othersउत्तराखंड

सोने की परत चढ़ाने से घटेगी पत्थरों की उम्र : शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद

शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि भगवान के मंदिरों को भव्य बनाया जाना ठीक है लेकिन पत्थर के ऊपर सोने की परत चढ़ा देंगे तो उसकी उम्र कम हो जाएगी। पत्थर भी जीवित होता है। वह मृत नहीं होता है।
ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगदगुरू शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती केदारनाथ मंदिर की दीवारों पर सोने की परत चढ़ाने से सहमत नहीं हैं। उनका कहना है कि पत्थर के ऊपर सोना चढ़ाने से उसकी उम्र कम हो जाती है।
श्रीनगर स्थित कमलेश्वर मंदिर में पूजा-अर्चना के बाद पत्रकारों से वार्ता करते हुए शंकराचार्य ने ये बात कही। उन्होंने कहा कि भगवान के मंदिरों को भव्य बनाया जाना ठीक है लेकिन पत्थर के ऊपर सोने की परत चढ़ा देंगे तो उसकी उम्र कम हो जाएगी। पत्थर भी जीवित होता है। वह मृत नहीं होता है। इसमें सूक्ष्म छिद्र होते हैं जिससे ऑक्सीजन अंदर जाती है। इस कारण पत्थर मजबूत बना रहता है। यदि पत्थर को किसी धातु में लपेट दें तो कुछ दिनों बाद वह भुरभुरा हो जाता है।
उन्होंने कहा कि काशी विश्वनाथ मंदिर में पेंट किया गया था। बाद में जानकारों ने बताया कि इससे पत्थर की उम्र कम हो रही है। इसके चलते पेंट को हटाया गया। सोने की परत दिखने में तो अच्छी लगती है लेकिन मंदिर की दीवारों के लिए यह ठीक नहीं। इस विषय पर सोचा जाना चाहिए।
महिलाओं के ऊपर हो रहे अपराधों के संबंध में उन्होंने चिंता जताते हुए कहा कि भारत में कन्याओं को देवी नाम से संबोधित करते हैं। इसलिए हमें विचार करना होगा कि जिस संस्कृति में माता-बहनों को पूजा जाता है। उस देश में क्या हो रहा है? पाश्चात्य संस्कृति का अनुकरण, शराब का नशा और विधर्मियों का प्रभाव इसकी प्रमुख वजह है। हमें भोगवादी संस्कृति को छोड़ना होगा। हमें पुरानी परंपरा को पुनर्स्थापित करना होगा।
कमलेश्वर मंदिर में की पूजा अर्चना
ज्योतिष्पीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद बुधवार रात श्रीनगर पहुंचे। बृहस्पतिवार सुबह उन्होंने कमलेश्वर मंदिर में पूजा-अर्चना करते हुए शिवलिंग में गुलाब के फूल चढ़ाए। इस दौरान श्रद्धालुओं ने शंकराचार्य का आशीर्वाद लिया। शंकराचार्य ने कमलेश्वर मंदिर के महंत आशुतोष पुरी को दसनाम गोस्वामी समाज का राष्ट्रीय अध्यक्ष घोषित करते हुए इस समाज के प्रचार प्रसार के लिए विश्वभर में भ्रमण करने का आदेश दिया।
विज्ञापन12 साल पहले मिले न्यौते पर पहुंचे गांव कोट मल्ला
ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद महाराज पर्यावरणविद् जगत सिंह जंगली के मिश्रित वन का भ्रमण किया। उन्होंने इस वन को देश-दुनिया के लिए अद्भुत मॉडल बताया। जगद्गुरु को 12 साल पहले यहां आने का न्यौता मिला था। उसे निभाने के लिए वे गांव कोट मल्ला पहुंचे। उन्होंने जसोली स्थित मां हरियाली मंदिर में पूजा-अर्चना भी की। साथ ही स्वयंभू स्टफिक शिवलिंग की पूजा के साथ जलाभिषेक किया।
रुद्रप्रयाग के विधायक भरत सिंह चौधरी ने कहा कि यह पूरे क्षेत्र का गौरव है कि धर्म, आध्यात्म के पुरोधा यहां पहुंचे हैं। इसके बाद शंकराचार्य राजकीय प्राथमिक विद्यालय कोट मल्ला भी गए और वहां तैनात पर्यावरण प्रेमी शिक्षक सतेंद्र भंडारी के पर्यावरण संरक्षण व शिक्षा से जुड़े कार्यों से प्रभावित हुए। इस मौके पर मुकुंदानंद ब्रह्मचारी, सहज ब्रह्मचारी, गंगोत्री मंदिर समिति के सदस्य सुरेश सेमवाल, अनिरूद्घ उनियाल, उमेश सती, चंडी तिवारी, देव राघवेंद्र बदरी, अजय आनंद सिंह नेगी मौजूद रहे।
पर्यावरणविद् जगत सिंह जंगली ने डॉ. बृजेश सती को शॉल भेंट कर सम्मानित किया। उन्होंने कहा कि रुद्रप्रयाग जनपद में पत्रकारिता के दौरान सबसे पहले मिश्रित वन को आमजन तक पहुंचाने का काम डॉ. सती ने किया था।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button