उत्तराखंडशिक्षासामाजिक

रिसर्च, इंडस्ट्री और स्किल्स की त्रिवेणी से बदलेगी फार्मा की सूरत

डॉ. योगेन्द्र सिंह बोले, वैरी शार्ट, शार्ट और लॉग टर्म गोल्स को तय करें
फार्मास्युटिकल इंडस्ट्री में सीएसवी अति महत्वपूर्ण हिस्साः डॉ. डी. बिर्डी
फार्मेसी स्टुडेंट्स को इंडस्ट्री रेडी बनाने की दरकारः राकेश श्रीवास्तव
ट्रांसडर्मल पैचेज़ पर इन्नोवेशन की असीम संभावनाएंः डॉ. गौरव गोयल
आईसीएच गाइडलाइंस मेडिसिन रिसर्च में बहुत अहमः डॉ. परेश वार्ष्णेय
इंडस्ट्री की ज़रूरतों के मुताबिक खुद को तैयार करें छात्रः श्री विक्रांत धामा

एकम्स फार्मा के जीएम डॉ. योगेन्द्र सिंह बोले, फार्मा सेक्टर में कम्प्यूटर सिस्टम वैलीडेशन- सीएसवी के संग-संग क्वालिटी एश्योरेंस-क्यूए और क्वालिटी कंट्रोल-क्यूसी की अहम भूमिका है। सीएसवी केवल डोजेज़ फॉर्म तक ही सीमित नहीं है, बल्कि मैन्युफैक्चरिंग यूटीलाइजिंग और क्रोमेटोग्राफी तक विस्तृत है। उन्होंने स्टुडेंट्स से कहा, आप अपनी बेसिक साइंस को मजबूत करो- एचपीएलसी, यूवी, क्रोमेटोग्राफी आदि की समझ होना इंडस्ट्री के लिए अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने क्रिकेटर रवि शास्त्री का उदाहरण देते हुए समझाया, हमें अपने डिपार्टमेंट के संग-संग दूसरे डिपार्टमेंट की भी सामान्य जानकारी होनी चाहिए। अपने वैरी शार्ट टर्म, शार्ट टर्म और लॉग टर्म गोल्स को तय करें। ग्लोबल फार्मा इंडस्ट्री में करियर की असीम संभावनाएं हैं, लेकिन इसके लिए जरूरी है, आपके बेसिक्स क्लियर हों और आप स्किल्ड भी हों। डॉ. योगेन्द्र सिंह तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी, मुरादाबाद के फार्मेसी कॉलेज और इंस्टीट्यूशनल इन्नोवेशन काउंसिल- आईआईसी की ओर से फार्मास्युटिकल रिसर्च एंड इन्नोवेशनः स्ट्रेंथनिंग इंडस्ट्री-अकेडमिया कोलाबोरेशन पर आयोजित नेशनल कॉन्फ्रेंस एनसीपीआरआई 2025 के समापन मौके पर बोल रहे थे। इस अवसर पर फार्मास्युटिकल इंडस्ट्रीज में कम्प्यूटर सिस्टम वैलिडेशन, एआई, क्रिस्पर, डिजिटलाइजेशन जैसी तकनीकों से पाठ्यक्रम अपडेशन आदि पर पैनल डिसक्शन भी हुआ। एनसीपीआरआई में स्टुडेंट्स, फैकल्टीज़, रिसर्चर्स की ओर से 78 ओरल रिसर्च पेपर्स और 81 पोस्टर्स भी प्रस्तुत हुए। इससे पूर्व मेहमानों ने दीप प्रज्जवलित करके नेशनल कॉन्फ्रेंस के दूसरे दिन का शंखनाद किया। अंत में सभी अतिथियों को स्मृति चिन्ह भी भेंट किए गए। संचालन कॉन्फ्रेंस सेक्रेटरी डॉ. आशीष सिंघई और डॉ. मिथुल मेमन ने बारी-बारी से किया।

