13 जिलों के लिए आयोजित किए जा रहे फर्स्ट रिस्पांडर्स ट्रेनिंग प्रोग्राम का चौथा चरण शुरू
एम्स, ऋषिकेश व रोड ट्रांसपोर्ट विभाग की संयुक्त पहल पर प्रदेश के सभी 13 जिलों के लिए आयोजित किए जा रहे फर्स्ट रिस्पांडर्स ट्रेनिंग प्रोग्राम के चौथे चरण का ट्रॉमा सेंटर के कांफ्रेंस हॉल में विधिवत शुरू हो गया, संस्थान की कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर डॉ मीनू सिंह , डीन प्रोफेसर डॉ जया चतुर्वेदी, चिकित्सा अधीक्षक प्रो. डॉ. आर बी कालिया, ब्लड बैंक प्रमुख प्रो. डॉ. गीता नेगी ,अधीक्षण अभियंता लेफ्टिनेंट कर्नल राजेश जुयाल, ट्रॉमा के प्रमुख एवं कोर्स आयोजन अध्यक्ष प्रो. डॉ. कमर आजम, कोर्स डायरेक्टर डॉ. मधुर उनियाल, कोर्स संयोजक महेश गजानन देवस्थले, डॉ. नीरज कुमार, डॉ. गिरीश डीएनएस ट्रॉमा सेंटर कमलेश बैरवा ने संयुक्तरूप से दीप प्रज्जवलित कर औपचारिक शुभारंभ किया। इस अवसर पर कोर्स डायरेक्टर डॉ. मधुर उनियाल ने सभी अतिथियों का अभिनंदन किया और ट्रॉमा नर्सिंग टीम की सराहना करते हुए बताया कि कोर्स के तहत सभी 650 फर्स्ट रिस्पांडर्स हमारी ट्रॉमा नर्सिंग टीम द्वारा ही ट्रेंड किए जा रहे हैं।
जिसके तहत विभिन्न जिलों से आए 3 बैचों में 150 प्रतिभागियों को इससे पूर्व प्रशिक्षण दे चुके हैं। बताया गया कि प्रशिक्षित टीम के सदस्य राज्य के विभिन्न हिस्सों में सड़क दुर्घटनाओं की स्थिति में ट्रॉमा पेशेंट्स के लिए मददगार साबित होंगे।
एम्स के ट्रामा सर्जन डॉ. मधुर उनियाल ने बताया कि एम्स ऋषिकेश व रोड ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस कार्यक्रम के तहत निकट भविष्य में उत्तराखंड के सभी जिलों से लगभग 650 फर्स्ट रिस्पांडर्स कार्य करने लगेंगे। जो कि किसी भी दुर्घटना की स्थिति में ट्रॉमा मरीजों को सुरक्षित अस्पताल तक पहुंचाने और ऐसी घटनाओं में डेथ रेट को कम करने में सहायक बनेंगें । इसी क्रम में चौथे चरण का प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें प्रशिक्षण हेतु ऋषिकुल आयुर्वेद महाविद्यालय, हरिद्वार के बीएएमएस प्रथम वर्ष के छात्र- छात्राओं के साथ- साथ प्राध्यापकों को एम्स के विशेषज्ञों द्वारा प्रशिक्षित किया गया। प्रतिभागियों को बताया गया कि किसी भी दुर्घटना के होने की स्थिति में पहले तीन घंटे अहम होते हैं, जिसमें सर्वाधिक 80 फीसदी डेथ होती है। ट्रेनर्स की सहायता से इस डेथ रेट को कम किया जा सकता है।
साथ ही उन्हें सी पी आर ,लोग रोलिंग , मेडिकल इमरजेंसी , जलने और किसी भी प्रकार की गंभीर चोट आने पर दिए जाने वाले प्राथमिक उपचार के बाबत बताया गया और कृत्रिम उपकरणों के सहायता से व्यक्तिगत प्रशिक्षण भी दिया गया। जिसमें सभी प्रशिक्षकों ने उत्सुकता के साथ सक्रिय रूप से प्रतिभाग किया ।
उन्होंने बताया कि पहाड़ी क्षेत्रों में आए दिन सड़क दुर्घटनाएं आम बात हैं, जिससे कई दफा लोग अपनी जान गंवा देते हैं, लिहाजा इस ट्रेनिंग प्रोग्राम का उद्देश्य सड़क दुर्घटनाओं की रोकथाम के लिए लोगों को जागरुक करना और किसी भी क्षेत्र में ऐसी घटनाएं होने की स्थिति में ग्रसित मरीजों को प्राथमिक उपचार के साथ साथ मरीज को इलाज के लिए सुरक्षित अस्पताल तक पहुंचाने में सहायक बनाना है।
