नकोट (केदार सिंह चौहान च्प्रवर)। चंबा प्रखंड के अंतर्गत ग्राम पंचायत छाती का प्राथमिक विद्यालय पिछले कई वर्षों से छात्रों की बाट जोहता रहकर अब उजाड़ होने की कगार पर खड़ा है। ऐसा नहीं कि इस विद्यालय में किसी प्रकार के संसाधनों की कमी रही हो, विद्यालय भवन के साधन सम्पन्न होने के बाबजूद भी हालात यह हैं कि ग्राम पंचायत छाती का यह राजकीय प्राथमिक विद्यालय आज बिना छात्रों के कई वर्षों से बन्द पड़ा है।
अभी सात-आठ वर्षों पूर्व करीबन १२ लाख से अधिक की धनराशि से इस विद्यालय के लिए नये सुसज्जित भवन का निर्माण किया गया था, तत्समय इस पाठशाला में एक दर्जन से अधिक बच्चे अध्ययनरत थे। धीरे-धीरे बच्चों अर्थात् छात्रों की संख्या घटती रही और अंततः पांच वर्ष पूर्व यह सरस्वती का मंदिर वीरान हो गया।
वर्तमान स्थिति यह है कि इस भवन के मुख्य द्वार वाली दीवार भी भारी बरसात के कारण क्षतिग्रस्त हो चुकी है। भवन में गतिविधि शून्य हैं। कभी कभार इस भवन में गोष्ठियां आदि आयोजित हो जाती हैं। पिछले दिनों यहां पर स्वयं सहायता समूहों का प्रशिक्षण कार्यक्रम सम्पन्न हुआ। केवल इसी प्रकार की गतिविधियों तक यह भवन सीमित रह गया है।
सरकार के आला अधिकारियों का ध्यान भी शायद कभी इस भवन स्थिति की ओर नहीं जाता होगा, क्योंकि भवन पर लाखों की शासकीय धनराशि खर्च होने के बाबजूद भी भवन आज वीरान पड़ा होकर अपने मूल उद्देश्यों से भटककर रह गया है। जहां छोटे बच्चों ने बुनियादी शिक्षा हासिल कर नये भारत के निर्माण की ओर अग्रसर होना था, वह आज सुनसान पड़ा रहकर खर्च की गई सरकारी धनराशि का मजाक उड़ा रहा है।
यदि इस भवन में शिक्षा ग्रहण करने वाले बच्चों का अभाव था तो इस भवन का उपयोग अन्य शासकीय कायों के लिए किया जा सकता है। इस भवन पर अन्य सरकारी गतिविधियां संचालित हो सकती हैं। गांव के निकट ही ग्रामीण कस्बा नकोट में निजि विद्यालय अच्छी छात्र संख्या के साथ संचालित हो रहे हैं। क्या कारण है राजकीय प्राथमिक विद्यालय के प्रति बच्चों अथवा छात्रों व छात्राभिभावकों का मोहभंग हो गया है? इसकी तह तक सरकार के कारिंदों को जाना चाहिए।