ऋषिकेश। अब तक बिजली के स्टोरज करने की तकनीक नहीं है। लेकिन अब टीएचडीसी इंडया लिमिटेड इस दिशा में काम कर रही है। यह प्रयोग सफल रहा तो पीकहावर्स में अधिक उत्पादन कर उसे स्टोरज कर जरूरत के समय काम पर लाया जा सकता है। ऐसा होने से बिजली की दिक्कतों से पारपाया जासकता है। इस टेक्नोलॉजी को नेशनल हाइड्रोजन मिशन का नाम दिया गया है.
एशिया का सबसे बड़ा टिहरी बांध बनाने वाली टीएचडीसी अब ऐसी टेक्नोलॉजी पर काम कर रही है जिससे बिजली उत्पादन को स्टारेज किया जासकता है। इसके अलावा टीएचडीसी इलेक्ट्रिक कुकिंग, वायुमंडल बचाने और नए हाइड्रोजन प्रोजेक्ट पर काम करने जा रही है।इससे ज्यादा बिजली उत्पादन कर उसे स्टोरेज भी किया जा सकेगा। टीएचडीसी के सीएमडी राजीव विश्नोई केअनुसार इस योजना से देश में बिजली की कमी नहीं होगी। योजना के लिए देश में कई जगह प्लांट लगाए जाएंगे।
T विश्नोई ने बताया किलगातार प्रदूषित हो रहे पर्यावरण को बचाने के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों को चलाने पर सरकार ज्यादा जोर दे रही है। ऐसे में जगह-जगह इलेक्ट्रिक वाहनों को चार्ज करने के लिए इलेक्ट्रिक चार्जिंग स्टेशन बनाने की योजना टीएचडीसी ने बनाई है, जिसे केंद्र सरकार से हरी झंडी मिल चुकी है। इन इलेक्ट्रिक चार्जिंग स्टेशन का मकसद केवल यही होगा कि देश में ज्यादा से ज्यादा इलेक्ट्रिक वाहनों का चलन बढ़े जिससे प्रदूषण कम से कम हो।
वहीं, महिलाओं का बजट कम करने के लिए भी टीएसडीसी ने एक योजना तैयार की है, जिसका नाम इलेक्ट्रिक कुकिंग दिया गया है। इस योजना के तहत सस्ती दरों पर बिजली घरों में उपलब्ध कराई जाएगी, जिससे कि ज्यादा से ज्यादा खाना बनाने का काम बिजली के उपकरणों पर किया जा सके।
टीएचडीसी के सीएमडी राजीव विश्नोई ने बताया कि राज्य में 12 नए हाइड्रोजन प्रोजेक्ट शुरू होंगे, जिसकी विद्युत उत्पादन क्षमता 3 हजार मेगावाट होगी। नए हाइड्रोजन प्रोजेक्टों के निर्माण में टीएचडीसी 75 प्रतिशत और प्रदेश सरकार 25 प्रतिशत खर्च वहन करेगी। खासबात यह कि परियोजनाओं पर 100 प्रतिशत अधिकार प्रदेश सरकार का होगा।