उत्तराखंड

नफरती अभियान पर रोक लगाओ, जनहित नीतियों पर कदम उठाओ – प्रदेश भर के लोगों की और से खुला खत

\आज राज्यपाल के नाम पर राज्य के प्रमुख जन संगठनों के प्रतिनिधि, विपक्षी दलों यानी कांग्रेस, CPI, समाजवादी पार्टी, CPI(M), CPI(ML), JD(S) एवं बसपा के नेता, और राज्य के लगभग हर जिले से आम नागरिकों ने खुला खत द्वारा चिंता जताया कि राज्य में एक तरफ आपराधिक साजिश चल रही है जिसके द्वारा राज्य में हिंसक एवं सांप्रदायिक प्रचार को लगातार फैलाया जा रहा है। लेकिन उच्चतम एवं उच्च न्यायालय के स्पष्ट निर्देश होने के बावजूद राज्य सरकार इन ताकतों पर क़ानूनी कार्रवाई करने के बजाय मूकदर्शक बन कर बैठी हुई है।

साथ साथ में बेरोज़गारी, वन अधिकार, भू कानून, भ्रष्टाचार, बढ़ती हुई असमानता और अन्य जन मुद्दों पर सरकार जन विरोधी नीतियों को भी आगे बढ़ा रही है, और शायद इन्ही कदमों को छुपाने के लिए सांप्रदायिक तनाव को बढ़ाया जा रहा है। ज्ञापन द्वारा सौ से ज्यादा हस्ताक्षरकर्ताओं ने मांग उठाया कि आपराधिक नफरती अभियानों पर उच्चतम न्यायालय के आदेशों के तहत सख्त कार्रवाई हो; नयी सर्विस सेक्टर पालिसी को रद्द किया जाये और कॉर्पोरेट घरानों को दी जा रही सब्सिडयों पर श्वेत पत्र जारी किया जाये; वन अधिकार, आश्रय के अधिकार, भू कानून, कल्याणकारी योजनाओं, महिला नीति और अन्य ऐसी मुद्दों पर सरकार कदम उठा दे।

ज्ञापन को सौंपवाने के लिए जा रहे सृष्ट मंडल को हाथी बड़कला में पुलिस द्वारा रोका गया। तहसीलदार मजिस्ट्रेट के हाथ में ज्ञापन को सौंपवाया गया। सृष्ट मंडल में पीपल्स साइंस मूवमेंट के उमा भट्ट एवं विजय भट्ट; उत्तराखंड महिला मंच की कमला पंत एवं निर्मला बिष्ट; चेतना आंदोलन के शंकर गोपाल, राजेंद्र शाह एवं मुकेश उनियाल; सामाजिक कार्यकर्ता खुर्शीद अहमद; उत्तराखंड मसीहा समाज के सुन्दर सिंह चौहान; बहुजन समाज पार्टी के विजय पाल थंगानी, आदि शामिल रहे।

खुला खत सलग्न।

निवेदक

जन हस्तक्षेप

खुला खत

नफरत नहीं, रोज़गार दो!
खुला खत

नफरत नहीं, रोज़गार दो!

सेवा में

महामहिम राज्यपाल

उत्तराखंड सरकार

विषय: राज्य में हिंसक, सांप्रदायिक षड्यंत्र पर सरकार की निष्क्रियता, जनता के मुद्दों पर सरकार के प्रयास नाकाफी; इन बिंदुओं पर आपसे निवेदन

महोदय,

उत्तराखंड राज्य बने 23 साल हो गए हैं। इस समय हम आपके संज्ञान में कुछ गंभीर बिंदु लाना चाह रहे हैं। एक तरफ चंद लोगों एवं संगठनों की और से आपराधिक साजिश चल रही है जिसके द्वारा राज्य में हिंसक एवं सांप्रदायिक प्रचार को लगातार फैलाया जा रहा है। लेकिन उच्चतम न्यायालय एवं उच्च न्यायालय के स्पष्ट निर्देश होने के बावजूद राज्य सरकार इन ताकतों पर क़ानूनी कार्रवाई करने के बजाय मूकदर्शक बन कर बैठी हुई है। साथ साथ में बेरोज़गारी, वन अधिकार, भू कानून, भ्रष्टाचार, बढ़ती हुई असमानता और अन्य जन मुद्दों पर सरकार जन विरोधी नीतियों को भी आगे बढ़ा रही है, और शायद इन्ही कदमों को छुपाने के लिए सांप्रदायिक तनाव को बढ़ाया जा रहा है।

