उत्तराखंड

रिसर्चर्स ने टीएमयू स्टुडेंट्स की समझी मैपिंग

तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी में इंडिया फाउंडेशन की ओर से मैपिंग यूथ ऐस्परेशन पर चार कॉलेजों- एग्रीकल्चर कॉलेज, नर्सिंग कॉलेज, पैरामेडिकल कॉलेज और फैकल्टी ऑफ एजुकेशन की वर्कशॉप

केन्द्र सरकार युवाओं के विज़न को जानने के प्रति बेहद संजीदा है। जैसे युवा का पसंदीदा सेक्टर कौन-सा है? गवर्नमेंट सेक्टर या प्राइवेट सेक्टर या स्टार्टअप? कोई भी सेक्टर युवाओं का क्यों पसंदीदा है? शिक्षा से लेकर जॉब्स तक वे क्या-क्या प्राब्लम्स फेस कर रहे हैं? इंडिया फाउंडेशन की ओर से तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी, मुरादाबाद में मैपिंग यूथ ऐस्परेशन पर आयोजित वर्कशॉप में रिसर्च फेलो श्री यशवर्द्धन के संग-संग रिसर्च फेलो मिस त्रिशला संचेती भी कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चर साइंस, कॉलेज ऑफ नर्सिंग, फैकल्टी ऑफ एजुकेशन और कॉलेज ऑफ पैरामेडिकल साइंसेज़ के स्टुडेंट्स के संग तीन सत्रों में रूबरू हुए। उल्लेखनीय है, इंडिया फाउंडेशन केन्द्र सरकार को युवाओं की आकांक्षओं और प्राब्लम्स के बारे में अपनी रिपोर्ट देगी ताकि केन्द्र की नई नीति में इनका समाधान किया जा सके। वर्कशॉप में एक-एक घंटे के तीन सत्रों के प्रत्येक सत्र में 25-25 स्टुडेंट्स शामिल हुए। वर्कशॉप में इन छात्रों ने करियर संबंधी आकांक्षाओं और चुनौतियों के बारे में विस्तार से जाना। रिसर्चर और स्टुडेंट्स में परस्पर सवाल-जवाब भी हुए। वर्कशॉप में मैपिंग के दौरान विभिन्न क्षेत्रों में उपलब्ध करियर के स्वर्णिम अवसरों पर चर्चा हुई।

रिसर्चर श्री यशवर्द्धन ने नर्सिंग और एग्रीकल्चर स्टुडेंट्स से सवाल किया, आपका पसंदीदा सेक्टर कौन-सा है? यदि आपका सपना प्राइवेट जॉब में जाने का है तो क्या आपका रीज्यूम इसके अनुकूल है? क्या सोशल मीडिया के बड़े प्लेटफॉर्म लिंक्डइन से आप संबंद्ध हैं? क्या अपने सेक्टर का डाटा आपके पास है? क्या जॉब, एजुकेशन, क्लिनिकल प्रैक्टिसेज़ से जुड़ी सरकारी पॉलिसी आप तक पहुंच रही है? आज के दौर में एमएनसी कंपनियों और यूनिवर्सिटीज़ के बीच की खाई को पाटना जरूरी है। इसके लिए कंपनियां यूनिविर्सिटीज़ के संग छह-छह माह का एमओयू कर रही हैं ताकि वह डेटा को तैयार कर सकें। इससे स्टुडेंट्स को यह पता चलता है, वैश्विक स्तर पर क्या डिमांड है? एग्रीकल्चर स्टुडेंट्स का मानना है, सरकारी जॉब में सिक्योरटी होती है, जबकि सरकारी जॉब की तुलना में प्राइवेट सेक्टर में करियर ग्रोथ के अधिक अवसर हैं। वे यह भी मानते है, इंडिया में पेपर वर्क अधिक होता है। नर्सिंग स्टुडेंट्स का कहना है, हाइटेक मशीनें और स्मार्ट लैब अभी इंडिया में अवेलेबल नहीं है। रिसर्चर बोले, अपने वेतनमान का मापन और मूल्यांकन खुद ही करना होगा। सक्षम बनने के लिए सॉफ्ट स्किल कोर्सेंज करने होंगे। उन्होंने पूछा, स्टार्टअप के लिए सबसे पहले क्या चाहिए? क्या आप माइग्रेट करने के लिए तैयार हैं?

इससे पूर्व डीन स्टुडेंट वेलफेयर प्रो. एमपी सिंह ने इंडिया फाउंडेशन के रिसर्चर्स का वैलकम करते हुए कहा, सरकार आपके स्वर्णिम करियर के लिए बेहद संजीदा है। इसके लिए सरकार के पास जॉब से लेकर स्टार्टअप तक के लिए अनेक योजनाएं हैं, लेकिन दुर्भाग्य यह है, आप इनसे अवेयर नहीं हैं। इसके लिए आपको इन योजनाओं से अपडेट रहना होगा। एग्रीकल्चर की ओर से डॉ. चारु बिष्ट, डॉ. सच्चिदानंद सिंह के संग-संग स्टुडेंट्स- दिशा चक्रवर्ती, आस्था कुशवाहा, सैक अमीर सुहैल, दुल्लम अरुन कुमार, नर्सिंग की ओर से फैकल्टी- मिस चेतना वशिष्ट, मिस योगिता के संग-संग स्टुडेंट्स- पावनी अग्रवाल, आंचल शर्मा, पैरामेडिकल की ओर से फैकल्टीज- श्री शिवम अग्रवाल, मिस प्राची के संग-संग स्टुडेंट्स- काव्या अग्रवाल, ज्योति कुशवाह, उज्जव कुमार, मो. इकराम फैकल्टी ऑफ एजुकेशन की ओर से फैकल्टी- श्रीमती शिवांकी रानी, स्टुडेंट्स- सगुन चौधरी, सन्दुश, सिल्की वर्मा, नैना पांडे आदि शामिल रहे।

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