उत्तराखंड

पेड़ बचाने के लिए विरोध मार्च

उत्तराखंड इंसानियत मंच और उत्तराखंड महिला मंच सहित 34 संगठन हुए शामिल

देहरादून:
यह पहला मौका है जब पर्यावरण संरक्षण के लिए सड़कों पर संघर्ष करने वाले लोगों ने राज्य में पर्यावरण की सुरक्षा के लिए समर्पित राजनीतिक विकल्प की जरूरत पर जोर दिया और कहा कि हमें पर्यावरण के प्रति संवेदनशील लोगों को राजनीति में सक्रिय करना होगा।

देहरादून में विभिन्न योजनाओं के नाम पर आने वाले दिनों में हजारों पेड़ काटे जाने की सुगबुगाहट में देहरादून के लोगों ने आज दिलाराम बाजार से हाथी बड़कला स्थित एक मॉल पर पर्यावरण मार्च किया और पेड़ काटे जाने के प्रस्ताव का विरोध किया। इस मार्च में सिटीजन फॉर ग्रीन दून, उत्तराखंड इंसानियत मंच, उत्तराखंड महिला मंच, एप्टा, एसएफआई, एसडीसी फाउंडेशन, भारत ज्ञान विज्ञान समिति सहित कुल 34 जन संगठनों ने हिस्सा लिया।

प्रसिद्ध पर्यावरणविद् डॉ. रवि चोपड़ा ने अपने संबोधन में कहा कि सरकारों से कहते हुए, अनुरोध करते हुए और धरने प्रदर्शनों के माध्यम से अपनी बात सरकारों तक पहुंचाते हुए कई साल गुजर गये हैं, लेकिन अब सरकारों से हमारा विश्वास उठ गया है।

हम समझ चुके हैं कि मौजूदा सरकार और मौजूदा नेताओं को पर्यावरण से कोई लेना-देना नहीं है। इसलिए यदि हम चाहते हैं कि हमारे जंगल बचें हमारे पेड़ बचें तो हमें अपने बीच से राजनीतिक विकल्प तलाशाना होगा। यदि ऐसा नहीं किया गया तो हमें साल दर साल जलवायु परिवर्तन के असर से जूझना पड़ेगा।

एसडीसी फाउंडेशन के अध्यक्ष और सामाजिक कार्यकर्ता अनूप नौटियाल ने भी अपने संबोधन में राजनीतिज्ञों के प्रति अविश्वास जताया। उन्होंने जब लोगों से पूछा कि क्या वे नेताओं पर विश्वास करते हैं तो वहां मौजूद लोगों ने एक स्वर में ना में जवाब दिया। उन्होंने यह भी पूछा कि कितने लोग चाहते हैं कि ऋषिकेश का सफर 15 मिनट कम करने के लिए 3 हजार पेड़ काटे जाएं तो सभी ने ना में जवाब दिया।

उन्होंने 10 बिन्दुओं का एक प्रस्ताव भी पढ़ा जिसमें देहरादून में बढ़ते हुए प्रदूषण और तापमान को देखते हुए भविष्य में एक भी पेड़ न काटने की सरकार से मांग की गई है।

उत्तराखंड महिला मंच की कमला पंत ने कहा कि देहरादून को जिस आबोहवा के लिए जाना जाता था, वह खत्म हो चुकी है, देहरादून भी दिल्ली की तरह गर्म और प्रदूषित शहर बन गया है। इसका एक मात्र कारण है देहरादून से पेड़ों का सफाया। उन्होंने कहा कि अब बहुत हो गया है। इसके बाद एक भी पेड़ काटने की बात हो तो सभी को एकजुट होकर आगे आना होगा।

कुछ युवाओं ने इस मौके पर एक नाटक की प्रस्तुति दी। नाटक का नाम था थ्री डी- दिल्ली, दहशत और देहरादून। इस नाटक में दिल्ली और देहरादून खुद को प्रदूषण, महिला अपराध और बेरोजगारी जैसे तमाम मुद्दों पर श्रेष्ठ साबित करने का प्रयास करते हैं। नाटक का वहां मौजूद लोगों ने जमकर सराहना की।

मार्च में नन्द नन्दन पांडे, हरिओम पाली, जगमोहन मेहंदीरत्ता, विजय भट्ट, इंद्रेश नौटियाल, सतीश धौलाखंड, अजय शर्मा, त्रिलोचन भट्ट, हिमांशु चौहान, नितिन मलेठा, यशवीर आर्य, आरिफ खान, तुषार रावत, पूरन बर्तवाल, परमेन्द्र सिंह, हिमांशु अरोड़ा, जया चौहान, जया सिंह, लोकेश ओहरी, शैलेंद्र परमार, रुचि चौहान, अयाज खान आदि भी मौजूद थे।

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