प्यारी पहाड़न शब्द इन दिनों खासी चर्चा में है। इसकी वजह एक युवती प्रीति मैंदोलिया की ओर से उत्तराखंड के देहरादून के कारगी चौक में इस नाम से एक रेस्टोरेंट खोलना है। अब कोई भी रेस्टोरेंट किसी न किसी नाम से खुलता ही है। यह रेस्टोरेंट भी खुला। अब विवाद तब शुरू हुआ जब कुछ लोगों ने इस रेस्टोरेंट का यह कह कर विरोध करना शुरू कर दिया कि यह उत्तराखंड की महिलाओं का अपमान है।
बस यहीं से प्यारी पहाड़न शब्द चर्चा में आ गया। अब इस शब्द पर शब्दशास्त्रियों से लेकर राजनीतिज्ञों के बीच तर्क-कुतर्क के बाण चल रहे हैं। अधिकांश लोगों का मत है कि यह शब्द अश्लील नहीं है। यह शब्द खुद में पहाड़ सा सौंदर्य समेटे है। पहाड़ जितने खूबसूरत होते हें, उतने ही खूबसूरत होते हैं पहाड़ के लोग। पहाड़ जैसी जीवटता उन्हें पहाड़ सा व्यक्तित्व प्रदान करती हैं। यही वजह है कि पहाड़ के लोग अपनी जीवटता के लिए देश दुनिया में प्रसिद्ध हैं।पहाड़ के लोगों के सौंदर्य,उनकी जीवटता, उनका अपनापन, उनकी मासूमियत, उनकी ईमानदारी उन्हें प्यारा पहाड़ी बनाता है और पहाड़ की महिलाओं को प्यारी पहाड़न।
प्यारी पहाड़न कोई अपराधबोध नहीं। यह कोई अश्लील शब्द भी नहीं है। ऐसे में कुछ लोगों का केवल इस बात पर विरोध करना कि रेस्टोरेंट का नाम प्यारपहाड़ने नहीं होनाचाहिए। उनका तर्क है कि इस शब्द से अश्लीलता झलकती है। इस शब्द से हीनता पैदा होती है। विरोधी पक्ष का यह कहना गले नहीं उतरता। रेस्टोरेंट संचालिका की माताजी का खुद कहना है कि पहाड़की महिलाओं का सौंदर्यबांध कराता है। यह उनके दुलार, उनके प्यार को प्रदर्शित करता है। उनका कहना है कि विरोध करने वाले तब कोई चुप्पी साधेरहे जब कई अश्लील शीर्षकों के साथ गढ़वाली और कुमाऊंनी गीतों की एलबमें बनीं। एक युवती के प्रयास को सराहने के बजाए उसका विरोध करना उचित नहीं है। एक ओर हम महिला सशक्तीकरण की बात करते हैं,वहीं अगर कोई महिला संशक्त होने के लिए कदम उठाती हैं तो उसे ऐसे प्रताड़ित करना उचित नहीं है। उनोंने नाम लेकर कहा कि अफसोस तो इस बात का भी है कि प्यारी पहाड़न का विरोध कर रहे तीन लोगों में दो तो महिलाएं ही हैं।
दूसरी ओर प्यारी पहाड़न शब्द को लेकर लोगों काकहना है कि जिस तरह घसियारी शब्द से पहाड़ की प्यारी सी, कर्मठ सी, पहाड़ों को प्यार करनेवाली महिला बोध होता है,ठीक उसी तरह प्यारी पहाड़न से एक मासूम सी पहाड़ी युवती की छवि बनती है। उसके हाथों की रस्याण की महक दिखती है।
कुछ भी हो। पक्ष और विपक्ष में उतरे लोगों के कारण प्यारी पहाड़न शब्द ही चर्चा में नहीं आया,बल्कि प्यारी पहाड़न रेस्टोरेंट को रोतों-रात ऐसी प्रसिद्धि मिली, जिसकी कल्पना भी नहीं की जास कती। अब इस रेस्टोरेंट को देखने के लिए ही देहरादून के कारगी चौक में भीड़ उमड़ रही है। और हर कोई प्यारी पहाड़न रेस्टोरेंट की रस्याण चखना चाहते हैं।
सोशल मीडिया में छाई
प्रिंसी रावत ने सोशल मीडिया में लिखा कई दिनों से प्यारी पहाड़न रेस्टोरेंट को संचालित करने वाली बहन प्रीति मैंदोलिया को कुछ असभ्यलोगों द्वारा लगातार रेस्टोका नाम बदले जोने की धमिकयां दी जारही थीञ रेस्टो के नाम को पहाड़ विरोधी बताया जा रहा था, जबकि यह नाम बहन ने पहाड़ के प्रति अपनी भावनाओं को प्रदर्शित करने के लिए रखा था।
पहाड़ परिवर्तन समिति ने प्यारी पहाड़न रेस्टोरेंट की संचालिका प्रीति से मुलाकात कर उनकी हौसला अफजाई की। कहा कि हम पहाड़ के हर संघर्षशील व्यक्ति के साथ हैं। प्रीति के साथ भी हैं।