उत्तराखंडदुर्घटना

सरकार पहाड़ में कई जोशीमठ… भूधंसाव से धीरे-धीरे धंस रही जमीन

आपदा से भूधंसाव का दंश झेल रहा केदारघाटी का सेमी-भैंसारी

रुद्रप्रयाग। सरकार! पहाड़ में कई जोशीमठ हैं… जो वर्षों से भूधंसाव का दंश झेल रहे हैं। केदारनाथ आपदा के बाद केदारघाटी का सेमी-भैंसारी भूधंसाव से बदहाल हो चुका है। धंस रही जमीन से यहां के हालातों को रुद्रप्रयाग-गौरीकुंड हाईवे बखूबी बयां कर रहा है। बावजूद, नौ वर्ष बीत जाने के बाद भी न तो सेमी-भैंसारी के लोगों को विस्थापित किया गया और न यहां सुरक्षा के इंतजाम नहीं हो पाए हैं। जिले में तुंगनाथ घाटी के उषाड़ा, ताला गांव की हालत भी दयनीय है।
16/17 जून 2013 की केदारनाथ आपदा के बाद से सेमी-भैंसारी गांव भूूधंसाव से चारों तरफ दरारों से पटा है। ग्रामीणों के खेत, खलियान, आवासीय भवन, गौशाला, पैदल मार्ग दरारों से पटे हैं। गौरीकुंड हाईवे का काफी बड़ा हिस्सा भूूूधंसाव की जद में होने से समतल नहीं हैं, जिससे वाहनों का संचालन बमुश्किल से हो रहा है। गांव के ठीक नीचे बह रही मंदाकिनी नदी का तेज बहाव से भूकटाव हो रहा है, जो इस पूरे क्षेत्र में भूधंसाव का बड़ा कारण है। उधर, तुंगनाथ घाटी के ताला, उषाड़ा, दैड़ा, मक्कू आदि गांवों के कई तोक भूधंसाव से प्रभावित हैं। वर्ष 2020 के बरसाती सीजन में यहां के हालात काफी नाजुक हो गए थे। प्रशासन द्वारा इस पूूरे क्षेत्र का भू-गर्भीय सर्वेक्षण कराया गया, जिसकी रिपोर्ट के आधार पर उषाड़ा के 72 परिवारों को विस्थापन के लिए चिह्नित किया। लेकिन अभी तक एक भी परिवार का कोई विस्थापन नहीं हो पाया है। दूसरी तरफ अगस्त्यमुनि ब्लॉक के बच्छणस्यूं पट्टी का कांडई क्षेत्र भूधंसाव से पीड़ित है। लेकिन यहां सुरक्षा तो दूर सर्वेक्षण तक नहीं हो पाया है। वहीं, जखोली ब्लॉक के जवाड़ी गांव के ऊपरी तरफ भूमि धंस रही है। भले ही इस क्षेत्र का जापानी तकनीक से मरम्मत कार्य शुरू हो गया है। मद्महेश्वर घाटी में भी नंबे के दशक में कई गांव आपदा से प्रभावित हुए हैं, जिसके निशान आज भी मौजूद हैं। पर्यावरणविद् जगत सिंह जंगली का कहना है कि विकास योजनाओं के निर्माण के नाम पर अत्यधिक कटान से मिट्टी की कई परतें नष्ट हो रही हैं, जिससे बरसाती पानी जमीन के अंदर घुस कर भूधंसाव का कारण बन रहा है।
वर्ष 1976 में भी जोशीमठ में हुआ था रिसाव
जोशीमठ में वर्ष 1976 में भूजल का रिसाव होने से नुकसान हुआ था। तब, एक कमेटी बनाई गई थी, जिसने पूरे क्षेत्र का सर्वेक्षण कर कुछ सुुझाव दिए थे। कमेटी ने जोशीमठ की बसावट, बरसाती पानी की निकासी, संवेदनशील स्थानों की सुरक्षा को लेकर कई बातें कहीं थीं। अब, जो हालात हैं, उनसे निपटने के लिए उस रिपोर्ट के माध्यम से सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए जाएंगे।
— तीरथ सिंह रावत, गढ़वाल सांसद व पूर्व सीएम
इनका कहना है —
सेमी-भैंसारी भूधंसाव क्षेत्र में स्थायी सुरक्षा कार्य आगामी 15 फरवरी से शुरू किए जाएंगे। इन दिनों तकनीकी निविदा की औपचारिकताएं पूरी की जा रही हैं।
— राजवीर सिंह चौहान, ईई एनएच निर्माण खंड लोनिवि, रुद्रप्रयाग

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