प्रीमीडियम फार्मास्युटिकल के निदेशक डॉ. डी. बिर्डी बोले, फार्मा इंडस्ट्री में स्किल्ड लोगों और छात्रों के लिए कम्प्यूटर सिस्टम वैलीडेशन- सीएसवी को समझने की ज़रूरत है। फार्मास्युटिकल इंडस्ट्री में सीएसवी अहम हिस्सा बन चुका है। दवा बनाने या जांचने के लिए कंप्यूटर सिस्टम इस्तेमाल होता है, तो यह पक्का करना जरूरी होता है कि कंप्यूटर सिस्टम सही, सुरक्षित और भरोसेमंद है। इसी प्रक्रिया को सीएसवी कहते हैं। इस फील्ड में काम करने के लिए तकनीकी समझ के साथ-साथ गाइडलाइंस की जानकारी भी ज़रूरी होती है जैसे कि जीएमपी 5, 21 सीएफआर पार्ट 11 के नियम, इसीलिए इस फील्ड में स्किल्ड प्रोफेशनल्स की भारी मांग है, जो क्वालिटी, कंप्लायंस और डेटा सिक्योरिटी को अच्छे से समझते हैं। छात्रों को सीएसवी की बेसिक समझ देना वक्त की ज़रूरत है। हमारा लक्ष्य होना चाहिए कि हम आने वाली पीढ़ी को इस क्षेत्र में न सिर्फ जानकारी दें, बल्कि उन्हें इंडस्ट्री के लिए तैयार भी करें।

बायोलॉजिकल ई लि. के प्लांट प्रोडक्शन मैनेजर श्री राकेश श्रीवास्तव बोले, फार्मास्युटिकल इंडस्ट्री में रिसर्च एंड ट्रेनिंग, इन्नोवेशन और बाजार की मांग के मुताबिक शिक्षा में परिवर्तन अति आवश्यक है। तेजी से बदलती फार्मास्युटिकल इंडस्ट्री में नई तकनीकें, ऑटोमेशन और डिजिटल टूल्स लगातार शामिल होते जा रहे हैं। ऐसे में मात्र डिग्री से ही आप इंडस्ट्री के लिए तैयार नहीं हो सकते हैं, बल्कि स्टुडेंट्स को इंडस्ट्री रेडी बनाने के लिए प्राब्लम बेस्ड लर्निंग, हैंड्स ऑन ट्रेनिंग, वर्कशॉप-इंटर्नशिप समय की दरकार है। उन्होंने स्टार्ट अप्स और एसएमईएस के जरिए इन्नोवेशन क्रिएटिविटी के दम पर फार्मा सेक्टर में नई दिशा देने की अपील की। युवाओं में न केवल एकेडमिक स्किल्स, बल्कि इंडस्ट्री की रियल वर्ल्ड जरूरतों को समझने की क्षमता भी होनी चाहिए। अकादमी और इंडस्ट्री को साथ मिलकर ऐसा माहौल बनाना चाहिए, जिसमें नए आइडियाज़, रिसर्च और मार्केट डिमांड का सही तालमेल हो सके। यही आज की फार्मा शिक्षा और प्रैक्टिस की असल जरूरत है।

