एआई से डायग्नोस प्रोसेस और सटीकः डॉ. अश्वनी

तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी, मुरादाबाद के कॉलेज ऑफ पैरामेडिकल साइंसेज और इंस्टीट्यूशन्स इन्नोवेशन काउंसिल- आईआईसी के संयुक्त तत्वावधान में हार्नेसिंग आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस फ़ॉर कटिंग-एज लैबोरेट्री मेडिसिन इन्नोवेशन्स पर राष्ट्रीय संगोष्ठी
कल्पना चावला गवर्नमेंट कॉलेज फॉर वीमेन, अंबाला में मेडिकल लैबोरेट्री टेक्नोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. अश्वनी भारद्वाज ने प्रयोगशाला चिकित्सा में एआई की भूमिका पर बोले, यह तकनीक डायग्नोस प्रोसेस को अधिक सटीक, त्वरित और भरोसेमंद बना रही है। पारंपरिक परीक्षण पद्धतियों में जहां समय और मानवीय त्रुटियों की संभावना रहती थी, वहीं एआई आधारित स्वचालित प्रणालियां परिणामों को और सटीक बना रही हैं। डॉ. भारद्वाज ने बताया, एआई का महत्व केवल परीक्षणों तक सीमित नहीं है। यह तकनीक रोगों की प्रीडिक्टिव डायग्नोसिस, पर्सोनेलाइज़ ट्रीटमेंट प्लांस, ड्रग डिस्कवरी और जीनोमिक डेटा विश्लेषण सरीखे क्षेत्रों में भी अत्यंत उपयोगी सिद्ध हो रही है। मशीन लर्निंग, बिग डेटा एनालिटिक्स और क्लाउड कंप्यूटिंग के प्रयोग से चिकित्सा परीक्षण न केवल तीव्र और किफायती हो रहे हैं, बल्कि गुणवत्ता में भी उल्लेखनीय सुधार आया है। डॉ. अश्वनी तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी, मुरादाबाद के कॉलेज ऑफ पैरामेडिकल साइंसेज और इंस्टीट्यूशन्स इन्नोवेशन काउंसिल- आईआईसी के संयुक्त तत्वावधान में हार्नेसिंग आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस फ़ॉर कटिंग-एज लैबोरेट्री मेडिसिन इन्नोवेशन्स पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे।
मुख्य अतिथि डॉ. भारद्वाज ने कहा, एआई आधारित प्रयोगशालाएं स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता, पारदर्शिता और पहुंच को बढ़ाएंगी एवम् शोध और नवाचार के लिए नई संभावनाएं तलाशेंगी। डॉ. भारद्वाज ने स्टुडेंट्स को तकनीकी नवाचारों के प्रति संवेदनशील रहने और अनुसंधान में सक्रिय भागीदारी करने का आह्वान करते हुए कहा, भविष्य की प्रयोगशालाएं एआई से लैस होंगी, इसीलिए स्टुडेंट्स इन तकनीकों में दक्षता हासिल करके चिकित्सा क्षेत्र में नए मानक स्थापित करें। राष्ट्रीय संगोष्ठी के प्रश्नोत्तरी सत्र में छात्रों ने एआई रक्त परीक्षण, संक्रामक रोगों की पहचान, आनुवंशिक रोगों की स्क्रीनिंग और बड़े डेटा सेट्स के विश्लेषण सरीखे बिन्दुओं पर चर्चा की। इससे पूर्व राष्ट्रीय संगोष्ठी की शुरुआत दीप प्रज्जवलन से हुई। इस अवसर पर कॉलेज ऑफ पैरामेडिकल साइंसेज़ के प्राचार्य प्रो. नवनीत कुमार, विभागाध्यक्ष एवम् संगोष्ठी संयोजक डॉ. रुचि कांत आदि की उल्लेखनीय मौजूदगी रही। संगोष्ठी में डॉ. शिवशरण सिंह, डॉ. वर्षा राजपूत, श्री शिवम अग्रवाल, श्री बैजनाथ दास, सुश्री साक्षी बिष्ट, सुश्री विवेचना देवरा, श्री शिव मोहन, श्री सौरभ सिंह, श्री योगेश कुमार के संग-संग पीएचडी शोधार्थी, बीएससी- एमएलटी और एमएससी- एमएलटी के छात्र-छात्राएं शामिल रहे।