृत्वकारी साथियों ने कहा कि जनअभियान को उत्तराखंड के तमाम संगठनों का सक्रिय सहयोग मिल रहा है, जिससे यह अभियान राज्य की दशा- दिशा को बदलने का सफल अभियान साबित होगा।

बैठक की अध्यक्षता एडवोकेट नारायण राम, व संचालन सोनी मेहता ने किया। बैठक में मुहम्मद साकिब, चंपा सुयाल, कमला, राजू गिरी, अनीता बजाज, उछास की भावना पांडे, पंकज सिंह पाना समेत कई लोग मौजूद रहे।

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