देहरादून। गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले परिवारों को सरकार की ओर से फ्री एवं ज्यादा राशान देने के कारण लाखों की इनकम वाले भी स्वयं को बीपीएल में शामिल कराने की जुगत में लगे रहते हैं। इसका फायदा उठाने के लिए तहसील और जिला पूर्ति विभाग में दलाल खूब सक्रिय हैं। बीपीएल का राशन कार्ड बनाने के लिए दलाल पांच से छह हजार रुपये तक मांग रहे हैं। इस मामले में कुछ महिलाएं भी सक्रिय हैं।
उत्तराखंड के देहरादून जिले की बंजारावाला निवासी कविता (काल्पनिक नाम) का राशन कार्ड एपीएल श्रेणी का है।ऐसे में उन्हें कम ही राशन मिलता है। आसपास के लोगों को अधिक राशन पाते देख उनके मन में भी बीपीएल श्रेणी का राशन कार्ड बनाने का विचारआया। कविता के पति दो साल से बेरोजगार हैं। पहले भी दिहाड़ी मजूदरी से उनकी खास आय नहीं थी। उनके दानों बच्चे भी पढ़ने वाले हैं। ऐसे में घर का खर्च चलाने में दिक्कत होती है।
कविता ने सोचा कि बीपीएल का राशन कार्ड तो कुछ राहत मिलती। वह जिला पूर्ति कार्यालय गईं तो वहां राशन कार्ड बनाने से साफ इनकार कर दिया गया। मायूस होकर कविता लौट ही रही थी कि दफ्तर की सीढ़ियां उतरते उसे एक महिला मिली। महिला ने उसे दिलासा दिया कि उसका बीपीएल काराशन कार्ड वह बनवा देगी,लेकिन इसके लिए कुछ खर्च करना पड़ेगा।
महिला ने कविता से इस काम को करवाने के लिए छह जार रुपये देने की बात कही। कविता की ओर से एक साथ छह हजार रुपये देने में असमर्थता जताने पर महिला ने उसे तीन-तीन हजार रुपये की दो किस्तों में पैसे देने की बात कही। कविता दो किस्तों में भी यह राशि नहीं दे सकी। ऐसे में उसके पीले कार्ड का रंग सफेद कार्ड में नहीं बदल सका। वह तेगहाली में भी एपीएल श्रेणी का ही राशन ले रही है।
यह तो महज एक उदाहरण भर है। यह स्थिति केवल देहरादून की कविता की ही नहीं है, बल्कि प्रदेश और देश के दूसरे कई परिवारों की है। ऐसे परिवारों की संख्या सैकड़ों में है, जिनकी इनकम बेहद कम होने के बावजूद उनके कार्ड का रंग केवल इसलिए नहीं बदला गया, क्योंकि वह गुलाबी रंग केो नाट खर्च नहीं कर पाए। यह स्थिति गांवों से लेकर शहरों तक है। गुलाबी रंग का नाट खर्च करो तो पीले (एपीएल श्रेणी) रंग का कार्ड सफेद (बीपीएल श्रेणी) रंग में बदल जाएगा। यह स्थिति केवल देहरादून की कविता की ही नहीं है, बल्कि प्रदेश और देश के दूसरी कई परिवारों की है।
लाखों की इनकम फिर भी बीपीएल
वहीं कई ऐसे परिवार भी हैं, जो भले ही सरकारी नौकरी नहीं करते, लेकिन उनकी आय अच्छी खासी है। कई परिवारों का लाखों रुपया वाषिक किराया आ रहा है तो कुछ दुकानदार हैं, जिनका लाखों का टर्नओवर है। मजे की बात हो यह भी है कि कुछ पेंशनधारियों के पास भी सफेद (बीपीएल श्रेणी) रंग के कार्ड मौजूद हैं और वह बीपीएल कार्ड से मिलने वाले राशन का लाभ उठा रहे हैं।