उत्तराखंड

थोड़ा विचार करो

आप और हमको थोड़ा समय निकालना पड़ेगा और विचार करो रात होती है रात पड़ती है सुबह होती है शाम होता है ओर इसी प्रकार कब पूरा जीवन बीत जाता है चाहे बाल्या वस्था से लेकर तरुण अवस्था जवानी बुढ़ापा पता ही नहीं चलता है क्योंकि हम माया में अपने को इतना डुबो देते हैं कि वहां से निकलना बड़ा मुश्किल हो जाता है और जब शरीर साट पर कर लेता है तब हमको पिछला बिता हूआ समय याद आता है कहां गलत हुआ है और अगर गलत हुआ है तो हम उसको सही क्यों नहीं कर पाये तब हमें पछतावा होता है किंतु अब पछता के क्या होता है जब चिड़िया चुग गई खेत इसलिए हमें समय पर जागना चाहिए और सत मार्ग के और अपने कदम बढ़ाना चाहिए और यह कदम बिना गुरु के आगे नहीं बढ़ते परंतु गुरु कैसा होना चाहिए जो हमें सत्य का रास्ता दिखा दे उसके लिए हमें संघर्ष करना पड़ेगा कांटे का ताज पहनने के लिए तैयार होना पड़ेगा तब जाकर सतगुरु मिलता है सतगुरु मिल जाएं तो काया पलट हो जाती है तब असली दुनिया दिखाई पड़ती इसलिए मेरे मित्रों दोस्तों रिश्ते नातेदारों भाइयों क्षेत्र के बुद्धि जीवो अपने आप को अगर गलत रास्ते से बचना है तो सतगुरु के चरणों में समर्पित हो जाना है
बीनू गुरु ज्ञान न होई खगेसू
बिन मित्र मिटे न कलेशू
प्रथम गुरु हमारी मां है दूसरा गुरु जो हमें किताबों के माध्यम से ज्ञान विज्ञान देश-विदेश के बारे में समझता है तीसरा गुरु हमें वेद शास्त्रों के बारे में जानकारी देता है महापुरुषों का इतिहास के बारे में समझता है तथा कर्मकांडों के द्वारा हमें संस्कारित होना पड़ता है और परमात्मा के चित्रों को दर्शाता है
चौथा गुरु जो इन तमाम समस्याओं से हमें पार लगाता है और सत्य मार्ग की और चलना सिखाता है उसको कहते हैं सतगुरु किंतु यह तब संभव है जब हम वेद शास्त्रों को समझे उनके अनुकूल चले साथियों यह मेरा अपना अनुभव है और महापुरुषों का उपदेश है। देवी सिंह पंवार

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