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साइबर ठगी का बढ़ता खतरा, 8 माह में 116 करोड़ रुपये की ठगी

देहरादून। डिजिटल युग ने जहां जिंदगी को आसान बनाया है, वहीं साइबर अपराधियों ने इसे ठगी का जरिया बना लिया है। नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल (NCRP) के आंकड़ों के अनुसार, साइबर ठग इस समय 30 अलग-अलग तरीकों से लोगों को निशाना बना रहे हैं।

सेक्सटार्शन: सबसे बड़ा खतरा

सबसे अधिक मामले सेक्सटार्शन के सामने आ रहे हैं। वरिष्ठ नागरिक इस ठगी के सबसे अधिक शिकार बन रहे हैं। बदनामी के डर से वे अक्सर पुलिस में शिकायत दर्ज नहीं कराते।

साइबर सुरक्षा एजेंसियों की रिपोर्ट के अनुसार, इसमें ठग फेसबुक या व्हाट्सएप पर फर्जी अकाउंट बनाकर दोस्ती करते हैं। कुछ दिन बातचीत के बाद विश्वास जीतने के बाद वे वीडियो कॉल पर अश्लील बातचीत कराते हैं और उसका स्क्रीन रिकॉर्ड कर लेते हैं। इसके बाद पीड़ितों से ब्लैकमेल कर मोटी रकम ऐंठी जाती है। रकम न देने पर वीडियो इंटरनेट मीडिया पर वायरल करने की धमकी दी जाती है, जिससे पीड़ित समाज में बदनामी के डर से भुगतान करने को मजबूर हो जाते हैं।

ठगी की वित्तीय हकीकत

हेल्पलाइन नंबर 1930 के आंकड़ों के अनुसार, 1 जनवरी से 26 अगस्त तक प्रदेश में 116 करोड़ रुपये की साइबर ठगी हुई।
• जनवरी से मार्च: 36 करोड़ रुपये की ठगी, 6320 शिकायतें
• अप्रैल से अगस्त: 80 करोड़ रुपये की ठगी, 10304 शिकायतें

इन 116 करोड़ रुपये में से केवल 16.16 करोड़ (7.17%) पुलिस बचा पाई। देर से शिकायत दर्ज कराने के कारण रकम को फ्रीज कर पाना मुश्किल हो जाता है।

साइबर ठगी के 30 तरीके

सेक्सटार्शन, निवेश का झांसा, फर्जी एसएमएस, फर्जी लोन एप, होटल बुकिंग, टेलीग्राम, क्रेडिट कार्ड, ऑनलाइन शॉपिंग, ओटीपी फ्रॉड, रिश्तेदार बनकर ठगी, ओएलएक्स, डिजिटल अरेस्ट, क्यूआर कोड, पार्सल, ट्रेडिंग, बिजली बिल, नौकरी का झांसा, गूगल सर्च, फर्जी लिंक, ऑनलाइन गेमिंग, वीडियो कॉल, ड्रीम-11, ऑनलाइन लॉटरी, बीमा पालिसी, मैट्रिमोनियल साइट, फर्जी बिजनेस अकाउंट, गिफ्ट भेजने का झांसा, कॉइन/रिडीम और KYC अपडेट।

शिकायत तुरंत करें

एसएसपी एसटीएफ नवनीत भुल्लर ने कहा कि साइबर ठगी की स्थिति में तुरंत 1930 पर कॉल करें। देर होने पर ठगी की रकम कई खातों में ट्रांसफर हो चुकी होती है, जिससे उसे फ्रीज करना मुश्किल हो जाता है।

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