उत्तराखंड

यूसीसी असंवैधानिक, जनविरोधी, महिला विरोधी, जन जागरूकता अभियान चलाया जायेगा

बुधवार को देहरादून के उज्जवल रेस्टोरेंट में बैठक आयोजित की गयी थी जिसमें राज्य के अनेक जन संगठनों एवं विपक्षी दलों के प्रतिनिधियों ने राज्य में लाए गए यूसीसी कानून की निंदा करते हुए कहा कि महिलाओं और समानता के नाम पर लागू किया गया यूसीसी कानून वास्तविकता में असंवैधानिक, जनविरोधी, और महिला विरोधी है।

संविधान के अनुच्छेद 44 के अनुसार “पूरे भारत के नागरिकों” के लिए ही समान नागरिक संहिता बन सकती है, इसे एक ही राज्य में नहीं लाया जा सकता है। उत्तराखंड में लाए गए यूसीसी कानून के अंतर्गत भी समानता नहीं है। इस कानून के अंदर ऐसे प्रावधान भी है जो हमारे संविधान और मौलिक अधिकारों के खिलाफ है। इन प्रावधानों से भ्रष्टाचार, अधिकारियों एवं नेताओं की मनमानी, और हिंसक अपराधों को बढ़ावा मिलेगा। जिसका सबसे ज़्यादा नुकसान महिलाओं को होगा।

यूसीसी नियमावली द्वारा 2010 से पहले वाली शादियों के पंजीकरण को भी अनिवार्य बनाने से उत्तराखंड के समूचे समाज में मुसीबत पैदा हो जाएगी। सभी के लिए विवाह, तलाक, बच्चे पैदा होने जीवनसाथी की मृत्यु, सहवासी संबंध, टेलीफोन नंबर व पता बदलने की जानकारी पोर्टल पर दर्ज करने को अनिवार्य बनाकर निजता पर हमला किया गया है। नौजवानों के या युवाओं के जीवन साथी चुनने के अधिकार का हनन भी है।

प्रतिनिधियों ने बेरोजगारी, महंगाई और जमीनों की लूट के खिलाफ जनता की आवाज़ को डायवर्ट करने के लिए तथा आपसी सौहार्द को खत्म करने वाले इस कानून के खिलाफ जागरूकता अभियान चलाने की घोषणा की। बैठक में एक महीने के भीतर देहरादून में राज्य स्तरीय सम्मेलन आयोजित करने का निर्णय लिया गया।

बैठक में समाजवादी लोक मंच के मुनीष कुमार और गिरीश चंद्र; उत्तराखंड महिला मंच की कमला पंत, निर्मला बिष्ट और चन्द्रकला; समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय सचिव डॉ एस एन सचान; मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के राज्य सचिव राजेंद्र पुरोहित; सीपीआई के राष्ट्रीय कौंसिल सदस्य समर भंडारी; सीपीआई (मा-ले) के राज्य सचिव इंद्रेश मैखुरी; उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के महासचिव नरेश नौडियाल; पूर्व बार कौंसिल अध्यक्ष रज़िया बैग; चेतना आंदोलन के शंकर गोपाल, विनोद बडोनी एवं राजेंद्र शाह; सर्वोदय मंडल के डॉ विजय शंकर शुक्ल एवं हरबीर सिंह कुशवाहा; तंजीम ए रहनुमा ए मिल्लत के लताफत हुसैन; जमीयत उलेमा ए हिंद के खुर्शीद आलम, उत्तराखंड नुमाइंदा संगठन के याकूब सिद्दीक़ी; क्रान्तिकारी लोक अधिकार संगठन के भोपाल एवं नासिर; शिक्षाविद सिकंदर आदि शामिल रहे।

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