जाइडस केडिला के जीएम डॉ. गौरव गोयल ने कहा, मेडिसंस की डिलीवरी में ट्रांसडर्मल पैचेज़ पर अनुसंधान और इन्नोवेशन की असीम संभावनाएं हैं। ट्रांसडर्मल पैचेज़ की कार्यप्रणाली को प्रैक्टिकली समझाते हुए उन्होंने क्वालिटी कंट्रोल की प्रक्रिया को विस्तार से समझाया। ट्रांसडर्मल पैचेज़ में मेडिसिन की मात्रा को जांचने के लिए उन्होंने एचपीएलसी क्रोमेटोग्राफी को अपनाने पर जोर दिया। असेंचर के एसोसिएट वाइस प्रेसीडेंट डॉ. परेश वार्ष्णेय ने बतौर विशिष्ट अतिथि कहा, आज क्लीनिकल डवलपमेंट प्लान- सीडीपी, रियल वर्ल्ड एविडेंस- आरडब्ल्यूई और इंटरनेशनल काउंसिल फॉर हार्माेनाइजेशन- आईसीएच गाइडलाइंस मेडिसिन रिसर्च की दुनिया में बहुत अहम हो गए हैं। पहले सिर्फ क्लीनिकल ट्रायल्स के डेटा को ही मान्यता मिलती थी, लेकिन अब इलाज के असली अनुभव यानी रियल वर्ल्ड डेटा को भी महत्व दिया जा रहा है। इसका मतलब है, अस्पतालों, डॉक्टरों और मरीजों की रोजमर्रा की जानकारी को भी रिसर्च में शामिल किया जा रहा है। आईसीएच की नई गाइडलाइंस अब इस बदलाव को अपनाने पर ज़ोर दे रही हैं। इससे दवाएं ज्यादा जल्दी, सुरक्षित और कम खर्च में लोगों तक पहुंच सकेंगी। हालांकि रियल वर्ल्ड डेटा की विश्वसनीयता और तरीके अभी भी चुनौती बने हुए हैं। फिर भी अगर सीडीपी में आरडब्ल्यूई को सही तरह जोड़ा जाए, तो इलाज और रिसर्च दोनों आम लोगों के लिए ज्यादा फायदेमंद और असरदार हो सकते हैं।

ग्लोबल हैवकोम टेक्नोलॉजीज़ लि. के हेड कंप्लायंस श्री विक्रांत धामा बोले, आज की फार्मास्युटिकल और लैबोरेटरी इंडस्ट्री में कंप्यूटर सिस्टम वैलिडेशन- सीएसवी, हाई परफॉर्मेंश लिक्विड का्रेमाटोग्राफी-एचपीएलसी, यूवी स्पेक्ट्रोफोटोमीटर और लैब में क्रोमैटोग्राफी तकनीकों की भूमिका एक जरूरी प्रक्रिया बन चुकी है। जब भी एचपीएलसी यूवी का्रेमाटोग्राफी, यूवी स्पेक्ट्रोफोटोमीटर या अन्य क्रोमैटोग्राफी तकनीकों का इस्तेमाल होता है, तब यह जरूरी होता है कि उनसे जुड़ा सॉफ़्टवेयर और डेटा सिस्टम सही ढंग से काम कर रहा हो और विश्वसनीय परिणाम दे रहा हो। एचपीएलसी और यूवी जैसी तकनीकें दवाओं की शुद्धता, शक्ति और स्थायित्व को जांचने में अहम भूमिका निभाती हैं। इन उपकरणों के संचालन में डेटा जनरेशन, प्रोसेसिंग और स्टोरेज के लिए कंप्यूटर सिस्टम की मदद ली जाती है। इसलिए, इन सिस्टम्स का वैलिडेशन यह सुनिश्चित करता है कि कोई भी त्रुटि न हो और सभी काम नियमानुसार हों। छात्रों को सीएसवी, जीएलपी नियमों और प्रयोगशाला उपकरणों की फंक्शनिंग की जानकारी देना आज जरूरी है, ताकि वे इंडस्ट्री की आधुनिक ज़रूरतों के अनुसार खुद को तैयार कर सकें। कॉन्फ्रेंस में डीपीएसआरयू, दिल्ली की डॉ. प्रीति जैन ने क्वालिटी बाय डिजाइन पर व्याख्यान दिया, जबकि बीआईटीएस, पिलानी के डॉ. हेमंत जाधव, ल्युपिन के कॉर्पोरेट अफेयर्स डायरेक्टर श्री अभिनव श्रीवास्तव, ग्लोबल हैवकोम टेक्नोलॉजीज़ लि. के डिजिटल कंप्लायंस कंसल्टेंट श्री अगम त्यागी आदि ने भी अपने-अपने विषयों पर व्याख्यान दिए। इस अवसर पर कॉन्फ्रेंस चेयर एवम् फार्मेसी के प्राचार्य प्रो. अनुराग वर्मा, कन्वीनर प्रो. फूलचन्द, को-कन्वीनर- प्रो. मयूर पोरवाल एवम् प्रो. कृष्ण कुमार शर्मा, सेक्रेटरी श्री आदित्य विक्रम जैन आदि की उल्लेखनीय मौजूदगी रही।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button