
विश्व स्तनपान सप्ताह पर विशेष।
नवजात शिशुओं के लिये स्तनपान अर्मित समान है क्योंकि इससे नवजात शिशुओं के विभिन्न प्रकार के रोगों से लड़ने की क्षमता प्राप्त होती है। इससे शरीर का पोषण तो होता ही है साथ बाहर के दूध विशेष रूप से डब्बा बंद दूध के कारण होने वाली बीमारी जिनमें ओवरफीडिंग, कुपोषण, अतिसार उल्टी आदि बीमारियों से भी बचा जा सकता है। यह प्रकृति ने बच्चों को शरिरिक एवं मानसिक पोषण के लिये बहुत ही उपयोगी तीन पोषक पदार्थों से भरा भंडार दिया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन सहित सभी देशों के बाल रोग विशेषज्ञों एवं पोषण विशेषज्ञों द्वारा इसे अनिवार्य बताया गया है। इसकी जागरुकता पूरे समाज में लानी अति आवश्यक है क्योंकि कुछ दशकों पूर्व कुछ म्लटि नैशनल कंपनियों ने कुछ तथा-कथित शोधकर्ताओं के साथ फेक रिसर्च का यह निशकर्श निकाला कि माँ का दूध शिशुओं के पोषण के लिये प्रयाप्त नहीं है। इसके कारण डिब्बा बंद दूध का प्रचार-परसार बड़ा जिससे विकासशील देशों में इन डब्बा बंद दूध से बहुराष्ट्रिया कंपनियों ने अरबों डॉलरों का कारोबार किया साथ ही कुछ तथा-कथित शोध में भी यह कहा गया कि जो माँ बच्चों को दूध पिलाती है वह अपनी सुंदरता जल्दी खो देती है। जबकी यह सिद्ध हो चुका है कि बच्चे को पूरे समय दूध पिलाने वाली माताएं भावनात्मक रूप से एवं शारिरिक रूप से ज्यादा स्वस्थ्य रहती हैं।
उक्त विचार आज भारतीय चिकित्सा परीसर उत्तराखंड के अध्यक्ष डा0 जे एन नौटियाल ने आयूष अस्पताल एवं वेलनेस सेंटर में विश्व स्तनपान दिवस पर आयेाजित विचार गोष्टी में कही। उन्होंने कहा कि लोगों को भ्रामक तथ्यों को दरकिनार करना चाहिए और स्तनपान को लेकर जागरूक होना चाहिए। इस मौके पर कई लोग मौजूद थे।