उत्तराखंड

बिना जानकारी और सुरक्षा की पुष्टि कर जबरन विस्थापन न करे

आज कांठ बंगला बस्ती के लोग नगर निगम पहुंच कर प्रशासन के जबरन विस्थापन प्रयास से पीड़ित परिवारों की और से पत्र सौंपवाए कि उनके साथ जो किया जा रहा है , वह न सिर्फ गैर कानूनी है, बल्कि उनको प्रस्तावित फ्लैट योजना को लेकर जो शुल्क लगेगा उसके बारे में कोई जानकारी भी जानकारी नहीं दी गई है और न ही उस इमारत की सुरक्षा के बारे में कुछ बताया गया है। इसके अलावा वह फ्लैट परिवार के लिए रहने लायक नहीं है। उप नगर आयुक्त संतोष कुमार पांडे को अपने अपने नाम से पत्र सौंपवा कर उन्होंने नगर निगम से आग्रह किया कि जनता से वार्ता की जाए और कानून एवं सरकार की नियमावली के अनुसार ही कदम उठाया जाए।

बस्ती वालों के साथ कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता प्रवीण त्यागी, सर्वोदय मंडल के अधिवक्ता हरबीर सिंह कुशवाहा, और चेतना आंदोलन के शंकर गोपाल, राजेंद्र शाह, दिलबहार, राजेश्वरी, बीना देवी, इत्यादि शामिल रहे।

बस्ती वालों का पत्र सलग्न।

पत्र

सेवा में,
नगर आयुक्त नगर निगम देहरादून

महोदया,

मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण द्वारा हमें दिए गए नोटिस एवं अख़बार द्वारा प्राप्त हुई खबरों के अनुसार हमें कांठ बंगला बस्ती के बगल में बने हुए ई डब्ल्यू एस फ्लैट का आवंटन होना है। इस सन्दर्भ में हम आपको कुछ महत्वपूर्ण बातें बताना चाहेंगे:

1. प्रशासन की और से हमें इस प्रक्रिया के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गयी है और न ही हमसे कोई राय ली गयी है। 
2. जैसे हम मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण को भी सूचित किये हैं, विधान सभा द्वारा पारित उत्तराखंड नगर निकायों और प्राधिकरणों हेतु विशेष प्रावधान अधिनियम, 2018 (उत्तराखंड अधिनियम संख्या 24 वर्ष 2021 एवं उत्तराखंड अधिनियम संख्या 5 वर्ष 2025 द्वारा संशोधित) के धारा 4(2) के अनुसार “किसी निर्णय, डिक्री तथा न्यायालयों के आदेषों से सम्बन्धित प्रकरणों के अतिरिक्त जोकि उपधारा 4(1) में वर्णित हैं, में दिनांक 11.03.2016 की स्थिति के अनुसार यथास्थिति बनायी रखी जा सकेगी।”  धारा 4(3) के अनुसार “उपधारा (1) में संदर्भित अनधिकृत निर्माण से सम्बन्धित प्रकरणों में किसी भी  स्थानीय निकाय/प्राधिकरण द्वारा दिये गये नोटिस के फलस्वरूप होने वाली दण्डात्मक कार्यवाही इस अधिनियम के लागू होने की दिनांक से आगामी 09 वर्ष के लिए स्थगित रहेगी एवं इस अवधि में इन प्रकरणों पर कोई दंडात्मक कार्यवाही नहीं की जा सकेगी।” इसलिए हमें नोटिस द्वारा धमका कर ज़बरन विस्थापित करने का प्रयास कानून एवं सरकार की नीतियों के खिलाफ है।  3. प्रस्तावित फ्लैट आवंटन को ले कर हमसे कितना शुल्क लिया जायेगा और उसके लिए भुगतान की व्यवस्था क्या होगी, इसके बारे में हमें कोई जानकारी नहीं है।  
4. जिस फ्लैट कॉम्प्लेक्स की बात की जा रही है, वह पंद्रह साल से ज्यादा आधा निर्मित स्थिति में रहा।  वह नदी के बीच में बना हुआ हैं। इसलिए जब तक इसकी सुरक्षा के बारे में कोई जानकारी सार्वजनिक नहीं की जाती है, वहां पर लोगों को विस्थापित करना हमारी जान को जोखिम में डालने के समान होगा।5. यह फ्लैट पुरे परिवार के लिए रहने लायक नहीं है। 

अतः उपरोक्त कारणों की वजह से हम आपको बताना चाहेंगे कि इस ज़बरन विस्थापन प्रक्रिया के लिए हम तैयार नहीं है ।  आपसे विनम्र निवेदन है कि नगर निगम इस प्रक्रिया में और आगे बढ़ने के बजाय हमसे वार्ता की जाये और कानून एवं जनता की ज़रूरतों के आधार पर आगे का योजना बनाने की कृपा करे। 

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