उत्तराखंड राज्य के ज्वलंत मुद्दों की मांग को लेकर भेजा ज्ञापन
सेवा में,
माननीय मुख्यमंत्री
उत्तराखंड
विषय:- उत्तराखंड राज्य के ज्वलंत मुद्दों की मांग विषयक।
द्वारा – जिलाधिकारी देहरादून।
महोदय,
उत्तराखंड राज्य के बने 23 वर्ष पूर्ण हो चुके है, लेकिन राज्य की जनभावना के अनुरूप आज भी उन सवालों का समाधान अभी तक की सरकारें नहीं कर पायी जो राज्य की मांग थी जिसके लिए जन संघर्ष किया गया। 42 शहादतों और जन स्पूर्ति आंदोलन को
नजर अंदाज सरकारें करती आयी है। उत्तराखंड क्रांति दल का स्पष्ट मानना है कि राज्य के विकास कि अवधारना सर्व प्रथम ज्वलंत मुद्दों का हल निकालना सरकार की जिम्मेदारी है, इसलिए दल मांग करता है कि –
1– जनभावनाओं के अनुरूप राज्य की स्थाई राजधानी गैरसैंण अविलम्ब घोषित किया जाय।
2- देश के संविधान के अनुरूप राज्य में मूलनिवास का आधार वर्ष 1950 निर्धारित करवाना , एक राज्य एक कानून के तहत मैदानी क्षेत्रों में भी मूलनिवास की व्यवस्था सुनिश्चित करवाना व स्थाई निवास प्रमाण पत्र जारी करने के मानकों की समीक्षा की जाय।
3- अनुच्छेद – 371 के अन्तर्गत विशेष व्यवस्था के तहत अथवा हिमाचल प्रदेश की तर्ज पर सशक्त भू-कानून लागू करना।
4- अंकिता भंडारी की हत्या की संपूर्ण जांच सीबीआई से करवाना तथा माननीय उच्चतम न्यायालय में भी समुचित पैरवी किए जाने की मांग करते है।
5-उत्तराखंड सचिवालय, विधानसभा सहित विभिन्न विभागों में पिछले दरवाजे से की गई भर्तियों की जांच सीबीआई से करवाई जाय।
6-यूके एस एस एस सी तथा यूके पी एस सी भर्ती घोटालों व पेपर लीक प्रकरणों की जांच सीबीआई से की जाय ।
7- लंबे समय से चली आ रही राज्य कर्मचारियों व केन्द्रीय कर्मचारियों की पुरानी पेंशन योजना की बहाली के लिए सम्मानजनक समाधान अविलम्ब किया जाय।
8-आगामी परिसीमन में विधानसभाओं का परिसीमन राज्य की विषम भौगोलिक परिस्थितियों के अनुसार क्षेत्रफल के आधार पर किये जाने की मांग की जाती है।
9-23 वर्षों से लटके उत्तरप्रदेश व उत्तराखंड के बीच परिसंपत्तियों का न्यायसंगत बंटवारा सुनिश्चित किया जाय।
10-पूर्व सैनिकों की वन रैंक वन पेंशन की मांग को पूरा किया जाय।तथा सरकार प्रस्ताव बनाकर केंद्र को भेजे।
11- राज्य के सभी जिलों में एक- एक सैनिक स्कूल/ केन्द्रीय विद्यालय की स्थापना की मांग की जाती है।
12– विकास के कार्यों में आड़े आ रहे वन अधिनियमों में आवश्यक संशोधन किया जाना है।
13-वन्यजीव संरक्षण अधिनियम में जंगली पशुओं व हिसंक जानवरों से स्थानीय जनमानस की जान-माल व फसलों की सुरक्षा हेतु आवश्यक संशोधन किया जाना नितांत आवश्यक है।
14-उत्तराखंड की जनता से 1980 में जल जंगल जमीन के छीन लिए गए अधिकारों को बहाल हो।
15- गंगा-यमुना जल बोर्ड को भंग कर उत्तराखंड से निकलने वाली नदियों के जल का नैसर्गिक अधिकार उत्तराखंड सरकार में निहित हो।
16-उत्तराखंड में बोली जाने वाली आंचलिक बोली -भाषाओं को संरक्षण देते हुए गढ़वाली,कुमाऊनी व जौनसारी भाषाओं की 8 वीं अनुसूची में शामिल किया जाय ।
17- देहरादून -कालसी, कोटद्वार -पौड़ी, रामनगर -गैरसैंण व टनकपुर-बागेश्वर सहित अन्य क्षेत्रों को रेलवे लाइन से जोड़ना त्वरित किया जाय.
18- असम राइफल्स व अन्य सभी अर्द्ध सैनिक बलों के सेवानिवृत्त सैनिकों को भी पूर्वसैनिकों की तरह समस्त सुविधाएं उपलब्ध किया जाय ।