उत्तराखंडसामाजिक

जानकारों से चर्चा कर बनाए उत्तराखंड के विकास का मौडल

देवी सिंह पंवार
लम्बगांव। उत्तराखंड में यहां ऋषि-मुनियों की धरती है और वह लोग बहुत समझदार थे जिन्होंने गेट सिस्टम इन धामों के लिए बनाया गया था ओर अब यहां के लोग बहुत चतुर हैं जिन्होंने अपने स्वार्थ को देखते हुए और ओलवेदर रोड के नाम से रोड बनाने का कार्य शुरू किया है इसमें आदमी आंख बंद करके चल रहा है दुर्घटनाएं ज्यादा हो रही है और यात्री भी पिकनिक के रूप में इन धामों में अधिकतर आ रहे हैं दार्शनिक बहुत कम है सरकार को अगर उत्तराखंड को बचाना है इन पहलुओं पर विचार करना पड़ेगा उत्तराखंड में जो भी कार्य योजना सरकार लाना चाहती है इससे पहले उत्तराखंड के राज ऋषि सामाजिक संगठन राजनेता सामाजिक कार्यकर्ता और यहां के ब्राह्मण कुल से जिनको जानकारी है इनके साथ चर्चा करके उत्तराखंड का विकास का मॉडल तैयार करना चाहिए यहां अपनी इच्छा से कोई भी कार्य योजनानहीं बननी चाहिए यहां पर जो भी प्रभावशाली व्यक्ति आता है वह अपने प्रभाव को दिखाते हुए मंदिर के गर्भ गृह में  गुस्सजाता है क्या यह आपको अच्छा लगता है क्या यहां के मंदिर और मठ की मर्यादा है नहीं न इसका परिणाम तो है जो आपको दिख रहा  है
 राजनीतिक प्रभाव का असर  मंदिरों में नहीं चलता यहां परमात्मा की मर्यादा का पालन करना पड़ता है हमारे आज भी ऐसे मंदिर है जिनके सामने जूता पहन कर के नहीं चला जाता है जिनके सामने से खड़े होकर के नहीं गुजरा जा सकता है इन परंपराओं को सरकार को बनाकर रखना चाहिए और मंदिर समिति को भी इस परंपरा के अनुकूल कार्य करना चाहिए ऐसा कार्यक्रम हमारे पुराने राजनेता भी करते थे और धर्म पुरोहित करते थे और भक्त भी इसके अंनकुल चलते थे आज के लोगोका कार्यक्रम अहंकारी कार्यक्रम है यहां जो एक साधारण व्यक्ति के लिए कानून बनाया जाता था उस कानून को हर प्रकार के व्यक्ति धारण करता था  चाहिए  प्रधानमंत्री हो या मुख्यमंत्री हो इसलिए मेरी आप सब से प्रार्थना है इस राज्य को जाना है य बचा कर रखना हैतो आप यहां के आध्यात्मिक   पुरुषो सहित  उन तमाम लोगों को सम्मिलित करते हुए उत्तराखंड विकास परिषद का गठन किया जाए तब जाकर यह धरती सुख चैन से रह सकती है हमने कभी नहीं सुना आज मेरी आयु भी 70 पार कर चुकी है मैंने भी इनधामौ मे  सड़क नापी है पैदल चलकर यात्रा की है गंगोत्री यमुनोत्री बद्रीनाथ केदारनाथ तुंगनाथ त्रिजुगीनारायण तपोवन यहां तक कि नेपाल से होते हुए मुक्ति नारायण तक गया हूं मुझे उत्तराखंड की संस्कृति उत्तराखंड के नियम कानून हर चीज की जानकारी है इसलिए मैं आज भी डरते डरते इस स्थान पर रहता हूं क्योंकि उत्तराखंड ही एक ऐसी जगह है जहां पर कण-कण में परमात्मा विराजमान है यह उत्तराखंड ऋषि मुनियों की तपस्थली है यहां की संस्कृति यहां का खानपान यहां का रहन-सहन इस देश से भिन्न है यहां की अलग पहचान है तभी तो लोग लाखों की संख्या में आते हैं हम ऐसे लोग हैं जो अपने राज्य को नहीं पहचान पाए 22 साल हो गए नया साल मना रहे हैं नया कुछ दिख ही नहीं रहा जागो और उत्तराखंड के लोगों को भी जगाने का काम करो यहां नेतागिरी नहीं चलती यहां धर्म नीति चलती है उत्तराखंड के मुख्यमंत्री जी से प्रार्थना है कि आप नौजवान हैं आपके परिवार से मैंने सुनाहैकि आपके पिताजी सेना में रहे हैं तो जिस व्यक्ति ने देश की सेवा की है उसके सुपुत्र को मुख्यमंत्री के रूप में उत्तराखंड की सेवा करने का मौका मिला है आप इस सेवा को धर्म नीति में परिवर्तन करिए और अच्छे अच्छे लोगों को अपने सात स्थान दीजिए वह भी ऐसे लोग जो शाकाहारी हो मर्यादा के अनुकूल चलते हो जो सबको एक समान देखें सबके अंदर परमात्मा के अंश देखें सबको अपने नाते रिश्ते के अनुकूल मां बहन सब को एक समान से देखें ऐसे लोग भी आपके साथ होना चाहिए यह मेरा एक छोटा सा सुजाव है मेरा अपना अनुभव है मैंने भी 3 साल तक इन तमाम मंदिर मस्जिद साधु संत जोगी फकीर सबका साथ किया है और कुल मिलाकर के यह निष्कर्ष पर पहुंचा है कि यह सब ड्रामा है परमात्मा कण कण में है तो घर में बैठकर के परमात्मा का ध्यान किया जा सकता है सुमरण किया जासकता है और जिन लोगों ने परमात्मा का स्मरण किया है उनका नाम आजभी इतिहास में दर्ज है  आप सब से प्रार्थना है आपके हाथ में इस राज की बागडोर है इसको आप बड़े बुजुर्गों के साथ   ऋषिमुनियोकेसात बेड करके इस राज्य की कार्य योजना बनाइए यह मैं पहली बार देख रहा हूं कि सर्दियों में भी  इस प्रकार का नुकसान उत्तराखणड मे होता है केवल अगर नुकसान की घटनाएं कहीं दिखाई पड़ती थी तो चतुर्मासके समय दिखाई पड़ती थी जब बारिश होती थी परंतु यह तो स्पष्ट है कि हम लोगों का जो भाव है वह सही नहीं है हम लोग उत्तराखंड को लूटना चाहते हैं उत्तराखंड को सजाना नहीं चाहते यह चाचा भतीजे का उत्तराखंड हो गया है यह उत्तराखंड रिश्तेदारों तक सीमित हो गया है यह भ्रष्टाचार का अड्डा बन गया है इसलिए मेरी सरकार में रह रहे उन महापुरुषों से अनुरोध है कि उत्तराखंड की धरती को अगर बचाना है तो उत्तराखंड का इतिहास आप पढ़िए और यहां का जो भूगोल है यहां के जो नियम है यहां की जो मर्यादा है  उन  परंपराओं के अनुकूल चलने की कृपा करें यह मेरी आप सब से प्रार्थना है। धन्यवाद
जय उत्तराखंड।

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