उत्तराखंडसामाजिक

मास्टर प्लान में नहीं दिख रहा गरीबों का ख्याल

महिला मजदूरों ने 176 ज्ञापन भेजकर जताईनाराजगी

देहरादून के महिला मज़दूरों ने 176 पत्र द्वारा शहर के प्रस्तावित मास्टर प्लान पर घौर आपत्ति की हैं। शनिवार 29 अप्रैल को  शहर भर के महिला मज़दूरों की और से चेतना आंदोलन के सुनीता देवी, पप्पू एवं संजय ने पत्र । पत्रों द्वारा मज़दूरों ने कहा कि मास्टर प्लान द्वारा मान रही है कि किफायती आवास, सार्वजनिक परिवहन एवं हर बस्ती में बुनियादी सुविधाओं को उपलब्ध कराने में सरकार के प्रयास अभी तक नाकाफी रहे हैं। लेकिन प्रस्तावित मास्टर प्लान में भी इन बातों पर ख्याल बहुत ही कम दिख रहा है।  उन्होंने मास्टर प्लान पर बुनियादी सवाल उठाये कि देहरादून शहर में कुछ घोषित हुई परियोजनाएं जैसे एलिवेटेड रोड, जिसके लिए दसियों हज़ार लोगों को बेदखल करना पड़ेगा और शहरवासियों के लिए भी खतरा बन सकता है, उनके बारे में मास्टर प्लान में ज़िक्र ही नहीं है। साथ साथ में उन्होंने आपत्ति लगाए कि विकास के नाम पर या अतिक्रमण हटाने के नाम पर किसी को बेघर न किया जाये, यह सिद्धांत मास्टर प्लान में होना चाहिए।  सरक़ार स्पष्ट करे कि किन इलाकों में पर्यावरण, आपदा के ख़तरे या विकास कार्यों की वजह से लोगों को पुनर्वासित करने की ज़रूरत पड़ेगी, और वहां पर उन लोगों की सहमति से पुनर्वास की योजना बना दे।  अन्य इलाकों में 2016 का कानून को अमल करते हुए सूक्ष्म शुल्क पर नियमितीकरण किया जाये। बस्तियों के निकट पर किराय पर आवास उपलब्ध कराए जाएं जाये और मज़दूरों के लिए मज़दूर हॉस्टल की व्यवस्था बनाया जाये। इन कामों और अन्य निर्माण के कामों के लिए सिर्फ निजी कंपनी को ठेका देने का विकल्प रखने के बजाय, निर्माण मज़दूरों के प्रोड्यूसर कम्पनियों द्वारा करने का विकल्प भी मास्टर प्लान में दिया जाये, जिससे व्यय भी कम होगा और लोगों को रोज़गार भी मिलेगा।  सार्वजनिक परिवहन को बढ़ाने के लिए भी योजना होना चाहिए जिससे ख़ास तौर पर महिलाओं को लाभ होगा।

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