उत्तराखंड

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के चार वर्षों का कार्यकाल: असफलताओं की लंबी फेहरिस्त राकेश राणा

जिला कांग्रेस कमेटी टिहरी गढ़वाल के अध्यक्ष राकेश राणा ने कहा कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी अपने चार वर्षों के कार्यकाल पर झूठा प्रचार कर जनता को गुमराह करने का प्रयास कर रहे हैं, जबकि वास्तविकता इससे बिल्कुल विपरीत है।

बिंदुवार सूची:

भाजपा के सांसद, विधायक और पदाधिकारी स्वयं सरकार की विफलताओं को उजागर कर रहे हैं, जो स्पष्ट संकेत है कि सब कुछ ठीक नहीं है।

चार साल की नाकामियों, जनविरोधी नीतियों और देवभूमि की अस्मिता पर हमलों की लंबी सूची, भाजपा सरकार के कार्यकाल की पोल खोलती है।

बेरोजगारी और पलायन में बेतहाशा वृद्धि, सरकार के खोखले दावों की असलियत उजागर करती है।

महिला अपराधों में उत्तराखंड शीर्ष पर पहुंच गया है, जो धामी सरकार की गंभीर विफलता को दर्शाता है।

चारधाम यात्रा में तीर्थ यात्रियों की रिकॉर्ड मौतें, सरकार की अव्यवस्था और लापरवाही की परिचायक हैं।

सड़क दुर्घटनाओं में सबसे अधिक मौतें इसी कार्यकाल में हुईं, जो सरकार की निष्क्रियता और लचर व्यवस्था को उजागर करती हैं।

यूसीसी (समान नागरिक संहिता) का सबसे पहला उल्लंघन भाजपा के पूर्व विधायक द्वारा, यह दर्शाता है कि सरकार खुद अपने बनाए कानूनों का पालन नहीं करवा पा रही।

केदारनाथ धाम की मर्यादा भंग करने का गंभीर आरोप, मंदिर की प्रतिकृति दिल्ली में बनवाना और असली मंदिर से सोना चोरी कर जांच दबाना सरकार की नीयत पर सवाल खड़ा करता है।

खनन और भू-माफियाओं को संरक्षण, भाजपा नेताओं के विरोध के बावजूद, नदियों की खुली लूट को नहीं रोका गया।

भर्ती घोटाले और युवा विरोधी रवैया, युवाओं के भविष्य से क्रूर मज़ाक किया गया।

उपनल, आशा और आंगनबाड़ी कर्मियों की उपेक्षा, और पुरानी पेंशन योजना की बहाली में असंवेदनशीलता सरकार की कर्मचारी-विरोधी मानसिकता को दर्शाती है।

निर्माण कार्यों में भ्रष्टाचार और मलिन बस्तियों का दमन, कांग्रेस सरकार की नियमितीकरण नीति को दरकिनार कर गरीबों को बेघर किया गया।

नगर निकाय और पंचायत चुनावों में अनावश्यक देरी, और हर चुनाव में सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग कर निष्पक्षता की हत्या की गई।

धार्मिक ध्रुवीकरण के ज़रिए समाज को बांटने का प्रयास, जिससे सामाजिक सौहार्द बुरी तरह प्रभावित हुआ।

स्वास्थ्य और शिक्षा की दुर्दशा, महिलाओं को शौचालय में प्रसव और विद्यालयों में शिक्षकों की भारी कमी से भविष्य अंधकारमय होता जा रहा है।

भाजपा महिला मोर्चा की पूर्व जिलाध्यक्ष अनामिका शर्मा प्रकरण में प्रशासन की संलिप्तता और विशेष सुविधाएं देकर जांच को प्रभावित करने का प्रयास शासन के संरक्षण को स्पष्ट करती हैं।

अंकिता भंडारी हत्याकांड में भी सरकार की चुप्पी और लीपापोती, न्याय व्यवस्था को कमजोर करने का उदाहरण है।

गैरसैंण की लगातार उपेक्षा, स्थायी राजधानी की मांग को अनसुना कर पर्वतीय जनता की भावनाओं को आहत किया गया।

एम्स ऋषिकेश सहित प्रमुख संस्थानों में बढ़ती अनियमितताएं और भ्रष्टाचार, पर सरकार की चुप्पी चिंताजनक है।

सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में भारी लापरवाही, प्रधानमंत्री आवास, उज्ज्वला योजना और आयुष्मान भारत जैसी योजनाओं का लाभ अंतिम व्यक्ति तक नहीं पहुंच पा रहा है।

क्या बीजेपी इतनी नाकामी के बाद भी इसे अपनी उपलब्धि मानती है।

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