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देहरादून। नौनिहालों, खासकर बालिकाओं में जीवन कौशल के विविध आयाम विकसित कर उनको जीवन की चुनौतियों से लड़ने के लिए तैयार करने के उद्देश्य से रूम टू रीड द्वारा स्थानीय होटल में एक वृहद कार्यशाला का आयोजन किया गया।
इस अवसर पर रूम टू रीड की राज्य प्रभारी पुष्पलता रावत ने अपने स्वागत भाषण में कहा कि #हर कदम बेटी के संग की अवधारणा के साथ उत्तराखंड के सभी तेरह जिलों में सेमिनार, नुक्कड़ नाटक, पोस्टर प्रदर्शनी, कविता और कहानी प्रतियोगिताओं, शिक्षक -संवाद, सामुदायिक विमर्श जैसी गतिविधियों के ज़रिए 7 नवंबर से शुरू हुए इस अभियान का आज सेमिनार के रूप में समापन हो रहा है। इस आयोजन में शिक्षकों,बुद्धिजीवियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं,समुदायों और छात्र छात्राओं को जीवन कौशल के व्यवहारिक पक्षों से परिचित करवाकर तमाम चुनौतियों के प्रति सकारात्मक नज़रिया अपनाने के लिए जागरूक करने का प्रयास किया गया।
कार्यक्रम में साहित्यकार मुकेश नौटियाल ने “साहित्य में जीवन कौशल शिक्षा के अचिन्हें क्षेत्र” विषय पर व्याख्यान देते हुए कहा कि कथा साहित्य में चरित्रों को अभिनव जीवन कौशल के ज़रिए जीतते हुए दिखाने की परंपरा इसीलिए है कि संघर्ष -पथ की चुनौतियों से मनुष्य को पार पाते दर्शाया जा सके। तमाम उदाहरण देकर उन्होंने बताया कि जीत के लिए नए ढंग से कुछ करना पहली आवश्यकता है। यही नयापन मौलिकता कहलाता है जो भीड़ में किसी को खास पहचान दे जाता है।
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जीवन कौशल के क्षेत्र में अभिनव प्रयोग करने वाली संस्थाओं के चुनिंदा वक्ताओं ने कार्यशाला में अपने अनुभव साझा किए। गांधी फेलोशिप प्राप्त कर चुकी उद्यम लर्निंग फाउंडेशन की चेष्टा के वक्तव्यों में यह तथ्य विशेष रूप से रेखांकित हुआ कि आज के समय में वर्ग, जाति,संप्रदाय और लिंग भेद के शिकार युवाओं को जीवन कौशल के माध्यम से मुख्य धारा में लाने के अधिकाधिक अवसर सुलभ करवाना राष्ट्र और समाज की पहली जिम्मेदारी है। उत्तराखंड शिक्षा विभाग के लिए आनंदम पाठ्यचर्या बनाने वाले ड्रीम ए ड्रीम के पंकज सिंह ने कहा कि सामाजिक न्याय और समानता की दिशा में जीवन कौशल के विकास की पहल निर्णायक रूप से कारगर हो सकती है। पैनल डिस्कशन के विशेष सत्र में ब्लू ओर्भ, लव्या फाउंडेशन, माउंटेन चिल्ड्रेन फोरम और धाद के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। परिचर्चा में शामिल निशा जोशी ने अपने वक्तव्य में कहा कि बालिकाओं के अंतस में “मैं कौन हूं?” का विचार आते ही उनमें अपने आत्मगौरव के प्रति विश्वास जाग जाता है। यहीं से सामाजिक और लैंगिक असमानताओं के खिलाफ़ खड़े होने के लिए उनमें नया विश्वास पैदा होता है।
रूम टु रीड के बालिका शिक्षा कार्यक्रम के तहत कौशल विकास का प्रशिक्षण ले चुकी शना पठान, प्रियंका पोखरियाल,शीतल रौतेला और स्वाति पाल ने अपने अनुभव साझा किए। पूनम जुयाल ने रूम टु रीड द्वारा बालिका शिक्षा को लेकर किए गए सर्वेक्षण की रिपोर्ट प्रस्तुत की। इस रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि सुरक्षा का भरोसा बालिकाओं को विद्यालय से बांधे रखता है।
इस अवसर पर लोकेश नवानी, तन्मय ममगाईं, शांति प्रकाश जिज्ञासु, लोकगंगा पत्रिका की संपादक कल्पना बहुगुणा, रोहित गुप्ता, अर्चना ग्वाडी, बाल कल्याण समिति के सदस्य सुधीर भट्ट आदि मौजूद थे।
कार्यक्रम का संचालन स्वाति ने किया। आयोजन से जुड़ी रोहिणी राय ने धन्यवाद ज्ञापन दिया।