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श्री अरविंदो कॉलेज की पहल, रद्दी कॉपियों से बनाएंगे नई किताबें

नई दिल्ली। आपके पास घर में ऐसे नोटबुक, रजिस्टर या डायरी तो होंगे जिनके कुछ पन्ने खाली हैं, लेकिन आप उन्हें इस्तेमाल नहीं करना चाहते। ये बेकार समझे जाने वाले पन्ने अब जरूरतमंद बच्चों की पढ़ाई में मददगार बन सकते हैं। इसी उद्देश्य को लेकर दिल्ली विश्वविद्यालय के श्री अरविंदो कॉलेज की राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस) इकाई ने “एक नई किताब” अभियान शुरू किया है।

प्रोजेक्ट वसुंधरा के तहत चल रही इस मुहिम का लक्ष्य समाज में संवेदनशीलता और पर्यावरण संरक्षण का संदेश देना है। स्वयंसेवक घरों से बेकार समझे जाने वाले पुराने रजिस्टर, नोटबुक और डायरी के खाली पन्ने इकट्ठा कर उन्हें नया रूप देंगे। इन पन्नों से तैयार की गई नई कॉपियां और रजिस्टर जरूरतमंद बच्चों को वितरित किए जाएंगे, ताकि पढ़ाई में किसी को कापियों की कमी का सामना न करना पड़े।

कॉलेज के प्राचार्य प्रो. अरुण चौधरी ने बताया कि आज कचरा प्रबंधन और पर्यावरण संरक्षण जैसे मुद्दे बेहद अहम हैं। उन्होंने कहा, “छोटे प्रयास भी समाज में बड़ा बदलाव ला सकते हैं। बेकार समझे जाने वाले कागजों को सही तरीके से उपयोग में लाकर हम पर्यावरण संरक्षण के साथ शिक्षा को भी बढ़ावा दे सकते हैं।”

एनएसएस कार्यक्रम अधिकारी आकृति सैनी ने बताया कि इस पहल से दोहरा लाभ मिलेगा। “एक तरफ कचरे के रूप में फेंके जाने वाले कागजों का उपयोग होगा, वहीं दूसरी तरफ जरूरतमंद बच्चों को पढ़ाई के लिए जरूरी सामग्री उपलब्ध कराई जा सकेगी। इससे समाज में साझा जिम्मेदारी का भाव भी बढ़ेगा।”

एनएसएस अध्यक्ष प्राची ने बताया कि कॉलेज परिसर में जागरूकता अभियान शुरू कर दिया गया है। जल्द ही कलेक्शन सेंटर स्थापित होगा, जहां छात्र, शिक्षक और आम नागरिक आकर बेकार समझे जाने वाले पुराने नोटबुक, रजिस्टर व डायरी दे सकेंगे। इन खाली पन्नों से नई नोटबुक तैयार कर बच्चों तक पहुंचाई जाएंगी।

इस पहल से न केवल पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि समाज में साझा जिम्मेदारी का संदेश भी जाएगा। कॉलेज प्रशासन ने सभी से सहयोग की अपील की है ताकि अभियान को सफल बनाया जा सके।

 

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