सफलतापूर्वक कोर्स संपन्न होने के पश्चात छात्र- छात्राओं के साथ आए प्रोफेसर डॉ. नरेश चौधरी प्रमुख एनाटॉमी विभाग, ऋषिकुल आयुर्वेद महाविद्यालय ने बताया कि मेरे लिए और सभी छात्र- छात्राओं के लिए यह गर्व की बात है कि हम सभी को एम्स जैसे बड़े संस्थान में इस तरह के महत्वपूर्ण विषय पर प्रशिक्षण प्राप्त करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ, जिसके लिए उन्होंने टीम ट्रॉमा, एम्स ऋषिकेश का आभार व्यक्त किया और बताया कि इससे अधिकाधिक युवाओं में दुर्घटनाओं के मामले में जागरूकता आएगी और अमूल्य जीवन रक्षा हेतु लाभप्रद होगा। हम सभी भी इस कोर्स को करने के बाद अपने आस- पास सभी को इसके प्रति जागरूक करने के साथ ही किसी भी ग्रसित व्यक्ति के लिए फर्स्ट रेस्पोंडर्स बनकर जीवन रक्षा जरूर करेंगें । छात्रदल के साथ प्रशिक्षण कार्यक्रम में पहुंचे यूथ रेड क्रॉस इंचार्ज हरिद्वार श्रीमति पूनम ने भी इस ट्रेनिंग प्रोग्राम को सफल बताया और इसकी सराहना की ।
कार्यशाला में एम्स ऋषिकेश के ट्रॉमा सेंटर में कार्यरत नर्सिंग प्रोफेशनल्स वरिष्ठ नर्सिंग अधिकारी अखिलेश उनियाल, शशिकांत, दीपिका कांडपाल , शुशीला पन्नू, लवी, प्रज्ञा नौटियाल , राखी यादव, शीला , हिमांशु पाठक और तरानुम अहमद ने कोर्स संयोजक श्री महेश गजानन देवस्थले असिस्टेंट नर्सिंग सुप्रिटेंडेंट के नेतृत्व में बतौर प्रशिक्षक प्रतिभागियों को प्रशिक्षण दिया ।
क्या कहते हैं एम्स के विशेषज्ञ :
टीम ट्रॉमा एम्स ऋषिकेश का यह सार्थक प्रयास सराहनीय है ,एम्स की सार्थकता तभी साबित होगी जब संस्थान राज्य में स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने के साथ साथ स्वास्थ्य खासकर ट्रॉमा के मामलों में आम जन मानस को जागरुक कर सकें । एम्स द्वारा रोड ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट के साथ मिलकर की गई इस पहल का यही उद्देश्य है। इस मुहिम के माध्यम से हमारी कोशिश है कि ट्रॉमा मामलों में मृत्यु दर को कम करने में अपना योगदान सुनिश्चित किया जाए, जिसमें यह ट्रेंड फर्स्ट रेस्पोंडर्स मददगार साबित होंगे।
प्रोफेसर डॉ. मीनू सिंह, कार्यकारी निदेशक, एम्स ऋषिकेश।
इस पहल से सड़क दुर्घटनाओं में लापरवाही के कारण होने वाली मृत्यु दर में जरूर कमी आएगी और समय पर प्राथमिक उपचार मिलने के साथ -साथ ग्रसित व्यक्ति को अस्पताल तक पहुंचाने में भी फर्स्ट रेस्पोंडर्स मददगार साबित होंगे ।
प्रोफेसर डॉ कमर आजम
कोर्स आयोजन अध्यक्ष
हमारा प्रयास इंस्टीट्यूट नहीं पब्लिक बेस्ड होना चाहिए, जिससे स्वास्थ्य जागरुकता के साथ साथ ट्रॉमा के मामलों में आमजन को महत्वपूर्ण जानकारियां देने के साथ साथ प्राथमिक उपचार हेतु प्रशिक्षण भी दिया जा सके। संस्थान राज्य सरकार व संबंधित विभागों, संस्थाओं के साथ मिलकर इस मुहिम को आगे बढ़ाएगा।
डॉ. मधुर उनियाल, ट्रॉमा सर्जन
कोर्स निर्देशक एम्स,ऋषिकेश।