उत्तरकाशी। हिमालय दिवस (9 सितम्बर) के उपलक्ष्य में रा. च. उ. रा. स्ना. महा. उत्तरकाशी के मुख्य परिसर में महाविद्यालय के समस्त प्राध्यापकों, कर्मचारियों, NCC, NSS, तथा रोवर रेंजर के छात्र छात्रों द्वारा राष्ट्रगान के उपरांत हिमालय बचाने के लिए “हिमायल प्रतिज्ञा” ली गयी तथा उसके उपरांत सभी ने थुजा मोरपंख के पेड़ लगा कर वृक्षारोपण किया| हिमालय बचाओ समिति की संयोजक प्रो मधु थपलियाल तथा पर्यावरण समिति के संयोजक डॉ रमेश सिंह तथा प्लास्टिक उन्मूलन समिति की संयोजक डॉ विनिता कोहली ने छात्र छात्रों को संबोधित किया| संगीत विभाग की डॉ सोनिया और प्रदीप की टीम ने सांस्कृतिक लोकगीत के माध्यम से जन जागरूक किया। साथ ही दोपहर ३ बजे महाविद्यालय में पर्यावरण तथा हिमालय पर एक गोष्ठी आयोजित की गई जिसमें महाविद्यालय की प्राचार्य प्रो सविता गैरोला ने हिमालय को विश्व का जलवायु नियंत्रक बताया और कहा कि हिमालय की जैव विविधता को बचाने के लिए प्रत्येक व्यक्ति को प्रयास करने होंगे। वरिष्ठ प्राध्यापिका प्रो मधु थपलियाल ने बताया कि हिमालय हमारी पहचान और विरासत है। इसे बचाने के लिए सभी को जागरूक बनाना आवश्यक है। डॉ एम पी एस परमार ने हिमालय की उत्पत्ति के बारे में बताया। डॉ नंदी गाड़िया ने हिमालय के भौगोलिक विकास और बचाव पर जोर दिया।
डॉ ऋचा बधानी ने हिमालय के वनों से चीड के वृक्ष को हटा कर बांज और चौड़ी पत्ती वाले वनों को बढ़ावा देने को कहा। इतिहास विभाग के डॉ शिवम ने हिमालय को बचाने के लिए पर्यावरण संरक्षण की बात कही। एनएसएस के संयोजक डॉ खंडूरी ने कहा की हिमालय ऋषि मुनि की तपस्थली रही है तथा औषधियों का भंडार है। डॉ के के बिष्ट ने पर्यावरण बचाने के लिए सरकारी पॉलिसी की सलाह रखी। डॉ अनामिका ने पलायन की समस्या पर अपने विचार रखे। डॉ आराधना ने हिमालय संरक्षण की जन जागरूकता और सतत विकास पर जोर दिया। डॉ दीपिका ने छोटे बच्चों को तथा आम आदमी को जागरूक बनाने की बात कही। पर्यावरण समिति के डॉ एम पी एस राणा ने पर्यावरण के बचाव के लिए जागरूक किया। डॉ पवेंद्र ने अपनी स्वरचित कविता के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण और हिमालय दिवस को संकल्प दिवस के रूप में मानने को कहा। कार्यक्रम का संचालन डॉ रमेश सिंह ने किया। इस अवसर पर छात्रा स्वाति ने भी अपने विचार रखे। इस अवसर पर डॉ तिवारी, डॉ प्रजापति, डॉ जय लक्ष्मी रावत, डॉ विपिन, डॉ संजीव, डॉ पवेंद्र, डॉ पवन, डॉ अरविन्द, डॉ सृष्टि, डॉ नीतिज्ञा आदि उपस्थित रहे।
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