महोदय, उत्तराखंड राज्य की हमेशा से ही शांतिपूर्ण, लोकतान्त्रिक संस्कृति रही है। वीर चंद्र सिंह गढ़वाली से ले कर राज्य आंदोलन तक, इस राज्य के नायक हमेशा लोकतान्त्रिक तरीकों द्वारा न्याय के लिए लड़े हैं। राज्य आंदोलन में सभी धर्म के लोगों ने भागीदारी की। लेकिन पिछले छह वर्षों से लगातार आपराधिक षड़यंत्र द्वारा धर्म के नाम पर हिंसा और झूठा प्रचार किया गया है। सतपुली, मसूरी, आराघर, कीर्तिनगर, हरिद्वार, रायवाला, कोटद्वार, चम्बा, अगस्त्यमुनि, घनसाली, देहरादून, रुड़की, नैनीताल और अन्य शहरों में हिंसक घटनाएं हुई हैं। याद रखने की बात यह भी है कि दिसंबर 2021 में हरिद्वार में धर्म संसद के नाम पर जो कार्यक्रम हुआ था, उसको सेवानिवृत सेना के मुखिया से ले कर अंतराष्ट्रीय संस्थाओं ने निंदा की। इसी साल जून महीने में उत्तरकाशी के पुरोला शहर और आस पास के शहरों में आपराधिक अभियान चलाया गया जिसकी वजह से 40 से ज्यादा परिवारों को अपने घरों से भागना पड़ा। इस सांप्रदायिक अभियान के लिए आज तक किसी भी ज़िम्मेदार व्यक्ति को गिरफ्तार तक नहीं किया गया है। अभी हाल में हमारे राज्य के मुख्यमंत्री की उपस्थिति में ही 4 नवंबर को देहरादून में एक कार्यक्रम में सीधा नफरती और भड़काने वाले भाषण देते हुए झूठा प्रचार किया गया और आम नागरिकों को धमकी भी दी गई।

एक तरफ ऐसे आपराधिक षड़यंत्र प्रशासन और संवैधानिक अधिकारीयों के सामने हो रहे हैं, जो हमारे संविधान, उत्तराखंड की संस्कृति और हमारे राज्य की विरासत के खिलाफ है। दूसरी तरफ सरकार ऐसी नीति ला रही है जिससे उत्तराखंड की ज़मीन एवं प्राकृतिक संसाधन खतरे में आ सकते हैं। सरकार की निधि जनता के हित में खर्च करने के बजाय बड़े कॉरपोरेट घरानों के हित में नीतियों बनाई जा रही है। 12 सितम्बर को मंत्रिमंडल द्वारा घोषित हुये सर्विस सेक्टर नीति में कॉर्पोरेट घरानों को सरकारी ज़मीन 99 साल की लीज पर देने का प्रावधान है और अगर कोई कंपनी ज़मीन नहीं लेती है तो उस सूरत में उनको परियोजना के खर्चों पर 20 से 40 प्रतिशत तक सरकारी सब्सिडी दी जाएगी। जिस समय सत्ताधारी नेता “लैंड जिहाद” जैसे निराधार सांप्रदायिक नारों को बढ़ावा दे रही है, जिस समय “अतिक्रमण हटाने” के बहाने हज़ारों परिवारों को अपने घरों एवं दुकानों से हटाया जा रहे हैं, उसी समय सरकार खुद सरकारी ज़मीन को बेचने की नीति बना रही है।

महोदय हमारे देश में संविधान सर्वोच्च है। सरकार आपराधिक अभियान पर कार्रवाई न कर, निर्दोष लोगों को धर्म के आधार पर निशाना बनने दे, और उससे हो रहे सामाजिक तनाव द्वारा अपनी जन विरोधी नीति को छुपा दे – यह बेहद जन विरोधी कार्य है। इसलिए हम चाहते हैं कि:

