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2280 अतिक्रमण हटाए गए, आगे भी जारी रहेगा अभियान

वन भूमि पर अतिक्रमण हटाओ अभियान के तहत टास्क फोर्स ने उत्तराखंड में 2279 अतिक्रमण हटाए हैं। प्रदेश नोडल अफसर एडीजी कानून व्यवस्था डॉ. वी मुरुगेशन ने बताया कि सबसे ज्यादा अतिक्रमण देहरादून जिले में हटाए गए हैं। यहां 1415 अतिक्रमण हटाकर सरकारी जमीन को कब्जा मुक्त किया गया है। इसके अलावा हरिद्वार में 259, पौड़ी में सात, टिहरी में 106, चमोली में 47, ऊधमसिंहनगर में 416, नैनीताल में 19, अल्मोड़ा में चार, पिथौरागढ़ में पांच और बागेश्वर में एक अतिक्रमण हटाया गया है। जिलों से यह 14 मई तक की रिपोर्ट भेजी गई है। इसे शासन को भी भेज दिया गया है।

खनन के लिए नदियों में बनी झुग्गियों को भी हटाएगा वन विभाग

प्रदेश में वन क्षेत्रों में स्थित नदियों में खनन के दौरान मजदूर झुग्गियां बनाकर नहीं रह सकेंगे। उन्हें दिन में खनन का काम कर रात को स्थायी ठिकाने पर लौटना होगा। वन विभाग शीघ्र ही अभियान चलाकर नदियों में बनी झुग्गियों को हटाएगा। इसके अलावा जलाशयों और पोखरों में किए गए अतिक्रमण को भी हटाया जाएगा।

प्रदेश में वन भूमि पर किए गए अतिक्रमण के खिलाफ सरकार की कार्रवाई जारी है। इस अभियान के तहत अब तक अवैध रूप से बनाए गए धार्मिक स्थलों को चिह्नित करते हुए उन्हें हटाने की कार्रवाई की जा रही थी, लेकिन अब अभियान को आगे बढ़ाते हुए नदी क्षेत्रों को भी अतिक्रमण मुक्त कराया जाएगा। इसके तहत तमाम जलस्रोत, झील, तालाब को कब्जा मुक्त कराया जाएगा। इस काम में जिला प्रशासन की भी मदद ली जाएगी। इस बाबत शासन की ओर से भी आदेश दिए गए हैं। शासन की ओर से अवैध कब्जों को हटाने के लिए 10 सूत्रीय गाइडलाइन तय करने के साथ ही कार्रवाई का समय और अधिकारियों की जिम्मेदारियां तय की गई हैं।

नोडल अधिकारी डॉ. पराग मधुकर धकाते ने बताया कि वन अधिनियम के तहत कोई भी व्यक्ति वन क्षेत्र में रात नहीं गुजार सकता है। इसलिए वन क्षेत्रों में स्थित नदियों से रात के समय मजदूरों को भी बाहर किया जाएगा।

उन्हें दिन में नदी क्षेत्र में खनन का काम करने के बाद रात को अपने स्थायी ठिकाने पर लौटना होगा। उन्होंने बताया कि अवैध रूप से बनाए गए धार्मिक अतिक्रमणों के खिलाफ कार्रवाई जारी है। अब तक करीब 350 मजारों और 35 मंदिरों को हटाया जा चुका है। उन्होंने बताया कि वन सीमा से सटे अवैध अतिक्रमणों को भी हटाया जाएगा।

इन नदियों से हटाया जाएगा अतिक्रमण

गौला, शारदा, नंधौर, दाबका, कोसी, गंगा, मालन, कालसी, जमुना, टौंस, खो नदी, खुखरो, शीतला, आसन, रिस्पना, पोनधई, चोरखाला, स्वार्णना, जाखन, सहस्त्रधारा काली राव और मालदेवता बरसाती नाला आदि नदियां शामिल हैं।

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