गायकी व गीत लेखन की पहचान युवा गायिका अंजली रमोला जो समाजिक घटनाओं पर खास फोकस रखती हैं और मौके पर चौका जड़ देती हैं गढ़वाली महिलाओं में गीतकार बहुत ही कम महिलाएं हैं इसलिए अंजली हमेशा सामाजिक मुद्दों पर गीत बना कर तुरंत रिलीज कर देती हैं। अंजली रमोला गवां नाग पट्टी भंडारस्युं, तसील डूंडा जिला उत्तरकाशी की मूल निवासी हैं, जिनका ससुराल क्षेत्र रुद्रप्रयाग और वर्तमान समय देहरादून में रहती हैं।
उनके बहु चर्चित गीत-“राम मंदिर, “मोदी दिदा,”हिंदुस्तान को फोजी फंस्यूंच पाकिस्तान मा, “धारा 370, “निरभगी दारू”, “सैदरू बणिया, “छैलु दिदा, “उलारया समधिण, “पुलवामा, “पवना छोरी, “मुंड मुंडारू’ “पल्टन बजार, “हे कांछी, “जजमानी, आदी प्रमुख हैं। वै बहुत मेहनती महिला है ।आजकल के कुछ खास उनके गाये गीत “कोराना वायरस, “महामारी, “मां की ममता’ “सुरम्याली आंखी, “मखमली घाघरी, “गौं का छोरो की निंद उड़ांदु’ ,शिक्षा न रोजगार, हे विधाता, मन की प्यारी,मन,मां कसम, म्यारा स्वामी,कुंदनी ड्राइवर, लाला तोताराम, समधिण रखवाल,हे जौनी, पंडा जी, सरूली, सुनार दादु,अलसी,बुडया चखल पखल,ताता माछा, दुर्गा भवानी,स्वर्ग जनि देवभूमी कंजूस बुडया,हाइ मिर्ची,अमर शहीद( बिपिन रावत) अमर तेरी वाणी (लता मंगेशकर जी) (ओमिकरोन) भोलेनाथ हैं अंजली का संगीत का सफर अब उन्हें रुपहले पर्दे की तरफ भी ले जा रहा है।