– सरकार उच्चतम न्यायालय के नफरती भाषाओ से सम्बंधित सारे आदेशों पर तुरंत अमल करे, ज़िम्मेदार व्यक्तियों पर कार्रवाई करे, और उच्चतम न्यायालय के 2018 के फैसले पर तुरंत अमल करे।

– नयी सर्विस सेक्टर पालिसी को रद्द किया जाये। ऐसी हर कॉर्पोरेट कंपनी को सब्सिडी देने वाली नीति से आज तक कितना और किस प्रकार का रोज़गार मिला है, इस पर सरकार श्वेत पत्र जारी करे। इन्वेस्टर समिट में आने वाली कम्पनयों को क्या क्या आश्वासन दिया जा रहा है, इन पर भी सरकार स्तिथि स्पष्ट करे।

– पहाड़ों में बंदोबस्त किया जाए और 2018 का भू कानून संशोधन को रद्द किया जाए। वन अधिकार अधिनियम के अनुसार हर गांव और पात्र परिवार को अपने वनों और ज़मीनों पर अधिकार पत्र दिया जाए। सरकार किसी को बेघर न करे। अगर किसी को हटाना मजबूरी है तो उनके पुनर्वास के लिए वैकल्पिक व्यवस्था की जाये। इसके लिए कानून लाया जाये।

– सारे सरकारी विभागों में निष्पक्षता से भर्ती प्रक्रिया शुरू की जाए। MNREGA के अंतर्गत 600 रूपए की दिहाड़ी पर 200 दिन का काम दिया जाये । प्रत्येक परिवार को राशन मिले और बाकी योजनाएं हर पात्र व्यक्ति को समय पर मिले, इसके लिए खास व्यवस्था बनाई जाये। किसी भी योजना में तीन महीने के अंदर हर पात्र व्यक्ति को शामिल करने के लिए कदम उठाया जाये।

– उत्तराखंड में महिला नीति बनाई जाए जिसमें ख़ास तौर पर महिला किसान एवं महिला मज़दूर के कल्याण और बुनियादी हक़ों के लिए प्रावधान हो।

निवेदक

गरिमा दसौनी, मुख्य प्रवक्ता, कांग्रेस
समर भंडारी, राष्ट्रीय कौंसिल सदस्य, भारतीय कम्युनिस्ट पार्ट
डॉ SN सचान, राष्ट्रीय सचिव, समाजवादी पार्टी
राजेंद्र नेगी, राज्य सचिव, भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी)
नरेश नौडियाल, महासचिव, उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी
इंद्रेश मैखुरी, राज्य सचिव, भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मा – ले)
हरजिंदर सिंह, राज्य अध्यक्ष, जनता दल (सेक्युलर)
विजय पल थंगानी, टिहरी लोक सभा प्रभारी, बहुजन समाज पार्टी

