सामाजिक

मुख्य मंत्री ने हरी झंडी दिखा कर की राहत सामाग्री रवाना

देहरादून, उत्तराखंड उत्तरकाशी ज़िले का हर्षिल क्षेत्र, जो अपनी अद्भुत प्राकृतिक सुंदरता, सेब के बागानों और सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थान के रूप में जाना जाता है, इन दिनों भारी बारिश, भूस्खलन और पहाड़ी दरकने जैसी आपदाओं से बुरी तरह प्रभावित है। ऊँचाई पर बसे इस इलाके में बीते कुछ दिनों से लगातार मूसलाधार वर्षा हो रही है, जिससे न केवल कई गाँवों का सड़क संपर्क टूट गया है बल्कि बिजली-पानी की आपूर्ति भी बाधित हो गई है। भू-स्खलन से कई मकान क्षतिग्रस्त हो गए हैं, खेतों में खड़ी फसलें बर्बाद हो चुकी हैं और लोग बेहद कठिन परिस्थितियों में अपना जीवन गुजारने को मजबूर हैं। मौसम की मार के साथ-साथ ठंड ने स्थिति को और गंभीर बना दिया है। आपदा की गंभीरता को देखते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने स्थिति का तत्काल संज्ञान लिया और प्रशासन के साथ लगातार संपर्क बनाए रखते हुए राहत कार्यों को तेज़ करने के स्पष्ट निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने यह सुनिश्चित किया कि हर्षिल और उसके आसपास के उन सभी गाँवों तक राहत पहुँच सके जो सड़क मार्ग से पूरी तरह कट चुके हैं। उन्होंने हेलीकॉप्टर और एयरक्राफ्ट के माध्यम से आपूर्ति की अनुमति तुरंत प्रदान की, ताकि दुर्गम इलाकों में फँसे लोगों तक समय रहते भोजन, पानी और दवाइयाँ पहुँचाई जा सकें। मुख्यमंत्री धामी ने देहरादून में आयोजित एक कार्यक्रम में सेवा इंटरनेशनल और कोटक के राहत अभियान को हरी झंडी दिखाई और कहा कि यह साझेदारी इस बात का प्रमाण है कि सरकार, समाज और निजी क्षेत्र जब एकजुट होते हैं तो किसी भी आपदा का सामना प्रभावी ढंग से किया जा सकता है। उन्होंने सेना, वायुसेना और राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एसडीआरएफ) को भी राहत कार्यों में सक्रिय सहयोग का निर्देश दिया। सेवा इंटरनेशनल ने, कोटक के सहयोग से, इस अभियान के तहत एक हजार से अधिक राहत किट तैयार कीं, जिनमें आटा, चावल, दाल, नमक, चीनी, खाद्य तेल, चाय पत्ती, मसाले, साबुन, सैनिटरी किट, टूथपेस्ट, डिटर्जेंट, पीने का पानी, जल शुद्धिकरण टैबलेट, आवश्यक दवाइयाँ, ओआरएस और फर्स्ट-एड किट शामिल थीं। इन सामग्रियों का चयन इस तरह किया गया कि वे लंबे समय तक सुरक्षित रहें और कठिन परिस्थितियों में तुरंत इस्तेमाल की जा सकें। राहत सामग्री को पहले देहरादून से उत्तरकाशी मुख्यालय पहुँचाया गया और फिर वहाँ से भारतीय वायुसेना के हेलीकॉप्टरों के माध्यम से हर्षिल, बगोरी, मुखबा, झाला, धराली जैसे गाँवों में भेजा गया। दुर्गम इलाकों तक राहत पहुँचाने का यह कार्य आसान नहीं था। लगातार हो रही बारिश के कारण हेलीकॉप्टर उड़ान संचालन में भी दिक्कतें आईं, लेकिन पायलटों, प्रशासनिक अधिकारियों और स्वयंसेवकों के प्रयासों ने इसे संभव बना दिया। कई जगह हेलीकॉप्टर को सुरक्षित उतरने की जगह नहीं मिली, इसलिए सामग्री को रस्सियों की मदद से नीचे गिराया गया, जिसे स्थानीय स्वयंसेवकों ने इकट्ठा कर गाँव-गाँव पहुँचाया। सेवा इंटरनेशनल के ट्रस्टी एवं पूर्व राज्य मुख्य सूचना आयुक्त जगदीश पी. ममगई ने कहा कि आपदा राहत में त्वरित कार्यवाही ही जीवन बचाने की कुंजी है। उन्होंने बताया कि स्थानीय प्रशासन और ग्रामीणों के सहयोग से उन गाँवों की सूची बनाई गई जहाँ ज़रूरत सबसे अधिक थी, ताकि एक भी परिवार सहायता से वंचित न रह जाए। राज्य प्रमुख तारकराम टी.एस. ने कहा कि एयरलिफ्ट से हम उन गाँवों तक भी पहुँच पा रहे हैं जो पूरी तरह अलग-थलग हो चुके थे और यह सिर्फ़ राहत सामग्री पहुँचाना नहीं है, बल्कि यह संदेश है कि उत्तराखंड के लोग अकेले नहीं हैं। इस अभियान में जगदीश पी. ममगई, तारकराम टी.एस., प्रदीप नेगी, राजन डबराल, लोनेन्द्र बलोड़ी समेत संस्था के पदाधिकारी और स्थानीय स्वयंसेवक दिन-रात जुटे रहे। पैकिंग, लोडिंग, हेलीकॉप्टर में सामग्री चढ़ाना और ज़मीन पर वितरण करना — हर चरण में सामुदायिक सहभागिता देखने को मिली। स्थानीय युवाओं ने बुजुर्गों और बीमारों तक पैदल जाकर राहत सामग्री पहुँचाई। राहत कार्य के साथ-साथ सेवा इंटरनेशनल ने भविष्य के लिए पुनर्वास योजनाओं की भी घोषणा की है, जिनमें अस्थायी आश्रय शिविरों की स्थापना, क्षतिग्रस्त स्कूलों और आंगनबाड़ी केंद्रों का पुनः संचालन, पीने के पानी के स्रोतों की मरम्मत, स्वास्थ्य शिविरों का आयोजन और महिलाओं व बच्चों के लिए पोषण सहायता कार्यक्रम शामिल हैं। संस्था ने स्पष्ट किया है कि राहत कार्य सिर्फ़ शुरुआत है, असली चुनौती पुनर्निर्माण की है, और इसके लिए वे निरंतर काम करेंगे। उत्तराखंड सरकार ने इस पहल की प्रशंसा करते हुए अन्य सामाजिक संगठनों, कॉरपोरेट घरानों और नागरिकों से भी आह्वान किया है कि वे राहत और पुनर्वास कार्यों में योगदान दें। मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि आपदा केवल सरकारी चुनौती नहीं, बल्कि सामूहिक जिम्मेदारी है, और हर संभव प्रयास किया जाएगा कि राज्य के किसी भी कोने में कोई नागरिक बिना सहायता के न रहे।

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