उत्तराखंडसामाजिक

देशभर के कलाकारों की सृजनधारा एक मंच पर

प्रेस विज्ञप्ति –

लखनऊ स्पेक्ट्रम कला मेला – 2025
“देश के प्रतिष्ठित 105 कलाकारों की 350 कलाकृतियाँ होंगी प्रदर्शित”
– फिल्म अभिनेता पंकज झा और तीन राज्यों के पद्मश्री चित्रकारों की कृतियाँ होंगी आकर्षण का केंद्र।
– समकालीन, लोक जनजातीय एवं पारंपरिक कला दिखेंगी एक साथ एक मंच पर।
लखनऊ, 24 अक्टूबर 2025 — भारत की सांस्कृतिक राजधानी लखनऊ, जहाँ तहज़ीब और रचनात्मकता की परंपरा आज भी जीवित है, वहीं आगामी 1 नवंबर 2025 से आरंभ होने जा रहा है “लखनऊ स्पेक्ट्रम कला–2025 आर्ट फेयर”, जिसे आयोजित कर रही है फ्लोरेसेंस आर्ट गैलरी।

गैलरी की निदेशक नेहा सिंह के अनुसार, “लखनऊ स्पेक्ट्रम–2025” केवल एक प्रदर्शनी नहीं, बल्कि कल्पना, संवाद और नवाचार का उत्सव होगा। इसका उद्देश्य कला की ऐसी साझा भाषा विकसित करना है जो कलाकार और दर्शक के बीच की दूरी को मिटाकर एक संवेदनशील संवाद स्थापित करे।

इस आयोजन के तीन क्यूरेटर — भूपेंद्र कुमार अस्थाना, राजेश कुमार और गोपाल सामंत्री — अपने दृष्टिकोण और अनुभव से इसे एक रचनात्मक संगम बना रहे हैं।

क्यूरेटर भूपेंद्र कुमार अस्थाना ने बताया कि “फ्लोरेसेंस आर्ट गैलरी,” जिसकी स्थापना 2019 में हुई थी, केवल एक प्रदर्शन स्थल नहीं बल्कि एक सृजनात्मक आंदोलन है — जो कला को सुलभ, संवादमय और संग्रहणीय बनाने का स्वप्न लेकर आगे बढ़ रहा है।

राजेश कुमार ने जानकारी दी कि यह आर्ट फेयर 1 से 30 नवम्बर 2025 तक लखनऊ के प्रतिष्ठित फीनिक्स पलासिओ में आयोजित होगा। इसमें देश भर के लगभग 105 कलाकारों की 350 से अधिक कलाकृतियाँ प्रदर्शित होंगी, जिनमें चित्रकला, मूर्तिकला, सिरामिक, टेराकोटा, मेटल, प्रिंटमेकिंग, फोटोग्राफी और म्यूरल जैसे विविध माध्यमों में सृजित रचनाएँ शामिल होंगी।

इस बार का “स्पेक्ट्रम” केवल देखने भर की प्रदर्शनी नहीं होगा — यह एक जीवंत अनुभव होगा, जहाँ दर्शक कला से संवाद करेंगे, सीखेंगे और संभवतः सृजन में भी भागीदार बनेंगे। इस दौरान लाइव आर्ट सेशन, कार्यशालाएँ, कलाकार संवाद और सामूहिक रचनात्मक गतिविधियाँ इस आयोजन को एक जीवंत उत्सव का रूप देंगी।

भूपेंद्र कुमार अस्थाना ने कहा — “लखनऊ सदा से कलाकारों और रचनाकारों की भूमि रही है। यह मेला उसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए देश के विभिन्न हिस्सों के कलाकारों को एक मंच पर लाता है, जहाँ समकालीन कला के साथ लोक, जनजातीय और पारंपरिक कलाओं की आत्मा एक साथ अभिव्यक्त होती है।”

इस वर्ष, दर्शक फिल्म अभिनेता पंकज झा, तीन राज्यों के पद्मश्री मध्य प्रदेश से पद्मश्री भूरी बाई, उत्तराखण्ड से पद्मश्री विजय शर्मा और बिहार से पद्मश्री श्याम शर्मा तथा राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त वरिष्ठ और युवा कलाकारों की कृतियों का संगम देख सकेंगे। साथ ही उभरते युवा कलाकारों के नवाचारपूर्ण प्रयोग भी इस मेले का विशेष आकर्षण होंगे।

फ्लोरेसेंस की यह पहल लखनऊ की सांस्कृतिक धड़कनों को नए स्वर में गूँजाने जा रही है — जहाँ परंपरा और आधुनिकता, लोक और समकालीनता, विचार और अनुभव एक साथ मिलकर ऐसा “स्पेक्ट्रम” रचेंगे जिसमें शहर की आत्मा और कला का उजास एक साथ झिलमिलाएगा।

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