कमला पंत, निर्मला बिष्ट और अन्य साथी, उत्तराखंड महिला मंच, देहरादून
भुवन पाठक, गोपाल भाई, बिपिन जोशी – सद्भावना समिति उत्तराखंड, बागेश्वर
सुरेंद्र सिंह सजवाण, राज्य अध्यक्ष एवं गंगाधर नौटियाल, राज्य सचिव, आल इंडिया किसान सभा, देहरादून
शंकर गोपाल, राजेंद्र शाह, मुकेश उनियाल – चेतना आंदोलन, देहरादून
लताफत हुसैन, उत्तराखंड नुमेंदा संगठन, देहरादून
Adv हरबीर सिंह खुश्वाहा, सर्वोदय मंडल उत्तराखंड, देहरादून
डॉ रवि चोपड़ा, सलिल अहमद, डॉ. PS कक्कड़, तोमस सेन, पूरण बर्थवाल, कुलदीप सिंह – उत्तराखंड इंसानियत मंच, देहरादून
सतीश धौलखंडी, पीपल्स साइंस मूवमेंट, देहरादून
मुनीश कुमार, समाजवादी लोक मंच, रामनगर
इस्लाम हुसैन, अध्यक्ष, सर्वोदय मंडल उत्तराखंड, हल्द्वानी
अशोक शर्मा, राज्य सचिव, AITUC, देहरादून
कमलेश खंतवाल एवं उमा भट्ट, भारत ज्ञान विज्ञानं समिति, देहरादून
सुजाता पॉल मलियाह, राजनैतिक विशेषज्ञ एवं प्रवक्ता, कांग्रेस, देहरादून
खुर्शीद अहमद, सामाजिक कार्यकर्ता, देहरादून
शंकर बर्थवाल, श्रमयोग, रुद्रपुर
अजय जोशी, श्रमयोग, हल्द्वानी
मोहम्मद आरिफ, NAPSR, देहरादून
त्रिलोचन भट्ट, स्वतंत्र पत्रकार, देहरादून
स्वाति नेगी, स्वतंत्र पत्रकार, देहरादून
जगमोहन मेहंदीरत्ता, सामाजिक कार्यकर्ता, देहरादून
सुंदर सिंह चौहान, विकासनगर, देहरादून
सत्येंद्र भट्ट, भाटो वाली भाव वाला, देहरादून
इमानुएल राज, प्रीतम मासी भाव वाला, देहरादून
भूपाल, क्रन्तिकारी लोक अधिकार संगठन, कोटद्वार
भारत मसीह, सेलाकुई
अनिल कुमार, हरबर्टपुर
राकेश पंत, सामाजिक कार्यकर्ता, अल्मोड़ा
Adv DK जोशी, नैनीताल हाई कोर्ट – गरुड़
बिहारी लाल, बेंजामिन डाकपत्थर
अशोक कुमार, डाकपत्थर
कृष्ण कुमार शर्मा, विकास नगर
शुभम थापा, चकराता
रणवीर सिंह सैया, देहरादून
दिगंबर चौहान, हरिपुर कालसी
Adv अनिल नौरिया, सुप्रीम कोर्ट
बिनीता, देहरादून
ममता गोविल, देहरादून
राजीव लोचन साह, उत्तराखंड लोक वाहिनी, नैनीताल
उमा भट्ट एवं माया चिलवाल, उत्तराखंड महिला मंच, नैनीताल
डॉ शेखर पाठक, वरिष्ठ इतिहासकार, नैनीताल
तरुण जोशी, वन पंचायत संघर्ष मोर्चा, भीमताल
जगमोहन रौतेला, स्वतंत्र पत्रकार, हल्द्वानी
विनोद पांडेय, नैनीताल समाचार, नैनीताल
विनीता यशस्वी, नैनीताल समाचार, नैनीताल
नागरिक हस्तक्षेप मंच, पौड़ी
भोपाल चौधुरी, श्रीनगर
शिवानी पांडेय, श्रीनगर
विनोद बडोनी, चेतना आंदोलन, चमियाला
साहब सिंह सजवाण, सर्वोदय मंडल उत्तराखंड, नई टिहरी
Adv बीना सजवाण, नई टिहरी
आकाश ऋतुराज भारतीय, हरिद्वार
नासिर, क्रन्तिकारी लोक अधिकार संगठन, हरिद्वार
अंजाद, हरिद्वार
पंकज कुमार, इन्किलाबी मज़दूर केंद्र, हरिद्वार
सुभा सिंह ढिल्लो, भारतीय किसान यूनियन, हरिद्वार
पास्टर जसविंदर, हरिद्वार
डाक्टर नागेन्द्र जगूड़ी नीलाम्बरम, उत्तरकाशी
अभिरेख जगूड़ी, उत्तरकाशी
महिला किसान अधिकार मंच, उत्तराखंड – पिथौरागढ़
भगवान् रावत, जन मंच, पिथौरागढ़
हीरा जंगपानी, महिला किसान अधिकार मंच, उधम सिंह नगर
सुनीता देवी,अध्यक्ष,रचनात्मक महिला मंच, सल्ट, अल्मोड़ा
आसना, दिव्या, अनीता, उमा, शीला देवी, रूपा देवी, दीपा देवी और अन्य साथी, रचनात्मक महिला मंच, सल्ट
सुरेंद्र, विजय, विक्रम, राकेश, शंकर, शंकर, और अन्य साथी, श्रमयोग, सल्ट, अल्मोड़ा
विनोद मेहता, रुद्रपुर
राजू पुजारी, रुद्रपुर

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