उत्तराखंडसामाजिक

लोक संस्कृति हमारी सबसे बड़ी पूंजी: माधुरी

पर्वतीय लोकविकास समिति की स्थापना दिवस पर कई हस्तियां सम्मानित

 

देहरादून । देवभूमि की लोक संस्कृति,यहां का प्राकृतिक सौंदर्य और उत्तराखंडियों के प्रति देश के लोगों का विकास हमारी सबसे बड़ी पूंजी है। आस्था,विश्वास और मान्यता के पर्याय उत्तराखंड के ठोस विकास के लिए सभी को संकल्प लेना होगा । यह बात पर्वतीय लोकविकास समिति के 18 वें स्थापना दिवस के उद्घाटन अवसर बतौर मुख्य अतिथि के सुप्रसिद्ध लोकगायिका और संस्कृतिकर्मी पद्मश्री डॉ.माधुरी बड़थ्वाल ने जोगिवाला स्थित उतरंचल उत्थान परिषद के सभागार में अपने उद्बोधन में ब्यक्त किए ।

डॉ. माधुरी ने कहा कि नई पीढ़ी को पहाड़ की जीवंत लोकसंस्कृति और बोली भाषा के साथ ठोस संस्कारों को सीख कर जीवन में क्रियान्वयन करना होगा । और लोक संस्कृति का का संवहन और संवर्धन करना होगा। ताकि आने वाली पीढ़ी इस से रूबरू हो सके।

अतिविशिष्ट अतिथि सुप्रसिद्ध संस्कृत विद्वान एवं उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. देवी प्रसाद त्रिपाठी ने कहा कि केदारखंड और मानस खंड का अध्ययन किए बिना देवभूमि को नहीं समझा सकता। देश के प्रथम सीडीएस दिवंगत जनरल विपिन रावत, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और अनिल धस्माना जैसी देशभक्त प्रतिभाएं देवभूमि के सनातन मूल्यों के संवाहक हैं।

डॉ त्रिपाठी ने हिमालय की पवित्रता और गंगा यमुना के महातता का वर्णन करते हुए कहा कि उत्तराखंड हिमालय में असंख्य छोटी बड़ी नदी धाराएं गंगा नाम से जानी जाती है किंतु देवप्रयाग में इनका संगम होने पर एक ही नदी का नाम गंगा कहा जाता है जो अपनी शुद्धता और पवित्रा के लिए प्रसिद्ध है।

उत्तराखंड सरकार के पर्यटन विभाग की निदेशक श्रीमती पूनम चंद ने कहा कि पर्यटन और तीर्थाटन के विकास के लिए राज्य सरकार विशेष और प्रभावी कदम उठा रही है, मेलों,उत्सवों और त्योहारों के माध्यम से स्थानीय जनता की सहभागिता इसे लक्ष्य तक पहुंचा सकती है। हम ऐसे प्रयास करें कि चारधाम की यात्रा में उमड़े श्रद्धालु एक दो दिन के लिए नहीं कुछ दिनों के लिए पहाड़ में रुककर यहां की लोकसंस्कृतो ,आस्था और मान्यताओं को समझें और ग्रहण करें,इस सोच का पर्यटन अपेक्षित है।

समारोह पूर्व डी आई जी एवं प्रिंसिपल सेक्रेट्री फॉरेस्ट एग्रीकल्चर डॉ.वी.के.बहुगुणा ने अपने भाषण में जोर दे कर कहा कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया के संपन्न होने और नई सरकार के गठन के बाद उत्तराखंड के विकास के लिए ठोस नीति और नीयत दोनों की जरूरत है,यह लक्ष्य युवा पीढ़ी को राजनीतिक नेतृत्व सौंपे बिना असंभव है । उत्तराखंड को अच्छी शिक्षा और रोजगार देना भी आवश्यक है। तभी पलायन रोकने की बात सार्थक होगी।

 

भारत सरकार के पूर्व सचिव आई .ए .एस.डॉ.कमल टावरी ने कहा कि देश के अन्य हिस्सों की तरह उत्तराखंड में भी सरकारी अनुदान और सरकारी नौकरी की चाह ने युवाओं को कार्य करने के प्रति उदास बना दिया है,उदारवाद प्रतिभा के साथ कौशल विकास और कार्य उपलब्धि में सहायक सिद्ध होगा।

 

शीर्ष पर्यावरणविद पद्मश्री कल्याण सिंह रावत ने कहा कि पिघलते ग्लेशियर हमारी सदा मीरा नदियों को सुखा रहे हैं और अंधाधुंध प्राकृतिक विदोहन हमारे पर्यावरण और पारिस्थितिकी को असंतुलित कर रहे हैं ,जो मानव अस्तित्व के लिए शुभ नहीं है।

 

विशिष्ट अतिथि के रूप में उत्तराखंड सरकार के पूर्व मंत्री और टीएचडीसी के पूर्व निदेशक डॉ. मोहन सिंह रावत गांववासी ने कहा कि उत्तराखंड एक सामान्य राज्य नहीं यह धर्म,संस्कृति,साधना और कर्म की पावन धरा है,सरकार के साथ ही राज्य की प्रबुद्ध जनता को भी अपनी घाटियों और पट्टियों के ठोस विकास के लिए संकल्पबद्ध होना होगा।

पर्वतीय लोकविकास समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री वीरेंद्र दत्त सेमवाल ने अतिथियों का स्वागत करते हुए यह भी कहा कि,उत्तराखंड के प्राकृतिक सबसाधनों का वैज्ञानिक ढंग से शोधन कर,उसमे स्थानीय कस्तकारों की भागीदारी रोजगार और प्लायन् की दृष्टि से करनी होगी। जबकि समिति के महासचिव दीवान सिंह रावत ने विगत 18 वर्षों की कार्य उपलब्धियों का वृत्त प्रस्तुत किया।

इस अवसर पर डॉ.मोहनसिंह रावत गांववासी को राष्ट्र गौरव सम्मान से सम्मानित किया गया। हिमालय गौरव सम्मान प्राप्त करने वालों में डॉ. महावीर रंवाल्टा , डॉ.अमर लट्टा प्रो.दीप्ति बगवाड़ी,डॉ. शशि भूषण बडोनी,डॉ. दीपक गैरोला, प्रो.राजकुमारी भंडारी चौहान,एडवोकेट लोकेंद्र जोशी,इंजीनियर निर्मल भट्टडॉ.यशोदा प्रसाद सेमल्टी , डॉ.पवन कुमार मैठाणी,तेजराम सेमवाल ,डॉ.राजकुमारी भंडारी ,कवि प्रदीप बेदवाल और इंजीनियर राजेंद्र प्रसाद सेमवाल प्रमुख हैं। कई व्यक्तियों को उत्तराखंड गौरव सम्मान प्रदान किए गए। उत्तरांचल उत्थान परिषद और मां भवानी समिति को विशेष योगदान के लिए सम्मानित किया गया।

मंच का संचालन केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल जी के मीडिया सलाहकार, समाजसेवी पत्रकार सूर्य प्रकाश सेमावल ने किया।

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